Jaton Ke Vishva Samrajya aur Unake Yug Purush/Foreward

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पुस्तक: जाटों के विश्व साम्राज्य और उनके युग पुरुष
लेखक: महावीर सिंह जाखड़
प्रकाशक: मरुधरा प्रकाशन, आर्य टाईप सेन्टर, पुरानी तह्सील के पास, सुजानगढ (चुरु)

भूमिका

समाज के निर्माण, उत्थान और विकास में इतिहास की अहम् भूमिका जगजाहिर है। नवागंतुक पीढ़ी को यदि पूर्वजों के गौरवशाली इतिहास की समुचित जानकारी न दी जावे तो यह संभव है कि भावी पीढ़ी अपने मार्ग से भटक जाये और जीवन के चरमोत्कर्ष मूल्यों तथा आदर्शों को स्पर्श नहीं कर पाये। विश्व के प्राचीन इतिहास में यत्र-तत्र इस प्रकार के वृतांत उपलब्ध हैं कि समाज में प्रारम्भ से ही एक ऐसी कौम का बोलबाला रहा है जिसका किसी समय विश्व के बड़े भू-भाग में साम्राज्य रहा है। अपनी स्पष्टवादिता, निष्ठा, निर्भीकता एवं बहादुरी के लिए इस कौम की एक अलग पहचान रही है। इस कौम के यौद्धा अत्यधिक बलवान, अति पराक्रमी एवं दृढ़ निश्चय के धनी रहे हैं। शरण आए शरणार्थी की रक्षा करना इस जाति के बहादुर सपूतों ने अपना गौरव समझा है, अपना परम कर्तव्य माना है, अपना धर्म माना है। इस कौम के खून में राष्ट्रीयता, देशभक्ति एवं कर्तव्यपरायणता का प्रबल प्रवाह पाया जाता है। कठोर परिश्रम, कड़ी मेहनत, निष्ठा व सहिष्णुता इस कौम के पर्याय माने गए हैं। यह कौम है जाट।

दुर्भाग्य से या संयोग से अब तक इस कौम के इतिहास को सही ढंग से उजागर नहीं किया गया। विश्व के प्राचीन इतिहास में इस कौम के इतिहास को समुचित स्थान नहीं मिल पाया। यद्यपि इतिहासकारों ने यदाकदा अपनी दबी जुबान से इनके कौशल, पुरुषार्थ एवं शौर्य का बाखान किया है। इनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व का सही ढंग से प्रतिपादन करने में कौताही बरती है। यही कारण है कि यह कौम पिछड़ गई। अपने अतीत के सुनहरे इतिहास को कायम नहीं रख पाई। कड़ी मेहनत से खेत-खलिहानों में काम करते तथा राष्ट्र की सीमाओं पर कुशल प्रहरी की भूमिका निभाते हुये भी यह कौम समाज में अपना यथोचित स्थान पाने में असफल रही। अन्नोत्पाद के रूप में दाता होते हुये तथा राष्ट्रीय आपदाओं एवं विपदाओं में साहसिक अग्रणी भूमिका निभाते हुये भी यह कौम समाज में शीर्ष स्थल पर अपना स्थान नहीं बना सकी।

लंबे अरसे से समाज के इतिहास की कमी अखरती रही है, समाज के इतिहास का भारी अभाव खटकता रहा है। विगत कई दशकों से इस अभाव आपूर्ति की चर्चायेँ सुनने को मिलती रही हैं परंतु इक्के-दुक्के प्रयासों को छोड़कर कोई सार्थक प्रयास नहीं हुये। प्रस्तुत ऐतिहासिक पुस्तक में लेखक ने अपने सीमित साधनों के बावजूद अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर अपने कठोर परिश्रम एवं अथक प्रयासों के फलस्वरूप प्रमाणित तथ्यों पर आधारित जातीय इतिहास एवं कतिपय जातीय महापुरुषों यथा शूरवीरों, दानवीरों एवं समाज सुधारकों की जीवनी रस्तुत कर समाज की भरपूर सेवा की है। मेरा मानना है कि वर्तमान युवा पीढ़ी संदर्भित पुस्तक द्वारा अपने गौरवशाली अतीत से सबक ले सकेगी।

ऐतिहासिक तथ्यों का संकलन, संग्रहण एवं सम्पादन एक बहुत कठिन कार्य है और यह कार्य उन परिस्थितियों में और भी दुष्कर हो जाता है जबकि विभिन्न कालों से संबन्धित जानकारी एक ही स्थान पर उपलब्ध न हो तथा कुछेक व्यक्तियों/ग्रन्थों तक सीमित न हो। अंजान व्यक्तियों से तथा अनेकानेक ग्रन्थों से बिखरे पन्नों से अनुपलब्ध जानकारी प्रपट करना और भी कठिन कार्य है। ऐसी विषम परिस्थितियों में भी लेखक ने कड़ी मेहनत, लगन एवं निष्ठा के साथ कार्य कर समाज को इस पुस्तक द्वारा महापुरुषों के विराट व्यक्तितियों को समझाने का सफल प्रयास किया है। इन महापुरुषों की जीवनी, चरित्र तथा प्रामाणिक एवं ऐतिहासिक दस्तावेज़ पढ़ते समय पाठक ऐसे मर्मस्पर्शी प्रसंग पाएंगे जिससे उन्हें स्वत: ही आभास हो जाएगा कि सचमुच ये महापुरुष बहुत बहादुर, निर्भीक, देशभक्त एवं निष्ठावान थे।

लेखक ने प्रस्तुत पुस्तक के रूप में ऐसी सामग्री एकत्रित की है जिससे एक जिज्ञासु अपनी जिज्ञासा तृप्त कर सके और अपने आपको प्रेरित कर सके। लेखक ने जिस निष्ठा, परिश्रम एवं लगन से इस पुनीत कार्य को पूर्ण किया है, वह निश्चित रूप से प्रशंसनीय है एवं हमें सदैव प्रेरणा देता रहेगा। लेखक ने प्रयास किया है कि प्रस्तुत पुस्तक सामनी पाठक की पहुँच में हो । लेखक ने अपनी सूझ-बूझ एवं समझदारी से इस पुस्तक को सस्ता, सुंदर, रोचक एवं उपादेय बनाने का प्रयास किया है। इस पुस्तक में लेखों की सुंदर व्यवस्था कर आकर्षक छपाई की कोशिश की गई है।

मेरा विश्वाश है कि प्रस्तुत पुस्तक दीर्घ कालीन अभाव की पूर्ति करने एवं भविष्य में सृजनात्मक कार्य करने के लिए प्रेरित करने में एक सफल प्रयास सिद्ध होगी।

शुभकामनाओं सहित,

प्रो जवाहर सिंह जाखड़
सेवा निवृत प्राचार्य व अध्यक्ष
अखिल भारतवर्षीय जाट महासभा, सीकर

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