Jatt Chal Diye - Book By Vijay Kumar Singh

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जट्ट चल दिये पुस्तक का मुख पृष्ट
जट्ट चल दिये

लेखक - विजय कुमार सिंह, 2/1076, Pacific Highway, Pymble, 2073, NSW, Australia,

प्रकाशक - समन्वय प्रकाशन, के.बी. 97 (प्रथम तल), कवि नगर, गाजियाबाद 201002, मो: 9911669722, email: samanvya.prakashan@gmail.com, website: samanvayaprakashan.com

पुस्तक का संक्षिप्त परिचय: विजय कुमार सिंह द्वारा लिखित 'जट्ट चल दिये' पुस्तक जाटों के प्रव्रजन (Migration of Jats का इतिहास बताती है। समन्वय प्रकाशन, के.बी. 97 (प्रथम तल), कवि नगर, गाजियाबाद - 201002 द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक सिंध से पश्चिम एशिया की ओर गए जाटों को समर्पित है जिनकी पहचान, अब से 1000 वर्ष पहले ही गुम हो चुकी है। सातवीं और आठवीं सदी में जाटों को तीन बार पश्चिमी एशिया की ओर भेजा गया। 669/ 670 ई. में पहली बार बसरा से, 712-714 ई. में दूसरी बार सिंध से, और फिर 720-724 ई. में तीसरी बार कास्कर के जंगल से।

जाटों के पश्चिम एशिया के लिए ये तीन प्रव्रजन ही इस पुस्तक की विषय वस्तु है। इन तीन बार के प्रव्रजन को, तीन कहानियों, और उस समय के सामाजिक राजनैतिक और सांस्कृतिक इतिहास के साथ प्रस्तुत करने का प्रयास इस पुस्तक में किया है। यह कृति ईरान, इराक, पूर्वी अरब प्रायद्वीप और फिर पश्चिमी एशिया जाकर बसे उन साहसिक, उद्यमी और निर्भीक जाटों का श्रद्धापूर्ण स्मरण है।

विजय कुमार सिंह

लेखक का परिचय : पुस्तक के लेखक विजय कुमार सिंह का जन्म 13 मार्च 1952 को बुलंदशहर में हुआ। आपने मेरठ विश्वविद्यालय से m.a. हिंदी में उत्तीर्ण किया। आपकी पत्नी स्वर्गीय चमन बड़गोती हैं। आप 1976 से 1985 तक बुलंदशहर में अधिवक्ता रहे। 1985 से 2010 तक श्रम प्रवर्तन अधिकारी के पद पर उत्तर प्रदेश श्रम विभाग में कार्यरत रहे। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के पश्चात आप सिडनी ऑस्ट्रेलिया में निवासरत हैं। आपकी प्रकाशित पुस्तकें हैं:

काव्य संग्रह - वल्लकी (2009), श्रीमती कुसुम चौधरी के साथ स्पंदन (2010), स्तवन (2011), संगिनी (2013), अल्पना (2014), उषोराग (2018), पूर्णिमा (2019), अंतर्मन (2022),

उपन्यास - ऋणमुक्त - दो खंडों में 2019,

संपादन - गंध मेरी माटी की (2019)

आप इस पते पर संपर्क किए जा सकते है - Unit No. 2/1076, Pacific Highway, Pymble, 2073, NSW, Australia.

Email: Vksingh52@hotmail.com