Madho Singh Inania

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लेखक:लक्ष्मण बुरड़क, IFS (R)

Madho Singh Inania (born:1891-) (चौधरी माधोसिंह इनाणिया), from Gangani (गंगाणी), Jodhpur, Rajasthan, was a Social worker in Kota, Rajasthan. [1]

जाट जन सेवक

ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....चौधरी माधोसिंहजी - [पृ.176]: राय साहिब चौधरी हरिरामसिंह जी से मिलती जुलती सूरत के एक मारवाड़ी सज्जन हैं जो इस वृदधावस्था में अपनी भव्य सूरत से लोगों को आकर्षित करते हैं। उनका नाम चौधरी माधो सिंह जी है। आप जोधपुर राज्य के गंगानी गांव के रहने वाले चौधरी टिकु राम जी उपनाम चौधरी सूरत सिंह जी इनानिया गोत के जाट सरदार के सुपुत्र हैं। आप का जन्म संवत 1948 की अनंत चौदस को हुआ था । शिक्षा आपके घर पर ही हिंदी गुरमुखी में हुई।

आपने जवानी के आरंभ में फौजी सर्विस की किंतु उसे कुछ ही दिन बाद छोड़ दिया। इसके बाद एक जमीदार के यहां मुख्तार हुए और उसे भी छोड़ कर कुछ दिन आपने खेती का काम किया। इसके साथ ही PWD में ठेकेदारी आरंभ कर दी।

जन्मभूमि आपकी मारवाड़ है किंतु उन्नति स्थान आपका कोटा राज्य है। कोटा राज्य में आपकी बड़ी इज्जत है। सरकार और जनता दोनों ही में इसका प्रमाण यह है कि कंट्रोल के दिनों में कोटा सरकार ने आपको 10 निजामत का शुगर कोटा दिया। जनता ने आपको किसान सभा वह जमीदार सभा का प्रेसिडेंट और कोषाध्यक्ष चुना।


कोटा राज्य की ओर से आपको मौजा ऊदपुरा बक्सा हुआ है। आप महाराव साहब कोटा के दरबारी भी हैं। और दशहरा, होली तथा जन्माष्टमी के दरबारों में आप नजर पेश करते हैं। मौजा उदपुरा के अलावा आपकी मौजा बकनपुरा, गरढ़ा और मौज में हीवा जमीदारी है। जमीदारी में आपने पक्के मकान कुआं और बाग भी बनाए हुए हैं।


[पृ.177]: कोटा राज्य के बड़े-बड़े ठिकानेदारों, कोयला, पलायता और कुंदाड़ी के सरदारों के साथ आपके बहुत अच्छे ताल्लुकात हैं। कोटा राज्य के जागिरदार जाटों के साथ प्रेम का व्यवहार संभवत: करते हैं। उनका रवैया मारवाड़ के जागीरदारों जैसा नहीं है।

आप कोटा राज्य में संवत 1961 से जमने की कोशिश में थे और संवत 1968 से कतई जाम गाय। यहीं से आपने ग्वालियर और टोंक तक धंधे किए हैं ।

कोटा राज्य में चार प्रकार के जाट आबाद हैं जटूनना, आंजना, बृजवासी और सिखा। आपने चारों के अंदर जो खाई थी उस को पाट दिया है और अब चारों में ही ब्याह शादी होने लगे हैं। आपने अपनी जमीदार के गाव गरडा मे एक स्कूल खोला था जिसको अपने खर्चे से 6 साल तक चलाया।

बाबू गुल्ला राम जी के गांव रतकुड़िया के स्कूल और जोधपुर जाट बोर्डिंग हाउस को भी आपने यथाशक्ति मदद दी है। आप समाज सुधार के मामलों में काफी दिलचस्पी लेते हैं और अपनी जन्मभूमि तथा जाति से खूब प्यार करते हैं।

आपके तीन लड़के हैं जिनमें से रणवीरसिंह (उम्र 16-17 वर्ष), सुखबीर सिंह (उम्र 9-10 वर्ष) पढ़ते हैं। तीसरे अभी छोटे हैं। आप पांच भाई थे जिनमें एक नागराज गुजर गया है। आप इस समय एक समृद्धिशाली और बाइज्जत आदमी है। अत्यंत सज्जन पुरुष हैं।

External links

Gallery

References

  1. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.176-177
  2. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.176-177

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