Kuldeep Singh Rathi

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Kuldeep Singh Rathi

Kuldeep Singh Rathi (Capt) (01.08.1947 - 07.12.1971) became martyr on 07.12.1971 during Indo-Pk war 1971. He was from Sankhol village in Jhajjar district, Haryana. He was awarded with Veer Chakra for his act of bravery.

Unit: 8-Jat Regiment.

कैप्टन कुलदीप सिंह राठी का जीवन परिचय

कैप्टन कुलदीप सिंह राठी

01.08.1947 - 07.12.1971

वीर चक्र (मरणोपरांत)

यूनिट - 8 जाट रेजिमेंट

भारत-पाक युद्ध 1971

कैप्टन कुलदीप सिंह राठी का जन्म 1 अगस्त 1947 को हरियाणा के बहादुरगढ़ से सटे सांखौल गांव में राजरिफ के ऑनरेरी कैप्टन श्री तारीफ सिंह राठी के घर हुआ था। कुलदीप सिंह चार भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। स्कूली शिक्षा के बाद पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए 21 दिसंबर 1968 को उन्होंने भारतीय सेना की जाट रेजिमेंट में एक सेकिंड लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन प्राप्त किया। वे एक उतकृष्ट खिलाड़ी थे। सेना में जाने के उपरांत भी उन्होंने खेलों के प्रति रुचि बनाए रखी। वर्ष 1971 तक वे कैप्टन की रैंक पर पहुंचे व 8 जाट के एडजुटेंट बन गए।

3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के साथ आधिकारिक रूप से युद्ध छिड़ने से पहले ही 8 जाट जम्मू-कश्मीर के पुंछ सेक्टर में तैनात थी। पाकिस्तानी सेना ने 1 दिसंबर 1971 से ही पुंछ पर हमला आरंभ कर दिया था। इस हमले को अधिकतर 8 जाट ने ही झेला था।

कैप्टन राठी 1 दिसंबर के हमले के आरंभिक बचाव से लेकर 7 दिसंबर तक लड़ते रहे, परंतु उन्होंने कुछ मुट्ठी भर सैनिकों के साथ अपनी बटालियन पर दुश्मन के हमले को विफल करते हुए उसे पीछे धकेलकर उसके खंदकों से खदेड़ दिया और उन पर कब्जा कर लिया।

परंतु, 7 दिसंबर 1971 की रात को दुश्मन ने 8 जाट पर तोपखाने की भारी गोलाबारी करते हुए हमला किया। फिर भी, कैप्टन राठी और उनके.जवान इस.गोलाबारी में भी कवर लेते हुए मोर्चे पर डटे रहे। तोपखाने की भयंकर गड़गड़ाहट में भी कैप्टन राठी अपने जवानों को दृढ़ निश्चय से डटे रहते हुए लड़ने के लिए प्रेरित करते रहे। परंतु, तभी दुश्मन तोपखने का गोला लगने से वह गंभीर रूप से घायल हुए व वीरगति को प्राप्त हुए।

उनके दृढ़ निश्चय और अदम्य साक्षस के कारण ही पुंछ सेक्टर में पाकिस्तानी सेना आगे नहीं बढ़ पाई थी। कैप्टन कुलदीप अविवाहित थे। उनके बलिदान होने की सूचना अगले दिन घर पहुंच गई थी। दो सप्ताह बाद मेजर पृथ्वी सिंह उनकी अस्थियां लेकर गांव पहुंचे थे। कैप्टन राठी को उनके नेतृत्व, वीरता और सर्वोच्च बलिदान के लिए वर्ष 1972 में तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरी द्वारा उन्हें मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया था। यह सम्मान उनके पिता श्री तारीफ सिंह ने ग्रहण किया था। बहादुरगढ़ के रेलवे रोड का नाम उनके सम्मान में शहीद कुलदीप राठी किया गया है।

कैप्टन कुलदीप सिंह राठी के बलिदान को देश युगों युगों तक याद रखेगा।

शहीद को सम्मान

स्रोत

चित्र गैलरी

बाहरी कड़ियाँ

संदर्भ


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