Asha Ram Manda

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Asha Ram Manda (अशाराम मंडा) was a freedom fighter and reformer in Rajasthan. He was born in the family of a Manda Jats of village Balera, tahsil Sujangarh district Churu in Rajasthan. He played an important role in Kangar Ratangarh movement against Jagirdars.

जाट जन सेवक

ठाकुर देशराज[1] ने लिखा है ....चौधरी आसाराम जी - [पृ.149]: विद्यार्थी भवन रतनगढ़ के लिए काम करने वालों में एक हैं। तहसील सुजानगढ़ में बालेरा का आपका गांव है। आप परिश्रम और लगन के साथ अपनी संस्था को उन्नत बनाने के लिए यत्नशील रहते हैं।

जीवन परिचय

सुजानगढ़ में प्रजा परिषद् की स्थापना

वर्ष 1942 में गांधीजी ने देश में करो या मरो का नारा दिया और अंग्रेजों को भारत छोड़ने का जय घोष किया। गांधीजी के सत्याग्रह से प्रोत्साहित होकर सुजानगढ़ में भी बीकानेर राज्य प्रजा परिषद् की स्थापना की। पंडित गिरीश चन्द्र मिश्र, सेठ सागरमल खेतान, बनवारीलाल बेदी, लालचंद जैन, फूलचंद जैन जैसे कार्यकर्त्ता शहरी तबके से थे।

ग्रामीण क्षेत्रों से जो कार्यकर्त्ता 1942 से 1945 तक बीकानेर राज्य प्रजा परिषद् सुजानगढ़ के सदस्य बनकर इस संघर्ष में सामिल हुए और अंग्रेजी साम्राज्य, बीकानेर की राजशाही एवं जागीरदारी प्रथा के विरुद्ध बिगुल बजाया उनमे आप मुख्य थे। लादूराम खीचड़ ने प्रजा-परिषद् की गतिविधियों में सक्रीय भाग लिया।[2]

लादूरामजी खीचड़ के साथ प्रजा परिषद् का प्रचार-प्रसार करने वालों में मुख्य थे - रामूराम ढाका, चैनाराम बोला, जेसाराम राव, तिलोक राम बुरड़क, तिलोकराम जानू, बुधराम डूडी, आशाराम मंडा, गिरधारीराम मील आदि। [3]

जाट पंचायतों में

चौधरी लादूराम जीखीचड़ जाट पंचायत के फैसलों में काफी न्याय प्रिय माने गए हैं। ढाका परिवार की एक लड़की को ससुराल पक्ष ने धन के नशे में धके देकर निकाल दिया। इसकी पंचायत नौरंगसर के ढाका जाटों ने सुजानगढ़ के जाट मंदिर के पास बुलाई जिसमे चौधरी लादू राम खीचड़ और चौधरी रामूराम ढाका आदि प्रमुख पञ्च चुने गए थे। चौधरी लादू राम खीचड़ ने उस परिवार पर आर्थिक दण्ड के बजाय कठोर सामाजिक दंड दिया गया।क्योंकि आर्थिक दंड से परिवार पर कोई फर्क नहीं पड़ता।

इसी प्रकार रामपुर के एक कालेर की लड़की आबसर के किलका परिवार में ब्याही थी जिसको लड़के के बाप ने जबरन खुमाराम डोटासरा के साथ भेज दी। आबसर वालों ने जाटों की पंचायत गुलेरिया गाँव में बुलाई। इसमें निम्न लिखित पञ्च चुने गए।

परिवार पर 1300 रु. का आर्थिक दंड आरोपित किया।, लड़की के द्वारा उसके बाप के सर पर 51 जूते मरवाए, खुमाराम डोटासारा के सर पर 21 जूते मरवाए। लड़की को वापस उसके घर भिजवाया जहाँ आज भी वह आनंदपूर्वक अपना जीवन यापन कर रही है। उसका परिवार भरा-पूरा है।[4]

गैलरी

संदर्भ

  1. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.148-149
  2. भीमसिंह आर्य:जुल्म की कहानी किसान की जबानी (2006),p.40
  3. भीमसिंह आर्य:जुल्म की कहानी किसान की जबानी (2006),p.201
  4. भीमसिंह आर्य:जुल्म की कहानी किसान की जबानी (2006),p.204

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