Bajrang Lal Dukiya

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Bajrang Lal Dukiya (Subedar) (20.06.1976-26.05.2022) became martyr of militancy on 26.05.2022 during patrolling duty on LOC in Kashmir at Machil sector in Kupwara district of Jammu and Kashmir. He was from village Phirod, tahsil Nagaur in Nagaur district of Rajasthan. Unit: 15 Jat Regiment

सूबेदार बजरंगलाल डूकिया का जीवन परिचय

srot - patrika.com/nagaur-news/ 30.05.2022

आंसुओं के बीच बह गए अनगिनत सपने, देशभक्ति पर गर्व था चुप रह गए अपने

फिड़ौद गांव का जवान बजरंग लाल डूकिया सरहद पर शहीद हो चुका था, लेकिन इन तक पहुंच पाई आधी-अधूरी खबरों में उसके बीमार होकर घर आने का झूठ था। यह झूठ इसलिए बोला गया, क्योंकि बजरंग के चिर निद्रा में लीन होने की बात बताने का साहस कोई जुटा ही नहीं पाया। शनिवार देर रात तक घर में अजीब सी खामोशी पसरी रही, चिंता के साथ कुछ अनहोनी की आशंका बजरंग लाल डूकिया के बुजुर्ग पिता प्रभुराम (82) को सता रही थी।

वक्त एक ही था पर आलम अलग-अलग। शनिवार की रात ही दूसरी ओर कुछ अलग नजारा था। नागौर में जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल राजेंद्र सिंह जोधा दिल्ली के बाद सडक़ मार्ग से आ रहे बजरंग लाल की पार्थिव देह को रखवाने की तैयारी में जुटे थे। रात करीब साढ़े बारह बजे उनकी पार्थिव देह जेएलएन अस्पताल पहुंची। यहां कर्नल के अलावा गांव के दूर-दराज के तरकीबन डेढ़ दर्जन और लोग मौजूद थे।

जेएलएन अस्पताल से सुबह करीब सवा सात बजे सैन्य वाहनों के साथ सूबेदार बजरंग लाल की देह को उनके गांव फिड़ौद के लिए रवाना किया गया। इसके कुछ मिनट पहले ही शहीद के घर पर सूचना दी गई कि उनके प्राण देश पर न्योछावर हो गए हैं, उन्हें गांव लाया जा रहा है।

पेट्रोलिंग करते समय वीरगति को प्राप्त: गौरतलब है कि भारत पाक सीमा पर जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा के माछील सेक्टर में पेट्रोलिंग करते हुए नागौर की मूण्डवा तहसील के फिड़ौद ग्राम के सूबेदार बजरंगलाल डूकिया (47) गुरुवार 26.05.2022 को शहीद हो गए। भारत पाक सीमा पर एलओसी पर गुरुवार की शाम पेट्रोलिंग करते समय इन्होंने वीरगति प्राप्त की थी। तब ये यह बात फैली तो जरूर पर परिजनों तक नहीं पहुंचने दी।

जयकारों के साथ करुण-क्रंदन: रविवार 29.05.2022 की सुबह शहादत की खबर उनके परिजनों को दी गई। बजरंगलाल के दुनिया छोडऩे की खबर सुनते ही पिता प्रभुराम, पत्नी नैना देवी, बेटी बिंदु, बेटा लोकेश के साथ बजरंग लाल की बहनें विलाप करने लगी। करुण क्रंदन के बीच गांव वाले, जानकार/रिश्तेदार भी वहां पहुंचे, ढाढस बंधाता कौन, जो भी कोशिश करता खुद रो पड़ता। पति के शहीद होने के गर्व पर बच्चों के अनाथ होने का दर्द वीरांगना नैना देवी पर भारी था। मिचमिचाती आंखों से प्रभुराम न जाने क्या ताक रहे थे। बेटी बिंदु-बेटा लोकेश दहाड़े मार-मार कर रो रहे थे, बहनें भाई के जुदा होने पर व्यथित थीं तो गांव वाले अपने लाल को खोने का दु:ख महसूस कर रहे थे।

सम्मान देने जुट गया गांव: बजरंगलाल डूकिया की पार्थिव देह आने की खबर से गांव शहीद के सम्मान में जुट गया। मूण्डवा के पूर्व प्रधान सुखराम फिड़ौदा, पूर्व सरपंच इंद्रचंद फिड़ौदा, प्रधान प्रतिनिधि रेवंतराम, वर्तमान सरपंच समेत गांव के अन्य लोग तैयारियों में जुट गए। गांव में पार्थिव देह रखने के साथ राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार के प्रबंध किए गए।

विलाप के सुर तेज: करीब नौ बजे सैन्य वाहन के साथ शहीद बजरंगलाल की पार्थिव देह उनके निवास पहुंची। इसके बाद करुण-क्रंदन के सुर तेज हो गए। शहीद के जयकारों के साथ हर कोई नम आंखों के साथ खड़ा था। वीरांगना नैना देवी, बच्चे ही नहीं हर कोई बेसुध सा था। पिता प्रभुराम चुपचाप सा देख रहे थे, धूप के तीखे तेवर और उस पर गर्म हवाओं के थपेड़ों के बीच शहीद को सम्मान देने के लिए हर कोई मजबूती से खड़ा था। महिलाएं, बुजुर्ग के साथ युवा और बच्चे ही नहीं अनगिनत लोग शहीद की एक झलक पाने को बेताब थे। मातमी धुन के बीच कभी क्रंद्रन के सुर दब जाते तो कभी इतने तेज हो जाते कि जयकारों को खामोश कर देते। सीओ मदनलाल, मूण्डवा थाना प्रभारी रिछपाल सिंह समेत पुलिस बल भीड़ को व्यवस्थित करने में लगा रहा।

सांत्वना देने पहुंचे: इधर, घर से पार्थिव देह को उठाया जा रहा था, उधर श्रद्धासुमन अर्पित करने वालों की भीड़ बढ़ती जा रही थी। कलक्टर पीयूष सामरिया, एसपी राममूर्ति जोशी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सीआर चौधरी, नागौर विधायक मोहनराम चौधरी, खींवसर विधायक नारायण बेनीवाल, पूर्व विधायक हबीबुर्रहमान, हनुमान बांगड़ा, मूण्डवा के पूर्व प्रधान सुखराम फिड़ौदा, राजेंद्र फिड़ौदा आदि ने यहां पुष्पचक्र अर्पित कर परिजनों को सांत्वना दी।

नम आंखों से अंतिम यात्रा: इसके बाद घर से शहीद की अंतिम यात्रा रवाना हुई। छोटे-छोटे बच्चों से लेकर बड़े-बुजुर्ग तक। जब तक सूरज-चांद रहेगा, भारत माता की जय के साथ अनगिनत जयकारों के साथ शव यात्रा तय स्थान पर पहुंची। यहां शहादत को सलाम देने के लिए दूर-दूर तक लोग मौजूद थे। छतें भरी थीं, तो कोई पेड़ पर तो कई मलबे पर खड़े होकर शहीद को सम्मान देने के लिए खड़ा था। धूप की तल्खी किसी को नहीं सता रही थी, हर कोई अपने शहीद को नमन करने के लिए खड़ा था। वीरांगना नैना देवी ने शहीद को नमन किया, बीकानेर से आई सेना की टुकड़ी ने शहादत को सेल्यूट किया। बेटे लोकेश ने मुखाग्नि दी। जयकारों की गूंज ने गांव के लाल बजरंगलाल को अंतिम सलामी दी। राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हुआ।

रोते-कलपते, संभालते रहे: हर कोई दु:खी था। बजरंग लाल के साथी, साथ पढऩे-लिखने वाले, गांव में रहने वाले ही नहीं फौज में साथ ड्यूटी निभाने वाले। हर कोई गमजदा था। भतीजे को संभालना मुश्किल हो रहा था तो बेटी दहाड़े मारकर अपने पिता को याद कर रही थी, आंसुओं के बीच अनगिनत सपने बह गए थे। रोते-कलपते अपने अपनों को संभालने में लगे रहे।

15 जाट रेजीमेंट में सूबेदार: 20 जून 1976 को जन्मे बजरंग लाल 28 फरवरी 1995 को सेना में भर्ती हुए थे। 27 साल तक उन्होंने देश सेवा की। शादी 22 मई 1997 को नैनीदेवी के साथ हुई। इनकी पुत्री बिंदु (21) बीएड कर रही है, जबकि पुत्र लोकेश ग्रेजुएशन। बजरंग लाल की माता का कुछ समय पूर्व ही स्वर्गवास हुआ था। पिता प्रभुराम (82) पिछले कई दिनों से बजरंग लाल को याद कर रहे थे।

शहीद को सम्मान

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ


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