Beebasar

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Beebasar (बीबासर) (Bibasar) is a medium-size village in Jhunjhunu tahsil & district in Rajasthan. It is fully a village of Dangi gotra Jats.

Location

Founders

Jat Gotras

Population

The Beebasar village has the total population of 2106, of which 1020 are males while 1086 are females (as per Population Census 2011).[1]

History

बीबासर में लगान वसूली

बीबासर में लगान वसूली - 5 जनवरी 1946 को मंडावा ठिकाने के कर्मचारी गाँव बीबासर में लगान लेने पहुंचे. उन्होंने किसानों को धमकाना शुरू कर दिया. किसी भी तरीके से लगान लेना चाहते थे. कुछ भयभीत किसानों ने लगान दे दिया था. सत्यदेव सिंह के नेतृत्व में वहां किसान कार्यकर्ताओं ने धरना दिया. हरदेव सिंह बीबासर, भैरु सिंह तोगडा सहित आस-पास के गाँवों के अनेक किसान कार्यकर्ताओं का जमघट लग गया. धरना रात-दिन निरंतर चलता था. किसान रात को समय बिताने के लिए वे देशभक्ति के गीत गाने लगे. सत्य देव सिंह धरना स्थल से थोड़ा हटकर घूम रहे थे. सहसा ही गोली चलने की आवाज आई. धरना-स्थल के किसान चोकन्ने हो गए. उन्हें लगा की ठिकानेदारों के कारिंदों ने गोली चलाई है. लेकिन कारिंदों में कोई हलचल नहीं हुई. बाद में पता लगा कि बीबासर गाँव का डकैत सूरजभान डांगी वहीं पहाड़ी पर छिपा हुआ था. अँधेरा होने पर उसने ठिकानेदारों का कैम्प समझकर गोली चलादी. सौभाग्य से गोली किसी को लगी नहीं. असलियत प्रकट होने पर सूरजभान ने भी खेद प्रकट किया. रात को ही पुलिस गाँव में आ गयी थी. यह देख कर सूरजभान वहां से तुरंत फरार हो गया. [2]

पुलिस ने बीबासर में 17 किसानों को गिरफ्तार किया ये सभी पैदल जाने को तैयार नहीं थे. पुलिस के पास ऐसी गाड़ी नहीं थी, जिसमें पंद्रह व्यक्ति बैठ सकें. गिरफ्तार किसानों को वहीं छोड़ दिया गया. धरना बराबर चलता रहा. आखिर 15 जनवरी को पुलिस द्वारा बीबासर गाँव से 13 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर जयपुर सेन्ट्रल जेल में डाल दिया. इनमें प्रमुख थे -

1. सत्यदेव सिंह देवरोड़,
2. भैरू सिंह तोगडा, गाँव टिड्डियापुरा के
3. ओंकार सिंह,
4. सुरजन सिंह,
5. जयनारायण,
6. तेजसिंह, गाँव फतेहसरा के
7. लादू राम व
8. राम कँवर सिंह, गाँव बीबासर के
9.अर्जन व 10.पन्ना, बाकरा के
11. भानी राम, कुलड़िया बास के
12.पेमा राम, बाडलवास के
13. नाथू सिंह. बाद में ताड़केश्वर शर्मा को 16 जनवरी 1946 को झुंझुनू में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. (डॉ पेमा राम 205)

Notable persons

  • अर्जुन राम बीबासर - 15 जून 1946 को झुंझुनू में किसान कार्यकर्ताओं की एक बैठक चौधरी घासी राम ने बुलाई. शेखावाटी के प्रमुख कार्यकर्ताओं ने इसमें भाग लिया. अध्यक्षता विद्याधर कुलहरी ने की. इसमें यह उभर कर आया कि भविष्य में समाजवादी विचारधारा को अपनाया जाये. जिन व्यक्तियों ने किसान सभा का अनुमादन किया उनमें आप भी सम्मिलित थे. (राजेन्द्र कसवा, p. 201-03).
  • सूरजभान डांगी - बीबासर गांव का रहने वाला था. सूरजभान को दुनिया डाकू के नाम से जानती है. दर असल उस समय सामन्त शाही की तूती बोलती थी और स्वतन्त्रता सेनानी को देश द्रोही कहा जाता था. सूरजभान ऐसा मर्द था जिसे देख कर भीमसेन पांडव क स्मरण हो जाता था. उसने सामन्त शाही के खिलाफ़ बन्दूक ऊठाई और दुष्टों के कब्जे से माल छीनकर जनता में बांटने के कारण खतरनाक डकैत कहलाने का कारण बना. वह बहुत चरित्रवान व्यक्ति था जिसने कभी गरीब को नहीं सताया ना ही पराई औरत की तरफ़ नजर ऊठाई.
एक दिन सूरजभान फ़तेहपुर से होकर गांव जा रहा था. गारिण्डा का करीम खां उस समय जीप रखता था. पुलिस ने करीम खां की जीप ली और एक ठाकुर को लेकर बीबासर पहुंचे. करीम खां अपने को तीसमारखां समझता था सो उसने सूरजभान की पत्नी से कहा,"अरे तुम्हारे पति को समझाती नहीं. वह दादागिरी करता है. यह समझ तुम्हारा चूडा फ़ूट गया, तुम्हें लम्बी बाह की कुर्ती पहननी पडेगी." वह बोली,"ज्यादा बोलना महंगा पड जायेगा. उन्हें पकड़ने की हिम्मत है तो इस रस्ते गये हैं पकड़ लेना."
सिपाही और करीम खां रास्ते-रास्ते गये तो देखा कि एक खेत में रोहिडे के पेड़ के नीचे सूरजभान सो रहा था और ऊंट कांकड़ में चर रहा था. सिपाहियों की बन्दूक चलाने की हिम्मत नहीं हुई.वे चुप-चाप खिसक लिये. सूरजभान अपने घर आया तो पत्नी ने करीम खां के बारे में बताया. सूरजभान बिना पानी पिये ही अपने साथी राम देव कोलीडा और एक मीणा को लेकर रवाना हुआ. फ़तेहपुर में एक सिपाही ने दादागिरी की तो उसको गोली से उडा दिया. गारिण्डा जाकर करीम खां को आवाज लगाई. वह बाहर आया तो उसे गोली से ऊडा दिया. करीम खां का पुत्र भंवर खां बन्दूक लेकर निकला तो उसे भी सुख की नीन्द सुला दिया. तभी औरतें गाती हैं-
करीम खां को मार, भंवर खां नै मारयो।
बीबियां न काला वस्त्र पहना, सूरजभान दहाडो भारी दिन्यो।। [3]
  • सूरजभान डांगी और रणजीत सिंह चौधरी पर धर्मेन्द्र की गुलामी फिल्म बनी है.[4]

External links

References

  1. http://www.census2011.co.in/data/village/71095-beebasar-rajasthan.html
  2. राजेन्द्र कसवा: मेरा गाँव मेरा देश (वाया शेखावाटी), प्रकाशक: कल्पना पब्लिकेशन, जयपुर, फोन: 0141 -2317611, संस्करण: 2012, ISBN 978-81-89681-21-0, p. 192
  3. मनसुख रणवां: राजस्थान के संत-शूरमा एवं लोक कथाएं, प्रकाशक: कल्पना पब्लिकेशन, दूसरी मंजिल, दुकान न. 157 , चांदपोल बाजार, जयपुर-302001, 2010, पृ.78
  4. Dr Mahendra Singh Arya, Dharmpal Singh Dudee, Kishan Singh Faujdar & Vijendra Singh Narwar: Ādhunik Jat Itihasa (The modern history of Jats), Agra 1998, Section 9 pp. 20

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