Harbans Singh Chahal

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Major Harbans Singh Chahal , 14 Grenadiers

Harbans Singh Chahal (Major) (08.12.1938-14.12.1971) became martyr on 14.12.1971 during Indo-Pak War-1971 in the Battle of Daruchian. He was from Ganganagar in Rajasthan. Unit - 14 Grenadiers Regiment


मेजर हरबंस सिंह चहल

मेजर हरबंस सिंह चहल

08-12-1938-14-12-1971

वीरांगना - श्रीमती बलजीत कौर

यूनिट - 14 ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट

डारूचियन का युद्ध

ऑपरेशन कैक्टस लिली

भारत-पाक युद्ध 1971

मेजर हरबंस सिंह चहल राजस्थान के श्रीगंगानगर के निवासी थे और भारतीय सेना की ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट की 14 बटालियन की 'B' कंपनी में सेवारत थे।

वर्ष 1971 में 14 ग्रेनेडियर्स बटालियन की कमान लेफ्टिनेंट कर्नल इंद्रजीत सिंह ने संभाल रहे थे। 3 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान के साथ युद्ध छिड़ने के पश्चात, 14 ग्रेनेडियर्स पश्चिमी मोर्चे पर सेवाएं दे रही थी। 10 दिसंबर तक, यह स्पष्ट हो गया था कि पुंछ पर पाकिस्तानी आक्रमण विफल हो रहा था और इस कारण भारत को उत्कृष्ट रक्षात्मक मुद्रा के लिए कुछ सीमित कार्रवाइयों की आवश्यकता थी। अतः , डारूचियन को पाकिस्तानियों से लेने की आवश्यकता थी क्योंकि यह पुंछ नदी और सीमा के मध्य कोटली-बलनोई मार्ग के बलनोई Neck को अवरुद्ध करने वाली विशेषता थी। डारूचियन में पाकिस्तानी सैनिकों की केवल 1 कंपनी और किंचित मुजाहिदों के तैनात होने की गोपनीय सूचना थी।

13-14 दिसंबर 1971 की रात्रि को 14 ग्रेनेडियर्स बटालियन को डारूचियन भूभाग पर स्थित शत्रु पर आक्रमण करने का कार्य सौंपा गया था। दुर्भाग्य से, माला क्षेत्र से 'B' कंपनी पर भारी स्वचालित गोलीवर्षा हुई थी, जिससे 'B' कंपनी को गंभीर क्षति हुई और आक्रमण की गति मंद हो गई थी। जैसा कि 'B' कंपनी कमांडर और शेष सैनिक शीर्ष बिंदु तक चले गए थे‌ और कंपनी कमांडर मेजर हरबंस सिंह चहल खदान विस्फोट से घायल हो गए थे।

साथ ही, 'A' कंपनी खच्चरों के मार्ग से होते हुए उत्तर से शीर्ष पर आक्रमण करने के लिए आई और 'A' कंपनी भी तीव्र पाकिस्तानी गोलीवर्षा में घिर गई थी, और कंपनी कमांडर सहित इसके समस्त अधिकारी बलिदान हो गए। 'A' कंपनी अस्त-व्यस्त हो गई थी और पीछे हटने को विवश हो गई।

13-14 दिसंबर की रात्रि को 1:00 बजे, 14 ग्रेनेडियर्स बटालियन की 'C' कंपनी ने अपना आक्रमण किया और लगभग दो-तिहाई लक्ष्य पर अधिकार कर लिया। उस क्षेत्र में एक बास्केटबॉल कोर्ट था और 'C' कंपनी वहां तक पहुंच गई थी, किंतु पाकिस्तानी बंकरों से हो रही तीव्र गोलीवर्षा ने आक्रमण को रोक दिया था। आक्रमण का नेतृत्व कर रहे कंपनी कमांडर घायल हो गए और कंपनी के सैकिंड-इन-कमांड बलिदान हो गए।

उस रात्रि 1:12 बजे 'D' कंपनी ने अपना आक्रमण आरंभ किया था ताकि दक्षिणी पहुंच मार्ग के साथ दक्षिण-पश्चिम चोटी लिए जा सके किंतु कंपनी कमांडर और शेष कंपनी अस्त-व्यस्त हो गई। 'D' कंपनी भी पाकिस्तानी मीडियम मशीनगनों के प्रचंड फायर में घिर गई और उसके कंपनी कमांडर बलिदान हो गए।

14 दिसंबर को प्रातः 6:00 बजे तक, 14 ग्रेनेडियर्स के आक्रमण में हतायत (घायल अथवा बलिदान) अनेक अधिकारियों व अनेक हताहतों की संख्या व युद्ध में बटालियन सीओ के संपर्क से बाहर होने के साथ, यह स्पष्ट हो गया था कि डारूचियन भूभाग पर बहुपक्षीय आक्रमण पूर्ण रूप से विफल हो गया था।

दिन के उजाले में 14 ग्रेनेडियर्स बटालियन के रिजर्व सैनिक 'C' कंपनी में सम्मिलित हो गए थे, जिससे वे पुनः तीव्र मशीन गन और तोपखाने की गोला वृष्टि में आ गए। 'A' कंपनी संचार से बाहर थी, 'B' कंपनी व्यापक स्तर पर हताहत हुई थी, 'D' कंपनी पीछे हट रही थी और मात्र 'C' कंपनी ही युद्ध में संघर्ष कर रही थी।

ब्रिगेड कमांडर ने दूसरी कंपनी भेजी थी किंतु 14 दिसंबर के सूर्यास्त तक 'C' कंपनी को पृथक करने का कार्य सौंपा गया था और अंततः डारूचियन पर आक्रमण को रोक दिया गया था। इस आक्रमण में 14 ग्रेनेडियर्स बटालियन के लगभग 54 अधिकारी/सैनिक हताहत हुए थे। 'C' कंपनी कमांडर मेजर हमीर सिंह युद्धबंदी बना लिए गए थे।

मेजर एच.एस. चहल, मेजर एस.आर. डोगरा, मेजर एम.एच. खान, कैप्टन ओ.पी. दादल, कैप्टन बख्शीश सिंह, सैकिंड लेफ्टिनेंट जी.पी. बहुखंडी, लांस हवलदार मोहम्मद हनीफ, लांस नायक कुतुबुद्दीन खान, ग्रेनेडियर भगवंत सिंह भाटी, ग्रेनेडियर किशोर सिंह, ग्रेनेडियर खुर्शीद अली खान व अन्य सैनिक अंतिम श्वास तक अपना कर्तव्य निर्वहन करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे।

शहीद को सम्मान

स्रोत

बाहरी कड़ियाँ

संदर्भ


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