Jat Itihas Ki Bhumika/Upsanhar

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जाट इतिहास की भूमिका

उपसहांर

[p.100]: आज से 7500 वर्ष पहले नागवंशी अर्य जाटों ने चार्वाक दर्शन आधारित राखीगढ़ी सभ्यता को बसाया था, जिसे पश्चीमी यूरेशिया से आए आर्य ब्राह्मणों ने उजाड दिया और वैदिक काल की शुरूआत की। राखीगढ़ी-सिंधु सभ्यता में जाटों का लीडर राजा शंबर था, जबकि विदेशी ब्राह्मणों का लीडर परशुराम था।

वैदिक काल में ब्राह्मणों ने गौ हत्या शुरू की और गाय को खाना शुरू किया। इस वैदिक राज के खिलाफ 2500 वर्ष पहले महात्मा बुद्ध ने क्रान्ति की, जिसमें जाटों ने अग्रिम पंक्ति की भूमिका निभाई। बौध्द की क्रांति को खत्म करने के लिए ब्राह्मण सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने सम्राट अशोक के दसवी पीढ़ी के पड़पौत्र सम्राट बृहद्रथ की हत्या कर दी और खुद राजा बन बैठा, जिसके बाद बौध्दो पर जबरदस्त जुलम ढ़ाए गए, जिससे बौध्द विदेशों अथवा जंगलों में चले गए।

समय पाकर ये जंगलों से सिध्दों और नाथों की नई पहचान के साथ बाहर आए। अब इन्होने नमो शिवाय कहना शुरू किया। महाराजा हर्षवर्धन (बैंस गोत्री जाट) ने शिव धर्म को बढावा देने के लिए, बौध्द धर्म छोडकर शिवधर्म अपना लिया, जिससें ब्राह्मणों ने षड्यंत्र करके महाराजा हर्षवर्धन की हत्या कर दी। साथ ही शैव धर्म को हाईजैक करने के लिए ब्राह्मणों ने केरल प्रांत के ब्राह्मण आदि शंकराचार्य को शिव का अवतार घोषित किया और भारत दौरे के मिशन पर भेज दिया।

इस आदिशंकराचार्य ने देश की मार्शल जातियों को भ्रमित किया और दो जगरूक बौध्द धर्मी जाटों ने इसकी हत्या कर दी।


[p.101]: ब्राह्मणों की चालों से भारत कमजोर हुआ, जिससे देश में मुगलराज की स्थापना हुई, ब्राह्मण विदेशी होने के नाते मुगलों का भी खासमखास बन गया।

मुगलराज के पतन के बाद देश में अंग्रेजी राज कायम हो गया, क्योंकि 17वी शताब्दी में यूरोप में हुई औद्यौगिकी क्रांति से तकनीक के मामले में इसाई, मुसलमानों से आगे निकल गए थे।

शुरूआत में ब्राह्मणों ने अग्रेजों को भी अपने पाले में ले लिया। मंगल पांडे ब्राह्मण अग्रेजों की ही फौज में था। लेकिन अंग्रेज जल्दी ही ब्राह्मणों की असलियत को समज गए और उन्होने भारत की मार्शल जातियों से पींगे बढानी शुरू की। अग्रेजों के इस बदलते रूख को भापंकर ब्राह्मणो ने अग्रेजों का विरोध करना शुरू किया, जिसमें उनका साथ यहूदियों ने भी दिया। गांधी और ऐनि बेसेंट को यहूदियों ने ही भारत में भेजा था।

द्वितिय विश्व युध्द के बाद उपजी वैश्विक परिस्थितियों का लाभ उठाकर यहूदियों ने भारत को ब्रिटेन से अलग करवा दिया; भारत की सत्ता पंडित जवाहरलाल नेहरू को अपने एजेंट गांधी के माध्यम से दिलवा दी; जाटों का विभाजन ( भारत विभाजन) करवा दिया जिससे पंजाब की धरती पर पाकिस्तान बन गया और इजराईल देश बना लिया। जाटों के विभाजन पर से ध्यान बांटने के लिए राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के स्वंयसेवक रहे नत्थूराम गोडसे, महाराष्ट्र के ब्राह्मण् ने लाला गांधी का मर्डर कर दिया।


[p.102]: 'पाकिस्तान' को भारतीय ब्राह्मण हमेशा अपनी आनशिक राजनीति के लिए इस्तेमाल करता रहा है। चाहे वह 1971 की जंग के बाद का चुनाव हो, जिसमें इंदिरा ब्राह्मणी प्रधानमंत्री बनी, चाहे वह 1999 की कारगिल लडाई के बाद का चुनाव हो जिसमें ब्राह्मण अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बना या चाहे सितंबर 2016 में यूपी के इलेक्शन के मद्देनजर की गई सर्जिकल स्ट्राईक हो।

ब्राह्मणों ने पाकिस्तान का निर्माण जाटों की कमर तोड़ने के लिए किया था, लेकिन इस पर भी पाकिस्तानी जाट अपनी मेहनत से आगे बढ़ता रहा और इसने कभी भी भारतीय जाट को अपना दुश्मन नही माना। युध्द की स्थिती में भी यह पूर्वी पाकिस्तान के मोर्चे से भारत पर हमले की चेतावनी देता था, जिससे उत्तर भारत की जाट आबादी क्षेञ को युध्द की आँच से बचाया जा सकें। ब्राह्मणी इंदिरा गांधी पाकिस्तानी जाटों की इस मंशा को समझती थी; इसलिए उसने 1971 की भारत-पाकिस्तान की जंग से पूर्वी पाकिस्तान को स्वतंञ देश बग्ंलादेश बनवा दिया, जिससे अब जब कभी भी भारत-पाकिस्तान की जंग होगी तो नुकसान केवल उत्तरभारत (जाटों) को होगा और पाकिस्तान में भी पंजाब (जाटों) को नुकसान होगा। इंदिरा गांधी की इस कार्यवाही पर ब्राह्मण अटलबिहारी वाजपेयी ने उसे दुर्गा कहा था। दुर्गा; इसलिए क्योंकि इंदिरा ब्राह्मणी ने पूर्वी पाकिस्तान को अलग देश बनाकर दुर्गा पूजक बंगाल को युध्द के नुकसान से बचाकर, शिव (जाटों के) के गले पर पाँव रख दिया था।

बग्ंलादेश का नुकसान खाकर भी पाकिस्तानी जाट आगे बढ़ते रहे और अब इन्होने दक्षिण ऐशिया की सबसे बड़ी Contradiction ब्राह्मण की नीतियों को समझकर बौध्दधर्मी चीन से गठजोड कर लिया है, जिससे भारत का ब्राह्मण और यहूदी देश अमेरिका घबरा गया है। पाकिस्तान के


[p.103]: जाटों को नुकसान पहुंचाने के लिए ब्राह्मण वहां पर बलोचिस्तानी राजकुमार सैनी टाईप लोगों को हवा दे रहा है। दूसरी और भारत में ब्राह्मण केन्द्र सत्ता में होने की वजह से जाटों का जबरदस्त दमन कर रहा है और 1947 से आज तक करता आया है।

जाटों को कभी भी इनकी फसलों का उचित मूल्य नही मिला; इनकी जमीनों का बाजार भाव से अत्यधिक कम मूल्य पर बनिया कपनियों के हक में सरकार द्वारा अधिग्रहण कर लिया जाता है; इनके आस्था के केन्द्र सवर्ण मंदिर पर 1984 में ब्राह्मणी इंदिरा गांधी ने आप्रेशन बलूस्टार करवाया था; भारतीय पंजाब को नशे के द्वारा बर्बाद किया जा रहा है; ब्राह्मण पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाटों का हिन्दूकरण करके मुज्जफरनगर में जाट-मुस्लिम दंगे करवाने में सफल रहा; राजस्थान में जाटों की सबसे अधिक आबादी होने पर भी आज तक कोई जाट मुख्यमंञी नही बन पाया है; गरीब जाट जब आरक्षण की मांग करते है तो उन पर सीधी गोलियां चलाई जाती है, देशद्रोह की धाराएं लगाकर, झूठे मुक्द्में लगाकर जेलो में सड़ने पर मजबूर किया जाता है; ब्राह्मणवादी मीडिया ने खाप पंचायतों को दूनिया की सबसे निर्मम तथा घटिया लोगो की पंचायत प्रचारित किया हुआ है; फिल्मों और टीवी धारावाहिकों में जाटों और हरियाणवी भाषा का मजाक उड़ाया जाता है; जाटों के देवी देवताओं की कोई इज्जत नही हो रही इनकी जगह जाटों को साईबाबा, गणेश, तिरूपति और शनिमहाराज का भक्त बनाया जा रहा है, राजकुमार सैनी जैसे सांसदों को ब्राह्मणों ने जाटों का मनोबल गिराने के लिए मैदान में उतार रखा है; जाटों को राजनैतिक तौर पर किनारे लगाने के लिए ब्राह्मण-बनिया-अरोडा-खत्री, 35 बिरादरी के खुलेआम नारे लगा रहे है; सर छोटूराम की मूर्तियों को तोडा जा रहा है; हरियाण में ब्राह्मणो की कमाई का स्थायी स्रोत बनाने के लिए सरस्वती


[p.104]: नदी परियोजना पर काम चल रहा है, जिसके घाट पर बैठकर ब्राह्मण जाटों को ठगा करेगें; महाराजा हर्षवर्धन की राजधानी रही थानेसर (कुरूक्षेत्र) में अन्तर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव जैसे कार्यक्रम शुरू किए है, जिससे हरियाणा के जाटों का ब्राह्मणीकरण होवे और सेक्युलर जाटों की छवि को बट्टा लगे; जिस गाय को ब्राह्मण यूरेशिया से खाता आया है अब उसी गाय को जाटों की कमजोरी बना कर जाट-मेव दंगे करवाने की कोशिश चल रही है।

अत: जाटों को अपने उपर आए इस अन्तर्राष्ट्रीय संकट का मुकाबला करने के लिए, अपनी अपनी छोटी राजनीति और स्वार्थपरता को छोड कर; सांझे दुश्मन ब्राह्मण के खिलाफ एक मंच पर इक्ट्ठा होना होगा। सभी देशों, सभी पंथों, सभी धर्मों के जाटों को विचारधारात्मक तौर पर एक समझ बनानी होगी।

मै जाटों को चेतावनी देता हू कि अगर अब भी जाट नही चेते और ब्राह्मणवाद से मुकम्मल जंग लड़ने के लिए खड़े नही हुए, तो फिर जाटों का अस्तित्व ही धरती से खत्म हो जाएगा। मुझे भविष्य साफ साफ नजर अ रहा है; जाटों तुम दुश्मन को पहचान लो, अन्यथा बर्बादी तय है।मेरी यह चेतावनी अंतिम चेतावनी है, फिर न कहना कि कोई बताने वाला नही आया था।

जय यौध्देय

Long Live Unionist Mission.


The End

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