KS Budhwar

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Major KS Budhwar SM , 17 Kumaon

KS Budhwar (Major) (05.02.1931 - 18.02.1970) became martyr of militancy on 18.02.1970 in Mizoram fighting with Mizo National Front militants. He was awarded with Sena Medal (posthumous) for his act of bravery. He was from Sunari Kalan village in Rohtak district of Haryana.

Unit - 17 Kumaon Regiment

मेजर के. एस. बुधवार

मेजर के. एस. बुधवार

IC11814

05-02-1931 - 18-02-1970

सेना मेडल (मरणोपरांत)

यूनिट - 17 कुमाऊं रेजिमेंट

आतंकवाद विरोधी अभियान

मेजर के.एस. बुधवार का जन्म ब्रिटिश भारत में 5 फरवरी 1931 को अविभाजित पंजाब में हुआ था। वह हरियाणा के रोहतक जिले के सुनारिया कलां गांव के निवासी थे।

वर्ष 1970 में , मेजर केएस बुधवार असम में आतंकवाद विरोधी अभियानों में तैनात थे। 1987 में मिजोरम राज्य के गठन से पूर्व, असम राज्य के मिजो जिले में मिजो-बहुल क्षेत्र थे। मिजो संघ सहित मिजो संगठन दीर्घ समय से असम सरकार के सौतेले व्यवहार पर आपत्ति जताते थे और मिजो जन के लिए एक भिन्न राज्य की मांग करते थे। सरकार के प्रति बढ़ते असंतोष के परिणामस्वरूप अंततः मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) के नेतृत्व में एक अलगाववादी आंदोलन आरंभ हुआ।

मिजो नेशनल फ्रंट के भीतर चरमपंथी वर्ग ने भारत से स्वतंत्रत होने के लिए हिंसा के प्रयोग पर बल दिया। इस उद्देश्य के लिए मिजो नेशनल आर्मी (MNA) नामक एक विशेष सशस्त्र विंग बनाई गई थी। मिजो नेशनल आर्मी में भारतीय सेना के अनुरूप संगठित आठ पैदल सेना बटालियन सम्मिलित थे। ये विद्रोही प्रायः भारतीय सेना के सैनिकों पर आक्रमण करते थे। एक परिचालन योजना के भाग के रूप में मेजर केएस बुधवार की बटालियन को मिजो-विद्रोहियों के शिविरों को निष्क्रिय करने का विशेष कार्य दिया गया था।

18 फरवरी 1970 को मेजर बुधवार को विद्रोहियों के विरुद्ध ऐसे ही एक ऑपरेशन का कार्य सौंपा गया था। योजना के अनुसार, मेजर बुधवार अपने 1 हवलदार और 5 अन्य रैंक के दल के साथ लांकर (उस समय पूर्वी पाकिस्तान) के निकट संदिग्ध क्षेत्र में पहुंचे। मेजर बुधवार ने विद्रोहियों को भ्रमित करने के लिए चतुराई से अपने सैनिकों को तैनात किया। स्वयं अगुवाई से नेतृत्व करते हुए मेजर बुधवार ने विद्रोहियों पर सफलतापूर्वक घात लगाकर आक्रमण किया और उनके संपूर्ण सेक्शन को समाप्त कर दिया। किंतु निकट की झाड़ियों के पीछे छिपे एक विद्रोही ने इन कुमाऊं सैनिकों पर निकट से गोलियां चलाईं।

यह आक्रमण मेजर बुधवार और उनके साथियों के लिए घातक सिद्ध हुआ। भारतीय सेना द्वारा किए गए प्रथम SURGICAL STRIKES में से एक इस कार्रवाई का वृत्तांत सुनाने के लिए उनमें से कोई भी जीवित नहीं रहा। आक्रमण स्थल से लगभग 50 किमी दूर स्थित फुलडुंगसेई नामक गांव में इन बलिदानी सैनिकों का अंतिम संस्कार किया गया।

इस कार्रवाई में सम्मिलित थे -

मेजर के. एस. बुधवार IC11814 सेना मेडल (मरणोपरांत) यूनिट - 17 कुमाऊं रोहतक, हरियाणा

नायक बलवंत सिंह नेगी 4036119 यूनिट - 13 कुमाऊं पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड

सिपाही नारायण सिंह रावत 4041929 यूनिट - 13 कुमाऊं पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड

सिपाही गोपाल दत्त 13604130 यूनिट - 16 कुमाऊं पिथौरागढ़, उत्तराखंड

सिपाही मेहर भान सिंह 4045013 यूनिट - 17 कुमाऊं पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड

सिपाही सुरेंदर सिंह 4157660 यूनिट - 17 कुमाऊं पिथौरागढ़, उत्तराखंड

ने अपने कर्तव्य का पालन करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया।


शहीद को सम्मान

चित्र गैलरी

स्रोत

संदर्भ


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