Samsher Singh Samra

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Samsher Singh Samra

Samsher Singh Samra (Second Lt) (10.06.1945 - 17.12.1971), Maha Vir Chakra (Posthumous), became martyr on 17.12.1971 during Indo-Pak War-1971 at Meghna Heli Bridge, codenamed Operation Cactus Lilly. It was an aerial operation of the Indian Air Force during the Indo-Pakistani War of 1971, commencing India's involvement in Bangladesh Liberation War. Unit: 8 Guards Regiment. He was from village Pakhoke in Taran Taran district of Punjab.

सेकंड लेफ्टिनेंट शमशेर सिंह सामरा

सेकंड लेफ्टिनेंट शमशेर सिंह सामरा

10-06-1945 - 17-12-1971

यूनिट - 8 गार्ड्स रेजिमेंट

(ब्रिगेड ऑफ द गार्ड्स)

हिली का युद्ध

ऑपरेशन कैक्टस लिली 

भारत-पाक युद्ध 1971

सेकंड लेफ्टिनेंट शमशेर सिंह का जन्म ब्रिटिश भारत में, 10 जून 1945 को संयुक्त पंजाब में वर्तमान तरनतारन जिले के पखोके गांव में सरदार गुरदीप सिंह सामरा के घर में हुआ था। उन्होंने डीएवी स्कूल शिमला से शिक्षा प्राप्त की। स्नातक के पश्चात उन्होंने ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी, मद्रास में प्रवेश लिया।

15 मार्च 1970 को ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी से पास आउट होने के पश्चात उन्हें भारतीय सेना की ब्रिगेड ऑफ द गार्ड्स रेजिमेंट की 8 बटालियन में सेकंड लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन प्राप्त हुआ था। अपनी मात्र डेढ़ वर्ष की सेवा के पश्चात ही पाकिस्तान से युद्ध आसन्न होने पर वह सक्रिय युद्ध में जुड़ गए।

1971 के युद्ध में 8 गार्ड्स बटालियन को 20 माउंटेन डिवीजन के परिचालन नियंत्रण में कार्यरत 202 माउंटेन ब्रिगेड के अधीन पूर्वी सेक्टर में तैनात किया गया था। 8 गार्ड्स बटालियन को तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) के सीमावर्ती और सामरिक महत्व के हिली नगर के निकट तैनात किया गया था। हिली का युद्ध पूर्वी क्षेत्र में अत्यंत बर्बरता से लड़ा गया युद्ध था। हिली का युद्ध दो चरणों में हुआ; प्रथम चरण में 22 नवंबर से 24 नवंबर 1971 तक और द्वितीय चरण 10 दिसंबर से 18 दिसंबर 1971 तक युद्ध हुआ था।

यद्यपि 18 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना का हिली में अंतिम आत्मसमर्पण हुआ था। किंतु 202 माउंटेन ब्रिगेड के अधीन 8 गार्ड्स बटालियन के साथ-साथ 5 गढ़वाल बटालियन और 22 मराठा लाइट इंफेंट्री बटालियन तोपखाने (ARTILLERY) और कवच (ARMOUR) के समर्थन के साथ इस युद्ध के लिए प्रतिबद्ध थे।

हिली के युद्ध का मुख्य उद्देश्य बोगरा पर अधिकार करना था, इस कारण से उत्तर में पाकिस्तानी सेना शेष पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) से कट गई। बोगरा पहुँचने का सर्वोत्तम मार्ग पहाड़ी के माध्यम से था। सेकंड लेफ्टिनेंट शमशेर सिंह, मेजर हेमंत मांजरेकर की कमान में 'A' कंपनी के प्लाटून कमांडर के रूप में कार्य कर रहे थे।

17 दिसंबर 1971 को लेफ्टिनेंट सामरा के सैनिकों को शत्रु के स्वचालित हथियारों की भारी और सटीक गोलीबारी का सामना करना पड़ा। गोलीबारी की भारी मात्रा से अविचलित उन्होंने अपने सैनिकों को प्रत्युत्तर में आक्रमण करने के लिए प्रोत्साहित किया। सेकंड लेफ्टिनेंट सामरा जब शत्रु स्थिति से लगभग 25 गज के अंतर पर थे, उसी समय उनकी छाती पर एक मीडियम मशीन गन से गोलियों की बौछार लगी और वह गंभीर रूप से घायल हो गए।

किंतु अपने घातक घावों से अविचलित, एक हथगोले के साथ उन्होंने मीडियम मशीन गन बंकर पर आक्रमण किया और नष्ट कर दिया। इसके पश्चात वे आक्रमण करने के लिए दूसरे बंकर की ओर झपटे, जहां उन्हें पुनः मशीन गन से गोलियों की बौछार लगी। परिणामस्वरूप वह युद्ध के मैदान में गिर गए और तब भी उनके हाथ में हथगोला था।

सेकंड लेफ्टिनेंट शमशेर सिंह को उनके उत्कृष्ट साहस, युद्ध की भावना एवं सर्वोच्च बलिदान के लिए मरणोपरांत "महावीर चक्र" से सम्मानित किया गया।

शहीद को सम्मान

सेकंड लेफ्टिनेंट शमशेर सिंह को उनके उत्कृष्ट साहस, युद्ध की भावना एवं सर्वोच्च बलिदान के लिए मरणोपरांत "महावीर चक्र" से सम्मानित किया गया।

चित्र गैलरी

स्रोत

बाहरी कड़ियाँ

संदर्भ


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