Sandeep Malik

From Jatland Wiki
Jump to navigation Jump to search
Sandeep Malik

Sandeep Malik (05.07.1991 - 16.05.2019) became martyr of militancy on 16.05.2019 in Pulwama district of Jammu and Kashmir. Unit: 55 Rashtriya Rifles/24 Grenadiers Regiment. He was from Balhemba village in Meham Tehsill of Meham district of Haryana.

सिपाही संदीप मलिक

सिपाही संदीप मलिक

05-07-1991 - 16-05-2019

वीरांगना - श्रीमती नीरू देवी

यूनिट - 55 राष्ट्रीय राइफल्स/24 ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट

ऑपरेशन रक्षक 2019

सिपाही संदीप मलिक का जन्म 5 जुलाई 1991 को, हरियाणा के महम जिले के बलहेम्बा गांव के एक किसान परिवार में श्री सतबीर मलिक श्रीमती राजबाला देवी के घर में हुआ था। 12वीं तक शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात ही उन्होंने सेना में भर्ती होने के प्रयास आरंभ कर दिए थे।

वर्ष 2012 में वह भारतीय सेना की ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट में रंगरूट के रूप में भर्ती हुए थे। प्रशिक्षण के पश्चात उन्हें 24 ग्रेनेडियर्स बटालियन में ग्रेनेडियर के पद पर नियुक्त किया गया था।

19 अप्रैल 2017 को उनका विवाह सुश्री नीरू से हुआ था। पिछले तीन वर्षो से वह प्रतिनियुक्ति पर जम्मू-कश्मीर के आतकंवाद विरोधी अभियानों में 55 राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन के साथ तैनात थे।

16 मई 2019 को प्रातः दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के दलीपोरा गांव के एक घर में अनेक आतंकवादियों के छिपे होने की विश्वसनीय सूचना प्राप्त हुई। सूचना की पुष्टि के आधार पर, सीआरपीएफ की 64 बटालियन, 55 राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस एसओजी की संयुक्त टीम ने एक खोज अभियान आरंभ किया।

चारों ओर से घिर जाने पर आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोलियां चलाईं, जिसके परिणामस्वरूप वहां भीषण मुठभेड़ आरंभ हो गई। सिपाही संदीप ने प्रचंड साहस और वीरता से संघर्ष किया। घायल होने से पूर्व उन्होंने दो आतंकवादियों को मार गिराया। प्राथमिक उपचार के पश्चात उन्हें चिकित्सालय ले जाया गया, जहां उपचार के समय वह वीरगति को प्राप्त हो गए।

इस मुठभेड़ जैश-ए-मोहम्मद के शीर्ष कमांडर खालिद भाई सहित तीन आतंकवादी मारे गए। पाकिस्तानी मूल का खालिद भाई वर्ष 2017 में लेथपोरा में सीआरपीएफ शिविर पर हुए आत्मघाती आक्रमण में मुख्य षड्यंत्रकारी था।

सिपाही संदीप मलिक का राजस्थान के गंगानगर के लिए स्थानांतरण हो चुका था, किंतु कुछ आधिकारिक कारणों से उन्हें जम्मू-कश्मीर से मुक्त नहीं किया गया था। 25 मई 2019 तक ही 55 राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन के साथ उनका कार्यकाल निर्धारित था।

इनके चाचा सुमेर सिंह मलिक कॉमेडेंट 103 बटालियन, BSF भी, वर्ष 2004 में राय सिंह नगर में आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ में बलिदान हुए थे।

शहीद को सम्मान

Gallery

स्रोत

बाहरी कड़ियाँ

संदर्भ

Back to The Martyrs