Sultan Singh Jat (Mawalia)

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Sultan Singh Jat (Mawalia)

Sultan Singh Jat (Mawalia) (15.08.1985 - 22.08.2008), Sena Medal, became martyr on 22.08.2008 at Nausar in Kupwara district of Jammu and Kashmir. He was from Bagariyavas village in Sri Madhopur tahsil of Sikar district in Rajasthan. Unit: 45 Rashtriya Rifles/12 Jat Regiment.

सिपाही सुल्तान सिंह जाट

सिपाही सुल्तान सिंह जाट

सर्विस नं - 3196621

15-08-1985 - 22-08-2008

सेना मेडल (वीरगति उपरांत)

वीरांगना - स्व. श्रीमती सजना देवी

यूनिट - 45 राष्ट्रीय राइफल्स/12 जाट रेजिमेंट

आतंकवाद विरोधी अभियान

सिपाही सुल्तान सिंह का जन्म 15 अगस्त 1985 को राजस्थान के सीकर जिले की श्रीमाधोपुर तहसील के बागरियावास गांव, नया कुआं, मावलिया की ढाणी में श्री भैरूराम जाट (मावलिया) एवं श्रीमती जड़ाव देवी के परिवार में हुआ था। शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात 19 अक्टूबर 2001 को वह भारतीय सेना की जाट रेजिमेंट में रंगरूट के रूप में भर्ती हुए थे।

प्रशिक्षण के पश्चात उन्हें 12 जाट बटालियन में सिपाही के पद पर नियुक्त किया गया था। वर्ष 2008 में वह प्रतिनियुक्ति पर जम्मू-कश्मीर के आतंकवाद विरोधी अभियानों में लगी हुई 45 राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन के साथ कुपवाड़ा जिले में तैनात थे।

22 अगस्त 2008 को, भोर के लगभग 3:30 बजे, जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले नौसार के घने और दुर्गम क्षेत्र में कुछ आतंकवादियों की उपस्थिति के संबंध में सूचना प्राप्त होने पर सिपाही सुल्तान सिंह अपने कमान अधिकारी कर्नल जोजन थॉमस के नेतृत्व में QUICK RESPONSE TEAM के सदस्यों के साथ निकल पड़े।

उसी समय, उन्हें अपने कुछ साथियों के घायल होने की सूचना प्राप्त हुई और उनका दल उस ओर बढ़ चला। कमान अधिकारी ने अपने साथी सिपाही सुल्तान सिंह के साथ मिलकर तीन आतंकवादियों को मार गिराया, लेकिन इस मध्य गोली लगने से कमान अधिकारी घायल हो गए और उन्हें चिकित्सा सहायता के लिए तत्क्षण उस गोलीबारी वाले क्षेत्र से निकालना आवश्यक हो गया।

सिपाही सुल्तान सिंह ने आंतकवादियों की सटीक गोलीबारी की घोर उपेक्षा करते हुए, घायल अधिकारी को वहां से बाहर निकाला और इस प्रक्रिया में वह स्वयं भी गंभीर रूप से घायल हो गए। अत्यधिक रक्त बह जाने के उपरांत भी अपने प्राणों की घोर उपेक्षा करते हुए उन्होंने अपने अधिकारी को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया और उस प्रक्रिया में अपने जीवन का बलिदान दिया।

सिपाही सुल्तान सिंह ने अपनी जीवन सुरक्षा को ताक पर रखकर एक उच्च स्तरीय वीरता, सैन्य सहयोग एवं सौहार्द का परिचय देते हुए भारतीय सेना की सर्वोच्च परंपराओं का मान रखा। इस वीरतापूर्वक कार्य के लिए 13 जनवरी 2010 को सिपाही सुल्तान सिंह को, वीरगति उपरांत सेना मेडल (वीरता) से अलंकृत किया गया।

शहीद को सम्मान

चित्र गैलरी

स्रोत

बाहरी कड़ियाँ

संदर्भ

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