Virendra Singh Kadipur (Jatrana)

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Virendra Singh Kadipur (Jatrana)

Virendra Singh Kadipur (Jatrana) (वीरेंद्र सिंह जटराणा), Mob: 93508 73694, is a social worker from village Kadipur Delhi.

सोमपाल शास्त्री जी को पत्र

सोमपाल शास्त्री जी नमस्ते। आशा है और ईश्वर से प्रार्थना है की आपका परिवार सकुशल है। आपसे कोविड के दिनों में बात हुई थी। मेरा गाँव कादीपुर देहली राजधानी क्षेत्र में है। बामनोली में मेरी ताऊ जी नारायण सिंह की बेटी राजेन्द्री देवी आपकी मामी जी थी। मैं पिछले 12-13 वर्ष से हरयाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश व देहली क्षेत्र में आर्यसमाज के आगमन, प्रचार व प्रसार के बाद हमारी पिछड़ी जाट कौम में धार्मिक, शिक्षा, कृषि व पशु नस्ल सुधार व आधुनिकता आदि विषयों में जो जागृति आई उस पर खोज कर रहा हूँ। मेरा समय काल मुख्यतया 1857 के जन विद्रोह् से 1947 के मध्य का है। शोध के प्रेरणा स्रोत स्वर्गीय डाक्टर कृपाल चन्द्र यादव थे जिनसे आप भी भली भाँति परिचित थे। मेरा शोध मुख्यतया राष्ट्रीय अभिलेखागार नई दिल्ली, देहली सरकार अभिलेखागार कटवाड़िया सराय institutional area देहली, हरियाणा राज्य अभिलेखागार पंचकुला, गुरुकुल झज्जर, रोहतक जाट सभा द्वारा प्रकाशित "जाट गजट" समाचार पत्र (जिसके नीति संपादक चौधरी छोटू राम जी थे), डाक्टर रामजीलाल सांघी की Daily Diary (जो शायद सन् 1900 से लेकर 1943 तक है डाक्टर रामजीलाल लाला लाजपत राय के सहपाठी तथा श्री भूपेंद्र हुड्डा के दादा जी चौधरी मातुराम के चचेरे भाई थे) व हमारे पारिवारिक दस्तावेजों पर आधारित है। जाट गजट उर्दू भाषा में तथा डाक्टर रामजीलाल की डायरी अंग्रेजी व उर्दू भाषाओं में है। जाट गजट और डॉ रामजीलाल की डायरी जाट कौम के आधुनिक व समकालीन इतिहास का प्रमाणिक मुख्य स्रोत हँ। लेकिन उर्दू भाषा में होने के कारण शोध में बड़ी कठिनाई आती है और इनका उपयोग करते हुए अति कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। अगर इन अभिलेखों का हिंदी अनुवाद करवाने में कोई जाट संस्था मदद करदे तो जाट कौम के आधुनिक इतिहास पर शोध का flood gate खुल सकता है। इस सम्बन्ध में मैंने महाराजा सूरजमल ट्रस्ट में आपके भांजे श्री राजेंद्र कुमार जी व ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री कप्तान सिंह जी से दो बार चर्चा की है और हर्ष के साथ आपको सूचित करता हूँ कि दोनों की सकरात्मक सोच है।परंतु आपके सहयोग के बिना इन दस्तावेजों का अनुवाद असम्भव सा है। In this regard I will earnestly request you with folded hands to use your good offices to take this matter to a positive conclusion. कुछ लेख आपको प्रेषित कर रहा हूँ। अगर आप पढ़ने का कष्ट करेंगे तो बड़ी मेहरबानी होगी। अगर कुछ सुझाव भी देंगें तो सोने पर सुहागा होगा। Virender Singh Rana KADIPUR

Vedik Sanskrit Jat High School Kheda Gadhi

Contribution of collegiate Jat students in the establishment of Vedik Sanskrit Jat High School Kheda Gadhi, Suba Delhi - Information culled out from the JAT GAZETTE Newspaper of 1920.

Dehli To-day I will try to place on record the names of the then college students of our community studying in various colleges at Delhi and Lahore and Agra from 1918 onwards who helped Chaudhary Bhim Singh Kadipur in the establishment of Vedik Sanskrit Jat School Kheda Gadi in Suba Delhi.

Special mention of colleges such as St. Stephen's college and Ramjas college at Delhi and D. A. V. College and Dayal Singh College at Lahore may be made which undertook special efforts to admit and teach the Jat students and gave many facilities like free accommodation in their hostels and freeship to the poor Jat students of the educationally backward community. These college students, at the clarian call of Chaudhary Bhim Singh Kadipur, did honorary (without any remuneration) teaching work and even did manual labour for the construction of class rooms at Vedik Sanskrit Jat School Kheda Gadhi, during their summer holidays. These students committed to the welfare of their educationally PICHHDI Jati. A few of these educated young heroes were

They are the real heroes and torch bearers of those days an of to-day too.

Source - Virendra Singh Kadipur (Jatrana)


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