Jagdish Puri

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जगदीश पुरी

जगदीश पुरी (b.1956 - ) (Jagdish Puri) का जन्म राजस्थान के बाड़मेर जिले की चोहटन तहसील के आलमसर (दीनगढ़) गाँव में 11 जनवरी 1956 में वीरमाराम धतरवाल और गवरी देवी के घर हुआ. आपका ननिहाल ईशरोल के पचार परिवार में है. आपके बाल्यकाल में आपका परिवार फतेहगढ़ (जैसलमेर) चला गया.

चोहटन मठ के 12 वें मठाधीस

आपकी दीक्षा गुरुश्री के सानिध्य में भाद्रपद सुदी 4 संवत 2029 सोमवार (11 सितम्बर 1972) को परिक्रमा पंचम के मेले में संपन्न हुई. मंदिर के पुजारी हरदानपुरी के चल बसने के बाद संवत 2027 में मंदिर की पूजा का कार्यभार संभाला. गुरु फतेहपुरीजी के बैकुंठ धाम गमन के पश्चात् जेठ कृष्णा अमावस्या संवत 2055 (25 मई 1998 ) को जगदीश पुरीजी चोहटन मठ के 12 वें मठाधीस के रूप में आसीन हुए.

जगदीशपुरी जी के सिद्धांत

स्वामीजी नशाप्रथा, अंधविश्वासों तथा संकीर्णताओं के घोर विरोधी हैं. स्वामीजी हर भूखे-प्यासे को भोजन करवाना अपना मुख्य धर्म मानते हैं. इनके मठ में आया कोई व्यक्ति बिना अन्न-जल ग्रहण किये नहीं जाता है. गौसेवा एवं सत्संग को पवित्र कर्तव्य मानते हैं. आप गुरुकुल विद्या मंदिर बालोतरा के संरक्षक हैं. सांचोर रघुनाथ डेयरी नामक दूध उत्पादक डेयरी संचालित करते हैं. डूंगरमठ की कई शाखाएं संचालित हैं. धोरीमन्ना, बाड़मेर, ओसिया, रेडाना सहित अनेक स्थानों पर मठ की शाखाओं के माध्यम से आपकी पावन मिश्रा में साधू-संत अध्यात्म के ज्ञान को जगत में फैलाकर आम आदमी को सुखी होने का सन्देश देते हैं.

चोहटन का सूंईया मेला

चोहटन का भारत विख्यात सूंईया मेला आपकी देख-रेख में फल-फूल रहा है. शिक्षा के प्रचार हेतु बाड़मेर में दो विद्यालय संचालित कर रहे हैं. चोहटन पहाडी पर श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ विभिन्न समाधियों का जीर्णोद्धार करवाया है.

चौपाई - श्री जगदीश पुरी जी

जगन्नाथ हैं कृष्ण सुहावन। संघ बलराम सुभद्रा पावन।
तन मन प्रेम लगाय के जोई। दरशन करै पाप छय होई।
तहां समुद्र रत्नाकर सोहै। लहरैं निरखत तन मन मोहै।
रथयात्रा को उत्सव भारी। दर्शन हित आवत नर नारी।
कह जगदीश पुरी जग जाना। छूति क तहँ पर नहीं ठेकाना।५।

सन्दर्भ

  • जोगाराम सारण: बाड़मेर के जाट गौरव, खेमा बाबा प्रकाशन, गरल (बाड़मेर), 2009 , पृ. 182-183

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