Koli

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Koli (कोली)[1][2] Coli (कोली) is a gotra of Jats.

Origin

Jat Gotras Namesake

Jat Gotras Namesake

Koliburu village

History

बंबई

विजयेन्द्र कुमार माथुर[5] ने लेख किया है .....बम्बई, (AS, p.600) महाराष्ट्र: सोलवीं सदी तक मुंबई महानगरी छोटे-छोटे सात द्वीपों का समूह मात्र थी. प्राचीन ग्रीक भौगोलिकों ने इसी कारण इस स्थान को हेप्टेनिशिया (Haptenesia) या सप्तद्वीप नाम दिया था. दक्षिण भारतीय नरेश भीमदेव ने 15वीं सदी में महिकवती (वर्तमान महीम) में अपनी राजयसभा की थी.

1534 ई. में पुर्तगालियों ने गुजरात के सुल्तान से मुंबई को छीन लिया. इससे पहले बहादुर शाह ने इस स्थान को राजा भीमदेव के उत्तराधिकारी नगरदेव से प्राप्त किया था. मुंबई में उस समय ढेर, भंडारी तथा आदि निवासियों (कोली आदि जिनके नाम पर वर्तमान कोलाबा प्रसिद्ध है) की विरल बस्तियां थी. पुर्तगालियों ने मुंबई की स्थिति के महत्व को पहचान रखा था और उनके यहां आने पर इसकी व्यापारिक उन्नति प्रारंभ हुई.

कोलिय गणराज्य

विजयेन्द्र कुमार माथुर[6] ने लेख किया है ...कोलिय गणराज्य (AS, p.238) पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा नेपाल की सीमा पर स्थित बुद्ध कालीन गणराज्य था। महात्मा गौतम बुद्ध की माता 'मायादेवी' इसी राज्य के गण प्रमुख 'सुप्रबुद्ध' की कन्या थीं। स्थानीय किंवदंती के अनुसार बस्ती ज़िला, उत्तर प्रदेश में 'टिनिच' रेलवे स्टेशन से दो मील पूर्व और कुआनो नदी के दक्षिणी किनारे पर रेल के पुल से आधा मील दूर 'बड़ा चक्रा' (वराह क्षेत्र) नामक एक ग्राम है, जो पुराणों में वर्णित व्याघ्रपुर के प्राचीन नगर के स्थान पर बसा हुआ है। इसे ही बौद्ध-साहित्य का 'कोलिय नगर' कहा जाता है, जहाँ सुप्रबुद्ध की राजधानी थी। बौद्ध साहित्य में मायादेवी का पितृगृह 'देवदह' नामक स्थान पर बताया गया है। 'कोल' शब्द का अर्थ 'वराह' भी है और इसी कारण से शायद इस स्थान का परंपरागत नाम 'वराह क्षेत्र' या अपभ्रंश रूप में 'बड़ा चक्रा' चला आ रहा है। कुछ लोगों का यह भी मत है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश की एक जाति 'कोली' प्राचीन कोलियों से संबद्ध है।

Notable persons

Distribution

External links

References


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