Badlu Singh

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Risaldar Badlu Singh

Risaldar Badlu Singh VC, (b.November 1876-d.23 September 1918), Dhankhar Jat from village Dhakla district Jhajjar (Haryana), was an Indian recipient of the Victoria Cross, the highest and most prestigious award for gallantry in the face of the enemy that can be awarded to British and Commonwealth forces. He was martyr of World War-I on 23 September 1918 on the west bank of the River Jordan, Palestine.

Risaldar in the 14th Murray's Jat Lancers

He was a Risaldar in the 14th Murray's Jat Lancers, Indian Army, attached to 29th Lancers (Deccan Horse) during the First World War when the following deed took place for which he was awarded the VC.

On 23 September 1918 on the west bank of the River Jordan, Palestine, when his squadron was charging a strong enemy position, Risaldar Badlu Singh realised that heavy casualties were being inflicted from a small hill occupied by machine-guns and 200 infantry. Without any hesitation he collected six other ranks and with entire disregard of danger he charged and captured the position. He was mortally wounded on the very top of the hill when capturing one of the machine-guns single handed. But, before he fell, all the guns and infantry had surrendered to him.

"His valour and initiative were of the highest order." (London Gazette, 27 November 1918)

He was Killed during his VC action on 23 September 1918.

Victoria Cross

Risaldar Badlu Singh VC 14 Murrays Jat Lancers Erstwhile 29 Lancers

In 1916, he went in a new draft to 29 Lancers in France. It became necessary to launch a frontal attack of the Cavalry Brigade on the heavily wired German Position. The Brigade consisted of 20 lancers. Jodhpur Lancers and 29 lancers. The ground was rough and wet with recent rains. It was a foggy morning. German machine guns on the left flank were menacing. Risaldar Badlu Singh's troop was on this flank.

The advance commenced at the trot, Risaldar Badlu Singh on his own, increased the pace of the troop, galloped out of the brigade line and charged the machine gun positions. Before the attack went in he had silenced the machine gun, killed a number of gunners and captured 50. Half of his troop was also killed including himself. He was awarded the Victoria Cross Posthumously. [1]

कैप्टन दलीपसिंह अहलावत लिखते हैं

Badlu Singh VC

इतिहासकार कैप्टन दलीपसिंह अहलावत लिखते हैं -

रिसलदार बदलूराम धनखड़ गोत्र के जाट थे जिनका गांव ढाकला जिला रोहतक है। प्रथम महायुद्ध में आप 29 लॉन्सर (14 नं०) रिसाला में थे जो इस युद्ध में मध्यपूर्व में लड़ रहा था। आपको वहां 29 लॉन्सर में लगा दिया गया। 13 सितम्बर 1918 को आपके स्कॉड्रन (Squadron) ने जोर्डन नदी के पश्चिमी किनारे पर शत्रु के शक्तिशाली मोर्चे पर धावा कर दिया। जब आप शत्रु के मोर्चे के निकट पहुंचे तो आपके स्कॉड्रन पर बायें ओर की एक छोटी पहाड़ी पर से, जहां शत्रु के 200 सैनिकों का मोर्चा था, सख्त फायर करने लगा। इस गोलाबारी से आपके जवान मरने तथा घायल होने लगे। यह देखकर रिसलदार बदलूराम ने अपने साथ 6 जवान लेकर, खतरे की परवाह न करते हुए, वीरता से झपटकर शत्रु के उस मोर्चे पर धावा बोल दिया तथा वहां पर अपना अधिकार कर लिया। जब आपने शत्रु की एक मशीनगन को जा पकड़ा तब आप प्राणघातक घायल हो गये जिससे आप वहीं वीरगति को प्राप्त हुए। किन्तु आपके मरने से पहले शत्रु ने आत्मसमर्पण कर दिया था। आपकी यह महान् वीरता थी जिसके लिए ब्रिटिश सरकार ने आपको सर्वोच्च पदक विक्टोरिया क्रॉस (मरणोपरान्त) से सम्मानित किया। आप भारतीय सेना में सबसे पहले विक्टोरिया क्रॉस पदक प्राप्त करने वाले वीर योद्धा हैं। जाट जाति को आप पर बड़ा गौरव है।[2]

News Article dated 24 Sept. 2016

Excerpts from Dainik Bhaskar : Sept. 24, 2016 -

वीर गाथाओं से युवाओं में देशभक्ति का जज्बा पैदा होता है। इसलिए सभी वीर शहीदों की गाथाएं सामने आनी चाहिए। लगभग 98 वर्ष बाद अमरवीर शहीद रिसलदार बदलू राम की समाधि की मिट्टी को अपने वतन की पावन धरा तक लाने पर उनको गर्व है। यह बात प्रदेश के कृषि मन्त्री ओम प्रकाश धनखड़ ने हरियाणा वीर एवं शहीदी दिवस के पावन पर्व पर ढाकला गांव में विक्टोरिया क्रॉस रिसलदार बदलू राम शहीद स्मारक की आधारशिला रखते हुए कही।

उन्होंने घोषणा की कि दूसरे विश्व युद्ध के विक्टोरिया क्रास विजेता कैप्टन उमराव सिंह की याद में भी उनके गांव पलड़ा में भव्य स्मारक बनाया जायेगा। प्रदेश सरकार ने यह जिम्मेदारी ले ली है, इसमें किसी भी प्रकार से कोई भी कमी नहीं रहने दी जाएगी। उन्होंने हरियाणा वीर एवं शहीदी दिवस के मौके पर ज्ञात-अज्ञात शहीदों को नमन करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। कृषि मन्त्री ने शहीद सिपाही पंकज कुमार की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए। इस मौके पर उपायुक्त आर. सी. बिढ़ाण ने कृषि मंत्री का स्वागत करते हुए कहा कि शहीदों की शहादत को कोई भी कीमत देकर भुलाया नहीं जा सकता। कार्यक्रम मौके पर जिलाध्यक्ष बिजेन्द्र दला, जिप अध्यक्ष परमजीत, उपाध्यक्ष योगेश सिलानी, आनंद सागर, संत सुरहेती, जितेंद्र कुमार, डा. किरण कलकल, मौजूद रहे।

External links

References


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