Gurbir Singh Sarna

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Col Gurbir Singh Sarna , Kirti Chakra

Gurbir Singh Sarna (10.03.1966 - 23.12.2006) became martyr of militancy on 23.12.2006 at Bahrampur in Jammu and Kashmir. He was from Delhi. He was awarded Kirti Chakra for his act of bravery.

Unit - 13 Grenadiers, 29 Rashtriya Rafles

कर्नल गुरबीर सिंह सरना

कर्नल गुरबीर सिंह सरना

10-03-1966 - 23-12- 2006

कीर्ति चक्र (मरणोपरांत)

वीरांगना - श्रीमती जसलीन कौर

यूनिट - 13 ग्रेनेडियर्स, 29 राष्ट्रीय राइफल्स

आतंकवाद विरोधी अभियान

कर्नल गुरबीर सिंह सरना का जन्म 10 मार्च 1966 को सरदार दीदार सिंह सरना एवं सरदारनी प्रकाश कौर के परिवार में हुआ था। उन्होंने दिल्ली के वसंत विहार के जीएचपीएस स्कूल से शिक्षा प्राप्त की और वर्ष 1983 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA), खड़कवासला के लिए चयनित हुए। तीन वर्ष के NDA प्रशिक्षण के पश्चात, अग्रिम सैन्य प्रशिक्षण के लिए उन्होंने भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) देहरादून में प्रवेश लिया था।

उन्हें भारतीय सेना की ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट के 9 ग्रेनेडियर्स बटालियन में सैकिंड लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन प्राप्त हुआ था। वर्ष 1989 में उन्होंने 13 ग्रेनेडियर्स बटालियन के सैकिड-इन-कमांड का पदभार संभाला था।

वर्ष 2006 में, कर्नल गुरबीर सिंह सरना जम्मू-कश्मीर के आतंकवाद विरोधी अभियानों में तैनात थे। वह कमांडिंग ऑफिसर के रूप में 29 राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन की कमान संभाल रहे थे। 23 दिसंबर 2006 को गोपनीय सूत्रों से उनकी बटालियन को बारामूला जिले के बेहरामपुर गांव में चार कट्टर आतंकवादियों की उपस्थिति से संबंधित विश्वसनीय सूचना प्राप्त हुई। प्राप्त सूचना का विश्लेषण करने के पश्चात उन आतंकवादियों को निष्क्रिय करने के लिए SEARCH & DESTROY ऑपरेशन चलाने का निर्णय लिया गया।

कर्नल सरना अपनी " Quick Reaction Team" के साथ बहरामपुर गाँव में पहुंचे। वह स्वयं इस ऑपरेशन की अगुवाई कर रहे थे। QRT ने ऑपरेशन चलाया और घेरा डाल कर एक-एक घर की खोज आरंभ कर दी। खोज के समय आकस्मिक एक घर में छिपे आतंकवादियों ने गोलियां चलाईं। जिसके पश्चात दोनों ओर से हुई चली गोलियों के परिणामस्वरूप वहां भीषण मुठभेड़ आरंभ हो गई।

इस मुठभेड़ में एक आतंकवादी मारा गया व एक अन्य आतंकवादी घायल हो गया। कर्नल सरना को भी अनेक गोलियां लग गईं। गंभीर रूप से घायल होने और अत्यधिक रक्त बहते हुए भी वह अपने सैनिकों का नेतृत्व करते रहे। उन्हें मुठभेड़ स्थल से निकाल कर चिकित्सा के लिए ले जाया गया किंतु अपने घातक घावों से वह वीरगति को प्राप्त हुए।

कर्नल गुरबीर सिंह सरना को उनके असाधारण साहस, नेतृत्व एवं सर्वोच्च बलिदान के लिए मरणोपरांत कीर्ति चक्र सम्मान दिया गया।

शहीद को सम्मान

गैलरी

स्रोत

संदर्भ



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