Role of Barmer in movement for reservation in jobs

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जाट आरक्षण आन्दोलन में बाड़मेर का जाट पीछे नहीं रहा. जाट महासभा के तत्कालीन जिलाध्यक्ष रूप सिंह लेघा तथा प्रखर समाज सेवी सोना राम के जाट ने न केवल बाड़मेर अपितु सम्पूर्ण राजस्थान में आरक्षण का शंखनाद किया. बाड़मेर के प्रतिनिधियों कि उपस्थिति प्रत्येक सम्मेलन में रही. १३ जून १९९३ को जयपुर में कुम्भा राम आर्य की अध्यक्षता में आहुत बैठक हो या सीकर जाट सम्मेलन. १३ जून १९९३ की बैठक में सर्वेक्षण कर जाटों की वास्तविक स्थिति आयोग के समक्ष रखने का निर्णय लिया. राज्य पिछडा वर्ग आयोग ने सचिव सत्यनारायण सैनी के जोधपुर आगमन पर रूप सिंह लेघा, सोना राम के. जाट तथा सादूला राम सियोल ने ज्ञापन सौंपा. आशानुरूप प्रतिक्रिया न मिलने के कारण आयोग के अध्यक्ष इसरानी को सोना राम के.जाट, रणवीर सिंह गोदारा ने जैसलमेर जाकर गापन सौंपा. आयोग के सचिव सैनी ने बाडमेर आने पर जाटों का ज्ञापन लेने से ही मना कर दिया.

चुनाव घोषणा-पत्र में कांग्रेस का वादा

१९९८ के चुनाव घोषणा-पत्र में कांग्रेस ने सत्ता में वापिस आने पर जाटों को आरक्षण देने का वादा किया. बार-बार चेताने के पश्चात भी गहलोत सरकार के कान पर जूं नही रेंगी. ऐसे समय में प्रखर वक्ता पूर्व पुलिस महानिदेशक डा. ज्ञानप्रकाश पिलानिया का सफ़ल नेतत्व रजस्थन की जाट शक्ति को प्राप्त हुआ. राजा राम मील, धर्म वीर सहारण, डा हरिसिंह, जगदीप धनखड के वांछित सहयोग की बदोलत जाट आरक्षण आन्दोलन जोर पकड़ने लगा. २३ दिसंबर १९९८ को जोधपुर सम्मेलन तथा ३ जनवरी १९९९ को जयपुर सम्मेलन में बाडमेर से सैंकडों जाट शरीक हुये.

बाड़मेर जिले के प्रयास

पूरे राज्य के साथ बाडमेर के गांव-गांव, ढाणी-ढाणी तक आरक्षण आन्दोलन की गूंज सुनाई दी. ५ जनवरी १९९९ को धोरीमन्ना के आलम पशु मेला के अवसर पर विशाल जाट सम्मेलन का आयोजन हुआ. २६ जनवरी १९९९ को बायतु के खेमा बाबा मेले के अवसर पर जाट आरक्षण महासम्मेलन का आयोजन हुआ. इस सम्मेलन में डा. ज्ञान प्रकाश पिलानिया ने बाडमेर के किसानों के मसीहा चौधरी रामदान के पुत्र गंगाराम चौधरी के हाथ में गंगा जल की बोतल रख कर उपस्थित हजारों जाटों का आरक्षण न मिलने तक चैन से न बैठने की कसम खिलाई. साथ ही मत्युभोज न खाने और न करने की भी शपथ दिलाई. खेम सिद्ध के दरबार में आरक्षण की मन्नोति मांगी. इस महासम्मेलन की गूंज न केवल भारत के प्रिन्ट एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया में सुनाई दी बल्कि बीबीसी लंदन से भी ब्राडकास्टिंग हुई. विजय पूनिया, विधायक हेमा राम चौधरी, चेतन राम सारण, अमीन खां ने आरक्षण के लिये मरमिटने का आह्वान किया. तमाम सरकारी कोशिशों के बावजूद यह महासम्मेलन सफ़ल रहा. इसी कडी में १४ मार्च १९९९ को भारत विख्यात तिलवाडा पशु मेले में जाट नवयुवक मण्डल , बालोतरा की तरफ़ से महासभा का आयोजन हुआ. चौधरी चरण सिंह की पुण्य तिथि पर २९ मई १९९९ को किसान छात्रावास से कलेक्ट्रेट तक विशाल रैली निकाली गई. कार्यकर्ताओं को प्रताडित किया जाने लगा. इसे देखकर आजादी पूर्व की राठोडी याद ताजा हो गई.

जीवन मरण का प्रश्न

बाडमेर के मूल निवासी यू.आर. बैनिवाल को सरकारी सेवा से बर्खस्त कर दिया. १ अगस्त १९९९ को जयपुर में विशाल महासम्मेलन में ’आरक्षण नहीं तो वोट नहीं’ का नारा देकर गहलोत सरकार को ठिकाने लगाने की घोषणा कर दी. आरक्षण पाना जाटों के लिये जीवन मरण का प्रश्न बन गया. लोकसभा चुनाव के वक्त वाजपेई व सोनिया गांधी ने चुनाव पश्चात आरक्षण देने की घोषणा की.

सरकार की अन्य पिछडा वर्ग की अधिसूचना

२० अक्टूबर १९९९ को भाजपानीत केन्द्रीय मंत्रिमण्डल ने सर्वसम्मति से जाटों को आरक्षण देने की घोषणा की. दो दिन पश्चात राज्य मंत्री मण्डल ने भी जाटों को अन्य पिछडा वर्ग का दर्जा दे दिया. २७ अक्टूबर को केन्द्र सरकार तथा ३ नवंबर १९९९ को राज्य सरकार ने इस सम्बन्ध में अधिसूचना जारी कर दी.


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