Holi Ambala
Holi (होली) is a village in Barara tehsil in Ambala district of Haryana.
Location
Origin
The Founders
History
कप्तान सिंह देशवाल लिखते हैं -
गाँव होली, लवाणा, सराय सुखी रानी खेड़ा (दिल्ली) लगभग एक ही समय के बसे हुये गाँव हैं। गाँव रानीखेड़ा 25 वर्ष बाद बसा था। इस गाँव की निकासी गाँव दुल्हेड़ा (झज्जर) से एक समय पर हुई थी। निकासी का कारण आपसी झगड़ा बताया गया है जिसका वृत्तान्त गाँव सराय सुखी में विस्तार से लिखा गया है। गाँव रानी खेड़ा और घेवरा (दिल्ली) से कुछ परिवार वापिस गाँव दुल्हेड़ा में चले गये। लेकिन गाँव होली, लवाणा और सराय सुखी से कोई परिवार वापिस गाँव दुल्हेड़ा नहीं गया है।
गाँव लाढोत देशवाल गोत्र का पुस्तैनी गाँव है। इस गाँव से अनेकों का निकास समय-समय पर होता रहा है। गाँव बलियाणा का निकास गाँव लाढोत से लगभग 5000 वर्ष पूर्व हुआ था। इसी गाँव बलियाणा से सन् 1205 में गाँव घिलोड़ और दुल्हेड़ा दादा दुन्दी राम देशवाल ने बसाया था। गाँव दुल्हेड़ा से सन् 1700 में गाँव होली, लवाणा, सराय सुखी और रानी खेड़ा के लोगों का निकास हुआ। गाँव घेवरा में देशवाल परिवार सन् 1800 में गया था। इस परिवार की बात अलग से है। पहले 6 आदमियों से इसका कोई तालुक नहीं है।
गाँव दुल्हेड़ा से जिला अम्बाला की तरफ पांच आदमी अपने परिवारों, बैलगाड़ियों और पशुओं के साथ लगभग सन् 1700 में गाँव से चलने की इजाजत लेकर आ गये। इतना बड़ा परिवार गाँव में से निकल कर चलने लगा तो कहते हैं कि सारे गाँव में मायूसी का वातावरण बन गया था। लेकिन बात बुजुर्गों की आज्ञा का पालन करना और गाँव में शान्ति बनाये रखने की थी।
चौ. उदेसिंह और सुखराम दोनों भाई जिला पानीपत के गाँव बिहोली में रुक गये और कुछ वर्षों के बाद अपना गाँव सराय सुखी बसा लिया (लगभग 3-4 वर्ष बाद ही)। चौ. अमित सिंह, अजीत सिंह और जकसीराम तीनों भाईयों ने चलते-चलते एक जंगल में अम्बाला से 25 किलोमीटर की दूरी पर एक तालाब के किनारे पर आकर अपना डेरा डाल दिया। यहाँ पर एक साधु जी तप करता था। देशवाल परिवार ने साधु जी को आदेश करके (प्रणाम) अपनी सारी कहानी साधु जी को बताई। साधु जी ने कहा कि आप धन्य हैं जो पिछले गाँव को छोड़ कर आ गये। इसी में आपकी उन्नति और शान्ति का मार्ग दिखाई दे रहा है। अतः आप यहाँ पर दीपक जला कर रखो। अगर यह दीपक जलता रहा तो यह भूमि आपके लिए स्वर्ग है। साधु जी की वाणी सत्य सिद्ध हुई।
होली के दिन तीनों भाईयों ने इस तालाब धन्सीवाले पर यज्ञ हवन और भण्डारे का आयोजन किया और इसी जगह पर जंगल को अपनी कर्मभूमि समझकर बस गये। धीरे-धीरे यह पूरे गाँव का रूप धारण कर गया। इस गाँव में से भी कई गाँव में देशवाल जाकर बसे हैं। कुछ महीनों के बाद दादा अमितसिंह देशवाल अपना अलग गाँव बसाने के उद्देश्य से चला गया। दादा जकसीराम भी यहाँ से परिवार सहित कहीं आगे चला गया। दादा जकसीराम के बारे में सुना है कि वह उत्तर प्रदेश चला गया। दादा अजीतसिंह देशवाल ने गाँव होली को बसाया था।
विशेषताएँ -
- इस गाँव का क्षेत्रफल 5500 बीघा जमीन (1100 एकड़) है।
- यह गाँव अम्बाला कैंट से जगाधरी रोड पर 25 किलोमीटर से अपरोच रोड 2 किलोमीटर दक्षिण दिशा में बसा हुआ है।
- गाँव आबाद होने से पहले यहाँ पर धन्सी नाम का तालाब था। धन्सी तालाब के बारे में संस्कृत शास्त्रियों से अर्थ निकलवाने से पता चला कि पहले तालाब, कुएँ, धर्मशाला ज्यादातर बनजारे बनवाते या खोदते थे। क्योंकि उनका काम व्यापार का होता था। कई-कई दिन एक जगह पर रुकने के कारण पानी के लिए तालाब आदि का प्रबन्ध करते थे। (क) धन्सी का अर्थ - जिस जगह पर तालाब खोदते समय यहाँ पर धन मिला हो या यहाँ पर धन को दुबकाया गया होगा। अतः इसका नाम धन्सी तालाब पड़ा। (ख) यहाँ पर कोई साधु या आध्यात्मिक ज्ञानी आशीर्वाद देता हो जो पूरा हुआ हो, उस जगह को भी धन्सी कहते हैं। (ग) धन्सी के आदमी ने इस जगह पर पहले पड़ाव डाला हो या तालाब को धन्सी नाम के आदमी ने खोदा हो उसे भी धन्सी कहते हैं।
- यह गाँव बाबा जी के आशीर्वाद से बसा है।
- इस गाँव में राजनैतिक और उच्च न्यायपालिका के जज ईमानदार और सुलझे हुए हैं। चौ. महाराज सिंह देशवाल (पूर्व जज) के पिता जी चौ. आत्माराम देशवाल साकेत मण्डी रियासत के वित्तमंत्री रहे हैं जिनका वृत्तान्त आपको देशवाल गौत्र की उत्पत्ति भाग नं. 1 पुस्तक में पढ़ने को मिलेगा।
- चौ. नवाब सिंह देशवाल हाई कोर्ट चण्डीगढ़ में सीनियर जज हैं।[1]
Jat Gotras
Population
Notable Persons
चौ. नवाब सिंह देशवाल - हाई कोर्ट चण्डीगढ़ में सीनियर जज रहे हैं ।
External Links
References
- ↑ कप्तान सिंह देशवाल : देशवाल गोत्र का इतिहास (भाग 2) (Pages 144-147)
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