Pahari Dheeraj

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Pahari Dheeraj (पहाड़ी धीरज) is a village in Delhi-110006.

Location

It is located in old Delhi - in Sadar Bazar area at Delhi-110006

History

  • 1754 Raja Ram of Issar branch (out of 3 Phalaswal branches of Bhadaani, Puran, Issar and Kanhiya (Nanha) - descendents of Makhha Phalaswal who founded Bhadaani in 1545) shifted to Pahari Dheeraj.

Jat Gotras

Several Jat families of other gotras are also residing here. [2]

Population

Notable Persons

  • Chaudhary Lotan Jat Pehalwan Sangwan - Location Gali Lotan Jat in Chandni Chowk is named after him, cow lover
  • Chaudhary Hardwari Lal (aka Rundha Chaudhary) - He also played an important role in cow protection, following the footsteps of Lotan Jat. To protect cows, he along with Lotan Jats responded to many Muslims and other cow slaughterers in their own language. The people of Pahadidhiraj fondly called him "Rundhe Dada".
  • Chaudhary Vijaypal Sangwan (Billu) - Son Late Chaudhary Ram Chandra Sangwan, Grandson Chaudhary Lotan Singh Pehalwan Sangwan (cow devotee). Chaudhary Saheb, I Googled, thank you for the history you have revealed about my grandfather Late Chaudhary Lotan Singh, wrestler Sangwan (cow devotee). You have made a small mistake in this, our Gotra is not Ahlawat, our Gotra is Sangwan. I request you to please correct this. Thank you. Chaudhary Vijaypal Sangwan (Billu), 4474-77 Gali Lotan Singh Jat, Pahari Dheeraj, Sadar Bazaar, Delhi-110006. Mob: 9810803133), Email: vijaypalchowdhary35@gmail.com

Aarti Ahlawat - wife of Virender Sehwag and daughter of Advocate Suresh Ahlawat

  • Kunwar Om Prakash Singh's daughter Rani Mamta Singh married Kunwar Devraj Singh of Pisawa .

Chaudhary Risal Singh , Pahadi Dheeraj Wale, the foundation stone of Vedic Sanskrit Jat School, Kheda Garhi Suba, Delhi, donated Rs 50 on the occasion of 25 September 1920 AD (Saturday in the month of Bhado Shukla Paksha Trayodasi). You are one of those renowned personalities of Delhi who always cares about the national welfare and progress. You have already donated Rs 50 two months ago.

  • चौ० लोटनसिंह पहलवान सांगवान - आपका गांव पहाड़ी धीरज दिल्ली है। आप अपने समय के बड़े शक्तिशाली प्रसिद्ध पहलवान थे। आप एक वीर योद्धा, निडर साहसी तथा कट्टर आर्य थे। लोटनसिंह सच्चा गोरक्षक था। इसने वह काम पूरा किया जो ईश्वर का आदेश है कि - “गौओं को मारनेवाले को मार, गौ आदि पशुओं को निरन्तर सुखी करो” (ऋ० मं० 1/अ० 18/ सू० 120/ मं० 10)। इस वीर आर्य योद्धा ने दिल्ली में गोवध करने वालों को मौत के घाट उतारना आरम्भ किया। मुसलमान व अंग्रेज सरकार इसके विरोधी बन गये। इसने अपने साथी वीर आर्यों का संघ बनाया। किसी से न डरकर सैंकड़ों कसाई एवं उनके साथ्ही मुसलमानों को मौत के घाट पहुंचा दिया। पूरी दिल्ली के मुसलमानों में हाहाकार मच गई। कसाइयों ने इससे डरकर गोवध करना बन्द कर दिया। चौ० लोटन पहलवान की इस वीरता की प्रसिद्धि पूरे भारतवर्ष में फैल गई। यह है चौ० लोटनसिंह पहलवान की वीर गाथा।[3]
  • चौधरी हरद्वारी लाल (उर्फ रुंढा चौधरी) - इन्होने भी लोटन जाट के क़दमों पर चलते हुए गौ रक्षा में महत्वूर्ण भाग निभाया था| इन्होंने गौ रक्षा करने के लिए कई मुसलमान और अन्य गौकशी करने वालों को लोटन जाट के साथ मिलकर उन्हीं की भाषा में जवाब दिया था| इन्हे पहाड़ीधीरज के लोग प्यार से "रूंढे दादा" कहकर बुलाते थे|
  • चौधरी विजयपाल सांगवान (बिल्लू) - पुत्र स्वर्ग्यी चौधरी राम चन्द्र सांगवान प्र्पोत्र चौधरी लोटन सिंह पहलवान सांगवान (गौ भक्त ). चौधरी साहब मेने गूगल किया आपने मेरे दादा जी स्वर्ग्य चौधरी लोटन सिंह पहलवान सांगवान (गौ भक्त) के बारे में जो इतिहास प्रकट किया है उसके लिया धन्यवाद । इसमें आपसे एक छोटी सी गलती हुई है हमारा गोत्र अहलावत नहीं है, हमारा गोत्र सांगवान है । मेरी आपसे प्राथना है कृपया करके इसको सही किया जाये । धन्याद. चौधरी विजयपाल सांगवान (बिल्लू), 4474-77 गली लोटन सिंह जाट, पहरी धीरज, सदर बाज़ार, डेल्ही-110006. Mob: 9810803133), Email: vijaypalchowdhary35@gmail.com
  • Aarti Ahlawat - wife of Virender Sehwag and daughter of Advocate Suresh Ahlawat
  • Kunwar Om Prakash Singh's daughter Rani Mamta Singh married Kunwar Devraj Singh of Pisawa
  • चौधरी रिसाल सिंह, पहाड़ी धीरज वाले ने वैदिक संस्कृत जाट स्कूल खेड़ा गढ़ी सूबा देहली का बुनियादी पत्थर - 25 सितंबर 1920 ई. (दिन शनिवार माह भादो शुक्ल पक्ष त्रयोदसी) मौके पर 50 रूपये दान दिये। आप देहली के उन नामवर महानुभावों में से हैं जिनको हर वक्त कौमी भलाई और तरक्की का ख्याल रहता है। आप 50 रुपये का दान दो माह पहले भी दे चुके हैं।

External Links

References


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