Rakesh Singh Malhan

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Rakesh Singh Malhan

Rakesh Singh Malhan (2nd Lt), Ashok Chakra (posthumous), (18.09.1970 - 05.12.1992) became martyr of militancy on 05.12.1992 at village Pader Pora of Shopian tahsil in Pulwama district of Jammu and Kashmir fighting with militants. Unit: 22 Grenadiers Regiment. He was born at Chandigarh and originally belonged to village Subana in Jhajjar district Jhajjar of Haryana.

सेकंड लेफ्टिनेंट राकेश सिंह मल्हान का परिचय

सेकंड लेफ्टिनेंट राकेश सिंह मल्हान

18-09-1970 - 05-12-1992

अशोक चक्र (मरणोपरांत)

यूनिट - 22 ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट 

ऑपरेशन रक्षक 1992

सेकंड लेफ्टिनेंट राकेश सिंह का जन्म 18 सितंबर 1970 को चंडीगढ़ नगर में लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत) राज सिंह मल्हान एवं श्रीमती सावित्री देवी के परिवार में हुआ था। वे तीनों भाइयों में सबसे छोटे थे। वीरगति के समय वे 22 वर्ष की आयु के थे व अविवाहित थे। उनका परिवार रोहतक के 100 - R मॉडल टाउन में निवास करता है।

शिक्षा

सेकंड लेफ्टिनेंट राकेश सिंह ने अपनी प्रारंभिक विद्यालय शिक्षा कानपुर व पुणे से प्राप्त की। उसके पश्चात हाई स्कूल की परीक्षा मॉडल स्कूल रोहतक व 10 + 2 की परीक्षा जाट कॉलेज, रोहतक से उत्तीर्ण की थी। तत्पश्चात, उन्होंने अपने पुरखों से प्रेरित होकर व परिवारिक वंश परंपरा अनुसार देश की सेवा करने के उद्देश्य से भारतीय सेना में सम्मिलित होने का निर्णय लिया। उन्होंने नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA), खड़कवासला, पुणे में चयनित होने के लिए कठिन परिश्रम किया। वर्ष 1987 में उनका N.D.A. में चयन हुआ था।

रूचि- पाठ्येतर गतिविधियां और खेल

सेकंड लेफ्टिनेंट राकेश सिंह बाल्यकाल से ही पालतू पशु रखने व स्केटिंग, शूटिंग, क्रिकेट, हॉकी और बैडमिंटन खेलने में रूचि रखते थे। कॉलेज में वे एन.सी.सी. के सदस्य थे और अपनी स्मार्ट ड्रिल के कारण उन्हें अन्य एन.सी.सी. कैडेट के लिए एक उदारहण के रूप में उद्धृत किया जाता था। उन्हें गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस परेड में अपने कॉलेज का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना जाता था। उन्हें सर्वश्रेष्ठ एन.सी.सी. कैडेट सम्मानित किया गया था।

एनडीए - आईएमए देहरादून में जीवन

एन.डी.ए. / आई.एम.ए. देहरादून में जीवन: नेशनल डिफेंस एकेडमी, खड़कवासला, पुणे में ट्रेनिंग के समय सेकंड लेफ्टिनेंट राकेश सिंह 'Bravo Squadron' में थे व पारस्परिक सहयोग और उत्तम व्यवहार के लिए वह अपने अन्य साथी कैडटों में अति लोकप्रिय थे। एन.डी.ए. में प्रशिक्षण के समय उन्होंने खेलों में गहरी रूचि ली व हॉकी एवं फुटबॉल में अपने स्क्वॉड्रन का प्रतिनिधित्व किया। उनको एन.डी.ए. खड़कवासला, पुणे में पासिंग आउट परेड के समय "Escort Colours" के लिए चुना गया था।

इंडियन मिलिट्री एकेडमी (IMA), देहरादून में अपने प्रशिक्षण के समय वे सदैव INFANTRY (पैदल सेना) के प्रशंसक रहे। उच्च परंपरा और महिमा के कारण उन्हें ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट की चाह थी। वे 'नौशेरा Coy' में थे व अन्य GENTELMEN कैडेट के साथ उनका समन्वय व सहयोग अति उत्तम था। उनकी उत्कृष्ट ड्रिल के कारण उन्हें IMA देहरादून में 'Cane Orderly' के लिए चुना गया था। 13 जून 1992 को उन्हें आई.एम.ए. , देहरादून में कमीशन दिया गया था व 22 ग्रेनेडियर्स बटालियन में तैनात किया गया था।

भारतीय सेना व ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट के साथ सदियों से संबंध

सेकंड लेफ्टिनेंट राकेश सिंह के परिवार का भारतीय सेना एवं ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट के साथ प्रगाढ़ संबंध रहा है। उनके दादाजी स्व. कैप्टन रतन सिंह (प्रथम सरपंच गाँव सुबाना) पुत्र स्व. रूणिया राम , ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट में थे और उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में सक्रिय रूप से भाग लिया था। उनके पिता जी लेफ्टिनेंट कर्नल राज सिंह भारतीय सेना के तोपखाने (Artillery Regiment) में, व उनके चाचा कर्नल रणबीर सिंह 14 जाट रेजिमेंट में नियुक्त थे।

उनके ताऊ जी लेफ्टिनेंट कर्नल जगतजीत सिंह व उनके पिताजी कैप्टन जोधाराम पुत्र स्व. श्री रूणिया राम भी ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट में कार्यरत रहे थे। सेकंड लेफ्टिनेंट राकेश सिंह के अन्य ताऊ जी स्व. कैप्टन मुख्तयार सिंह पुत्र श्री तुलजाराम भारतीय सेना से Honorary कैप्टन के पद से सेवानिवृत हुए थे। उनकी छोटी बुआ श्रीमती रजनी मेहला के पति ब्रिगेडियर (सेवानिवृत) एस. पी. मेहला 16 ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट में कार्यरत रहे थे।

5 दिसंबर 1992 के दिन सेकंड लेफ्टिनेंट राकेश सिंह को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के पदरपुर गाँव में सक्रिय हो रहे पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकवादियों को पकड़ने का संकटमय कार्य सौंपा गया। उस समय वे 22 ग्रेनेडियर्स बटालियन में कंपनी कमांडर के रूप में कार्य कर रहे थे। प्रात: 7:00 बजे उन्हें सूचना प्राप्त हुई कि सशस्त्र आतंकवादियों का एक समूह सुरक्षा सैनिकों की आँख बचा कर घाटी की ओर निकल रहा है।

सेकंड लेफ्टिनेंट राकेश सिंह के साथ उस समय मात्र तीन सैनिक होने के उपरांत भी वह त्वरित आतंकवादियों की ओर बढ़े। आंतकवादियों ने उनपर यूनिवर्सल मशीन गन और ए.के. 56 राइफलों से भयंकर गोलीबारी आरंभ की किंतु इससे अविचलित सेकंड लेफ्टिनेंट राकेश सिंह ने आकस्मिक पैंतरा बदल कर प्रहार किया और उन्होंने अकेले ही दो आतंकवादियों को मार गिराया। उनके प्रचंड साहस से स्तब्ध आतंकवादी पहले तो पीछे हटे, किंतु इसके पश्चात उन्होंने मोर्चे से अलग-थलग पड़ गए, उनके एक सैनिक को गोलीबारी के घेरे में ले लिया।

आतंकवादियों की भीषण गोलीबारी के उपरांत भी अपने सैनिक के जीवन को संकट में देखकर, सेकंड लेफ्टिनेंट राकेश सिंह अपने सैनिक की सहायता के लिए उसकी ओर दौड़ पड़े। आतंकवादियों द्वारा मशीन गन से चलाई जा रही गोलियों ने उनके दांए हाथ और बांए कंधे को छलनी कर दिया। जिसके परिणामस्वरूप वह गंभीर रूप से घायल हो कर वहीं गिर पड़े। वीर, पराक्रमी सेकंड लेफ्टिनेंट राकेश सिंह साहस बटोर कर पुनः खड़े हो गए और अपनी राइफल के अचूक निशाने से तीन अन्य आतंकवादियों को ढेर कर दिया। अंततः एक अथक योद्धा समान लड़ते हुए, वह वहीं रणभूमि पर ही वीरगति को प्राप्त हुए।

सेकंड लेफ्टिनेंट राकेश सिंह की वीरता और बलिदान से प्रेरित होकर उनके सैनिकों ने शेष तीन आतंकवादियों को भी वहीं मार गिराया। इस सैन्य कार्रवाई में , मारे गए आतंकवादियों से भारी मात्रा में हथियार और गोली-बारूद पाए गए। इस वीरतापूर्ण कार्रवाई में, उस समूह के सभी आतंकवादी मारे गए। इस कार्रवाई में सेकंड लेफ्टिनेंट राकेश सिंह ने अति असाधाराण कर्तव्यपरायणता, निष्ठा, शौर्य और पराक्रम का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्हें मरणोपरांत शांतिकाल के सर्वोच्च वीरता सम्मान अशोक चक्र से सम्मानित किया गया।

शहीद को सम्मान

सेकंड लेफ्टिनेंट राकेश सिंह को उनके असाधारण साहस, अनुकरणीय नेतृत्व एवं सर्वोच्च बलिदान के लिए मरणोपरांत "अशोक चक्र" से सम्मानित किया गया। 5 दिसंबर 2022 को पैतृक गांव सुबाना में हरियाणा प्रदेश भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष श्री ओमप्रकाश धनखड़ द्वारा इनकी प्रतिमा का अनावरण किया गया। 

स्रोत

चित्र गैलरी

बाहरी कड़ियाँ

संदर्भ

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