Malawan

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Malawan (मालवन) is a Jat Gotra.[1]

Origin

They are said to be originated from Chandravanshi King Malla (मल्ल) of the Mahabharata period.[2]

History

मल्ल: ठाकुर देशराज

ठाकुर देशराज[3] ने लिखा है.... मल्ल - [पृ.100]: सिकंदर के साथियों ने इन्हें मल्लोई ही लिखा है। हिंदुस्तान के कई इतिहासकारों को उनके संबंध में बड़ा भ्रम हुआ है। वह इन्हें कहीं उज्जैन के आसपास मानते हैं। वास्तव में यह लोग पंजाब में रावी नदी के किनारे पर मुल्तान तक फैले हुए थे। फिरोजपुर और बठिंडा के बीच के लोग अपने प्रदेश को मालवा कहते हैं। बौद्ध काल में हम लोगों को चार स्थानों


[पृ.101]: पर राज्य करते पाते हैं-- पावा, कुशीनारा, काशी और मुल्तान। इनमें सिकंदर को मुल्तान के पास के मल्लों से पाला पड़ा था। इनके पास 90000 पैदल 10000 सवार और 900 हाथी थे। पाणिनी ने इन्हें आयुध जीवी क्षत्रिय माना है। हमें तो अयोधन और आयुध इन्हीं के साथी जान पड़ते हैं। जाटों में यह आज भी मल, माली और मालवन के नाम से मशहूर हैं। एक समय इनका इतना बड़ा प्रभाव हो गया था इन्हीं के नाम पर संवत चल निकला था। इनके कहीं सिक्के मिले जिन पर 'मालवानाम् जय' लिखा रहता है। ये गणवादी (जाति राष्ट्रवादी) थे। इस बात का सबूत इन के दूसरे प्रकार के उन सिक्कों से भी हो जाता है जिन पर 'मालव गणस्य जय' लिखा हुआ है। जयपुर के नागर नामक कस्बे के पास से एक पुराने स्थान से इनके बहुत से सिक्के मिले थे। जिनमें से कुछ पर मलय, मजुप और मगजस नाम भी लिखे मिले हैं। हमारे मन से यह उन महापुरुषों के नाम हैं जो इनके गण के सरदार रह चुके थे। इन लोगों की एक लड़ाई क्षत्रप नहपान के दामाद से हुई थी। दूसरी लड़ाई समुद्रगुप्त से हुई। इसी लड़ाई में इनका ज्ञाति राष्ट्र छिन्न-भिन्न हो गया और यह समुद्रगुप्त के साम्राज्य में मिला लिया गया इनके सिक्के ईसवी सन के 250 150 वर्ष पूर्व माने जाते हैं।

Distribution

Notable persons

External links

References


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