Jat Club

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Jat Club or Jat Vimarsh is an Organization of Jats in Jaipur, Rajasthan for discussion about Jats and social upliftment Jat community.

जाट क्लब चर्चा 8 जनवरी 2017 के बिन्दु

दिनांक 8 जनवरी 2017, रविवार को 10.30 बजे से 4 बजे तक जाट समाज से सम्बंधित महत्त्वपूर्ण मुद्दों (विषय-सूची नीचे है) पर समाज के कुछ प्रबुध्द स्वजनों (चयनित और सीमित संख्या में ही) का जयपुर में एक परिचर्चा का कार्यक्रम रखा गया।

  • A. कार्यक्रम में विचार-विमर्श हेतु विषय-सूची:-
1. वर्तमान में जाट समाज में प्रभावी सामाजिक संगठन का अभाव, इसकी आवश्यकता/महत्त्व और रुपरेखा
2. जाट आरक्षण : बदलते परिप्रेक्ष्य में संकट और समाधान
3. जाट इतिहास का नये सिरे से लेखन और अलिखित मौखिक जाट इतिहास के संकलन हेतु दीर्घकालीन कार्य-योजना
4. जाट समाज में व्याप्त कुरीतियों के उन्मूलन हेतु व्यवहारिक योजना
5 . प्रतियोगी परीक्षाओं में समाज की प्रतिभाओं के अधिकाधिक चयन हेतु समग्र रणनीति
  • B. परिचर्चा का समय : प्रातः 10.30 से सांय 4.00 बजे तक (भोजनावकाश : 1.30-2.30 pm)
  • C. आयोजन स्थल : होटल महादेव पैलेस, 179, महादेव नगर, रामनगरिया रोड़, 7 नम्बर चौराहे के पास, जगतपुरा, जयपुर, होटल का टेलीफोन नम्बर : 0141-2750456, 9529371000
  • समन्वयक - राम स्वरूप चौधरी

जाट विमर्श 8 जनवरी 2017 काआयोजन

जाट विमर्श 8 जनवरी 2017 का आयोजन: जयपुर में बुद्धिजीवी जाटों का विचार विमर्श दिनांक 8 जनवरी 2017 को संपन्न हुआ. जाट विमर्श नव वर्ष स्नेह मिलन का आयोजन स्थल था - होटल महादेव पैलेस जगतपुरा, 179, महादेव नगर, रामनगरिया रोड़, 7 नम्बर चौराहे के पास, जगतपुरा, जयपुर. होटल का टेलीफोन नम्बर : 0141-2750456, 9529371000. इसमें समाज के सैकड़ों बुद्धिजीवी व्यक्तियों ने भाग लिया. विचार विमर्श में समाज को प्रगति देना, कोम के इतिहास को घर-घर तक पहुंचाना, संपूर्ण भारत के जाटों को आरक्षण दिलवाना एवं युवाओं के प्रशासनिक सेवाओं के लिए मार्गदर्शन आदि पर चिंतन किया गया और तय किया गया प्रशासनिक सेवाओं के मार्गदर्शन के लिए सीनियर समाज के अधिकारी गणों के द्वारा होनहार युवाओं को निशुल्क कोचिंग दी जाएगी जो यथाशीघ्र ही शुरू होने वाली है. इस आयोजन में सम्मिलित होने वालों में मुख्य हैं:

  • श्री डॉक्टर वीरेंद्र जी चौधरी - आस्थमा विशेषज्ञ,
  • श्री नरेंद्र जी डांगावास IPS - रिटायर्ड डीआईजी सीमा सुरक्षा बल,
  • चौधरी रोहिताश जी भगासरा - चौधरी पब्लिक स्कूल ऑफ ग्रुप्स जयपुर के चेयरमैन, रोहितास जी भगासरा ने जयपुर में जाट समाज के युवाओं को अधिकारी बनाने के लिये कोचिंग शुरू करने के लिये भवन देने की घोषणा की।
  • लक्ष्मण जी बुरड़क IFS (R) - वेबसाइट जाटलैंड मोडरेटर ,
  • रामदेव जी मेहता - अप्रवासी भारतीय कनाडा वाले,
  • श्री ईश्वर जी बुरड़क,
  • कर्नल दीपक जी मील - तैनात जैसलमेर,
  • श्री भागीरथ जी चौधरी - एक्सईएन विद्युत विभाग तनोट जैसलमेर,
  • श्री चंद्रभान जी चौधरी - डिप्टी एसपी एंटी करप्शन,
  • श्री राम स्वरूप जी चौधरी - प्रवर्तन अधिकारी जिलाधीश कार्यालय जयपुर,
  • श्री रामनारायण जी चौधरी - प्रदेश अध्यक्ष आदर्श जाट महासभा,
  • श्री रामनिवास हरितवाल - सांगनेर वाले,
  • श्री राजू जी चौधरी - सरपंच देवलिया,
  • श्री कैलाश जी चौधरी - प्रगतिशील किसान कोटपूतली वाले,
  • चौधरी सुरेंद्र देशवाल जोधपुर वाले - जयपुर से प्रकाशित दैनिक पुलिस और मुजरिम के संपादक ,
  • श्री बलबीर जी चौधरी - व्याख्याता जोधपुर,
  • चौधरी चन्द्र प्रकाश डूडी - पत्रकार
  • धर्मवीर जी पूनिया फौजी साहब,
  • श्री धर्मेंद्र जी आचरा,
  • समाज के अनेक गणमान्य नागरिक,

मंच को संचालित किया दूरदर्शन प्रोग्रामर श्री हरिराम जी किवाड़ा ने ( JVP Media Group Email: jvpmediagroup@gmail.com, Mob: 9784412859.). जाट समाज के बुद्धिजीवियों का चयन करके निमंत्रण देने वाले और समारोह के आयोजक श्री सुरेंद्र जी भाकल नागौर सीएडी कोटा थे. इस आयोजन में निशुल्क ठहरने की एवं खाने की व्यवस्था करने वाले होटल महादेव पैलेस के मालिक श्री श्रवण शेरावत का अभूतपूर्व योगदान रहा. समारोह में यह निर्णय लिया गया कि ऐसे समारोह हमारे भारत के प्रत्येक जिले में आयोजित होने चाहिए जिनके विचार विमर्श से आने वाली भावी युवा पीढ़ियों के लिए उचित मार्गदर्शन दिया जाए और ऐसे कोचिंग इंस्टिट्यूट निशुल्क समस्त भारत में स्थापित किए जाएं। (See:Deepak Juthra on face book), (चौधरी चन्द्र प्रकाश डूडी- फेसबुक)

Gallery of Jat Vimarsh Images 8.1.2017

जाट विमर्श चर्चा 12.2.2017

जाट विमर्श चर्चा 12.2.2017

जाट विमर्श चर्चा 12.2.2017: जाट विमर्श 8 जनवरी 2017 की विस्तृत चर्चा में प्राथमिकता से सूचीबद्ध किए निम्न विषयों पर चर्चा हेतु होटल मानसरोवर पैलेस जयपुर में बैठक रखी गई - 1. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हेतु कोचिंग संस्थान की स्थापना, 2. इतिहास पर सम्मेलन आयोजित करना. इस बैठक में हुए विचार-विमर्श में भाग लेने वालों में प्रमुख थे:

  • चौधरी पाबूराम गठाला - समाज के भामाशाह
  • श्री लक्ष्मण बुरड़क - सेवा निवृत आईएफएस अधिकारी
  • श्री सुभाष जाखड़ - पिलानी
  • श्री रामस्वरूप चौधरी - प्रवर्तन अधिकारी जिलाधीश कार्यालय जयपुर
  • प्रो. एच. आर ईसराण
  • श्री डी सी सारण
  • श्री नरेंद्र सिंह डांगावास IPS - रिटायर्ड डीआईजी सीमा सुरक्षा बल
  • सोम दत्त नेहरा - AEN PHED, नागौर
  • बाबूलाल - पत्रकार जयपुर
  • डॉ सोहन चौधरी (खोजा) - प्रोफ़ेसर, दिल्ली विश्वविद्यालय
  • डॉ भरत सारण - 'फिफ्टी विलेजर्स सेवा संस्थान' बाड़मेर
  • डॉ सुरेंद्र सिंह - 'फिफ्टी विलेजर्स सेवा संस्थान' बाड़मेर
  • श्री महेंद्र भामू - नाप तौल विभाग
  • बनवारी लाल - फ़ूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया

समाज के गणमान्य एवं सामाजिक सरोकारी लोगों की इस बैठक में विचार-विमर्श के उपरांत ये निर्णय लिए गए-

1. कम्युनिटी के उत्थान एवं प्रबोधन हेतु 'तेजा फाउंडेशन' नाम से संस्था गठित करने की कार्यवाही शुरू की जानी है.

2. फाउंडेशन का रजिस्ट्रेशन होने के बाद समाज के जरूरतमंद व होनहार युवाओं के लिए प्रशासनिक सेवाओं के लिए फ्री कम्युनिटी कोचिंग शुरू करने का निर्णय लिया गया.

3. फाउंडेशन के संस्थापक सदस्यों से 11000/- रुपये की राशि सदस्यता शुल्क के रूप में निर्धारित की गई.

इस बैठक में चौधरी पाबूराम गठाला ने पहले दानदाता के रूप में स्वेच्छा से एक लाख रुपये देनेकी घोषणा की. यह भी विश्वास दिलाया कि फाउंडेशन के गठन के बाद संसाधनों के रूप में अन्य आवश्यक सहयोग भी दिया जाता रहेगा. बैठक में श्री सुभाष जाखड़ ने सदस्यता शुल्क के रुपये 11000/- नकद श्री रामस्वरूप चौधरी को दे दिए. इस बैठक से करीब तीन महीने पहले नवम्बर 2016 में नोटबन्दी के कारण लोगों के पास उस समय यह नकद राशि नहीं थी. इसलिए चौधरी रामस्वरूप ने अपनी पत्नी के बैंक एकाउंट नम्बर देकर कहा कि इस खाते में सदस्यता की राशि जमा करवा दें. इस प्रकार कई सदस्यों ने चौधरी रामस्वरूप की पत्नी के खाते में सदस्यता राशि रुपये 11000/- जमा करवाई. नरेंद्र सिंह डांगावास IPS ने 11000 रु. सदस्यता शुल्क जमा कराई थी परंतु रामस्वरूप में उनको विश्वास नहीं था इसलिये सदस्यता शुल्क वापसी के लिए अध्यक्ष से अनुरोध किया और वह राशि वापस की गई.

तेजा फाउण्डेशन पर विवाद

जून 2021 के प्रारंभ में तेजा फ़ाउंडेशन के सचिव राम स्वरूप चौधरी द्वारा इसके नींव के पत्थर दानदाता चौ. पाबूराम जी घिंटाला के विरुद्ध सोशियल मीडिया पर एक दुष्प्रचार का अभियान चलाया जिसमें कुछ प्रमुख लोगों की राय यहाँ दी जा रही है.

सुभाष जाखड़: उड़ान जयपुर की लांचिंग 23.4.2017

उड़ान जयपुर की लांचिंग 23.4.2017

आज जब इस ग्रूप पर तेजा फाउण्डेशन में हो रही ठगी पर चौ. पाबूराम जी घिंटाला के विचार पढ़े तब अचानक 2017 की 'उड़ान' के लाँच करने की यादें ताजा हो गयी.. 23 अप्रेल 2017 को जयपुर में उड़ान की लाचिंग हुई थी.. जाट क्लब के बहुत सारे सदस्य उस शानदार लाचिंग में भागीदार थे.. तन/मन/धन से सहयोग किया था सबने... तकरीबन 50 लाख तक के डोनेशन की घोषणा हुई थी मंच से.. मुझे यह बात इसिलिये पता है क्योंकि मंच संचालन मैनें और पूनम चौधरी ने किया था.. 'उड़ान' की लांचिंग गाँवो के प्रतिभाशाली जाट छात्र/छात्राओं को उड़ान भरने के लिये खुला आकाश देने के लिये तेजा फाऊंडेशन के बैनर तले हुई थी !!

तेजा फाऊंडेशन का गठन भी उड़ान के साथ ही हुआ था.. श्री लक्ष्मण बूरड़क को अध्यक्ष, मुझे उपाध्यक्ष, प्रो. एच आर इसरान को कनविनर बनाया गया था.. एक अति महत्वाकाँक्षी व्यक्ति जो मुझे अपना बड़ा भाई कहता था रामस्वरूप चौधरी सचिव बनाया गया था. चौ. पाबूराम जी घिंटाला ने मेरे आग्रह पर अपना भवन देने की घोषणा की थी. क्योंकि एन वक्त पर रोहितास भगाशरा ने भवन देने से मना कर दिया था जिसका वादा पिछली बैठक में कर चुके थे.

लाचिंग के हफ्ते भर बाद ही सचिव की महत्वाकांक्षाओं ने अपने रंग दिखाने शुरू कर दिये.. मैनें सभी महानुभावों का ध्यान इस और आकर्षित करने की कोशिश की.. जाट क्लब पर भी इस बारे में लिखा .. पारदर्शिता किसी भी समाजिक संस्था की आत्मा होती है .. खुलापन बेहद जरूरी है किसी भी समाजिक सरोकार वाली संस्था के लिये.. जहाँ पारदर्शित नहीं होती वहाँ घाल-मेल होती है.

जब अध्यक्ष महोदय को मैनें कहा कि सचिव महोदय ने संस्था को हाईजेक कर लिया है आप तुरंत मिटींग बुलायें .. उन्होने अपनी असमर्थता व्यक्त की और मुझे सुझाव दिया आपमें ऊर्जा है .. आप अलग संस्था का गठन कर लें.. प्रो. इसरान साहब से बात की तो उन्होने भी अपनी असमर्थता जाहिर की.. मैनें फैसला वक्त पर छोड़ दिया.. धीरे धीरे सचिव की महत्वाकाँक्षायें अपना रंग दिखाती रही .. पहले प्रो. इसरान को हटाया फिर लक्ष्मण बुरड़क को हटाया .. और अब महत्वाकाँक्षाओं ने चौ. पाबूराम जी घिंटाला को बाहर का रास्ता दिखा दिया... दो साल पहले जब मैनें जब जाट क्लब पर लिखा था .. तेजा फाऊँडेशन विशुद्ध ठगी है .. तब चौ. पाबूराम जी स्वयं मेरे विरोध में खड़े हो गये ...और आज वक्त देखो, खुद कह रहे हैं यही बात .. चौ. पाबूराम जी घिंटाला एक विशाल हृदय के नेकदिल इंसान हैं .. विभिन्न समाजिक संस्थाओं में खुले दिल से सहयोग करते हैं .. मन में कोई मैल नहीं रखते .. अपनी मेहनत के बल पर धरातल से उठे हुये इंसान हैं .. या यूँ कहूँ एक बेहतरीन इंसान हैं.. मैनें तो इनको सेठ छाजूराम की उपमा दी थी .. मेरे बेहतरीन दोस्त हैं l

झूठ ज्यादा दूर नहीं चलता .. कभी ना कभी सच्चाई सामने जरूर आती है.. आदमी का असली चरित्र कभी नहीं बदलता .. जिसने एक को धोखा दिया है वो दूसरे को जरूर धोखा देगा.. और हमें कोई बात तब तक समझ नहीं आती जब तक वो हम पर ना गुजरे.. किसी और के साथ गलत/अन्याय हो रहा हो तब हम चुप रहते हैं .. लेकिन उम्मीद करते हैं जब हमारी बारी आये तब लोग हमारे साथ खड़े हों l

मेरे जीवन की इस घटना ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है .. विशेषकर इंसानों को पहचानना.. पहले में हर किसी पर विश्वास कर लेता था. !! सादर राम राम !! ....सुभाष जाखड़

सुभाष जाख: जब भगासरा जी ने ऐन वक्त पर हम लोग उनके घर गए थे उन्होंने मकान देने से मना कर दिया था तब हम सब लोगों के सामने कोई विकल्प नहीं था, भगासरा जी के मना करने के बाद हम लोग रात के समय किसी पूर्व एमएलए के यहां भी गए थे लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ उसके बाद आपने तुरंत पाबूराम जी से बात करी और चौधरी जी ने तुरंत कह दिया की मेट्रो स्टेशन मानसरोवर के पास मेरी बिल्डिंग है आप अपना काम करें तेजा फाउंडेशन के किसी भी कार्य को नहीं रुकने देना ,आप लोगों ने स्वतंत्र होकर 23 अप्रैल 2017 के कार्यक्रम में काम किया हम लोग राजारामजी डॉक्टर हरिसिंह जी डॉ देवेंद्र सिंह जी बहुत से लोगों से मिले और अपील भी की समाज के महान कार्य को सफल बनाना है और लोग आए ,लेकिन 23 अप्रैल के बाद क्या हुआ उसके बारे में मुझे जानकारी नहीं उस कार्यक्रम में मैं खुद उपस्थिति था और मेरी पूरे कार्यक्रम में भूमिका रही. उसके बाद किसी से मुझे नहीं बुलाया.... सुभाष जाखड़


डॉ सोहन चौधरी (खोजा)

तेजाफाउंडेशनप्रकरण - मेरी और चौधरी पाबु राम जी गठाला साहब की पहली मुलाक़ात भी तेजा फ़ाउंडेशन को रजिस्टर्ड कराने व उसको शुरू करने के सिलसिले में जयपुर में सभी साथियों के साथ हुई थी।मैं भी दिल्ली से जयपुर इस संस्थान को रजिस्टर्ड करवाने के लिये व इसके ‘विजन’ पर काम करने के लिये कई बार आता रहा हूँ और संस्थान का संस्थापक-सदस्यों में से एक हूँ।

पहली ही मिटिंग में चौधरी पाबु राम जी ने हमें सबको भरोसा दिलाया कि आप लोग पैसों की चिंता नहीं करे। हुआ भी वही। चौधरी साहब ने इस संस्थान के संरक्षक के रूप में आर्थिक सहयोग तो किया ही किया।इसके साथ-साथ अपना घर भी संस्थान को चलाने के लिये दे दिया।मैं इसका गवाह रहा हूँ। इस बात के लिये चौधरी साहब बहुत बहुत बधाई के पात्र है।

मैं तेजा फ़ाउंडेशन जयपुर के सभी संस्थापक सदस्यों व संरक्षकों को आग्रह करता हूँ कि वे जल्दी से जल्दी समय पर मिटिंग बुलाकर सभी ज्वलंत मुद्दों पर बातचीत कर सकारात्मक फ़ैसले ले और इसके सभी कार्यों में पारदर्शिता लाये ताकि यह संस्थान आने वाले दिनों में हमारे छात्र-छात्राओं को अच्छी कोचिंग व करियर काउंसिलग दे सके।

हर संस्थान के जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते है।मैं उम्मीद करता हूँ कि वीर तेज़ाजी महाराज के आशीर्वाद से सब कुछ ठीक होगा। संस्थान से जुड़े हुए सभी लोगों को मेरी ओर से ढेर सारी शुभकामनाएँ व प्यार। आदर के साथ....डॉ सोहन चौधरी (खोजा), प्रोफ़ेसर, दिल्ली विश्वविद्यालय।


डॉ रघुवीर चौधरी ( फैकल्टी भूगोल )

तेजा फाउंडेशन को लेकर चल रही उठापटक मेरे लिए बेहद पीड़ा का विषय है।क्योंकि यह मेरे समाज और मेरे इष्टदेव तेजाजी के नाम(मात्र) पर संचालित थी। मुझे यह वक्तव्य लिखते समय भी बेहद पीड़ा महसूस हो रही है लेकिन, जब समाज की बेहतरीन संस्था को कुछ स्वार्थी धनदस्यु गर्त में धकेल रहे हैं तो रुका नहीं जाता। मैं बड़े पैकेज पर एक संस्था में काम कर रहा था,लेकिन जब मुझे मेरे विद्यार्थी नवीन चौधरी (वर्तमान में राजनीति विज्ञान के व्याख्याता एक दिन एक ही वाक्य में बैरागी और भावुक बना दिया "गुरूजी आ रिप्याँ नैं कठै म्हेलस्यो, जखा समाज में जनम लियो है बीं खातर भी क्यूँ करो" मैनें यह सुनकर जो महसूस किया उसको बयां नहीं कर सकता। फिर जब बैठकर बात की तो पता चला कि तेजा फाउंडेशन नाम की एक संस्था समाज के होनहार विद्यार्थियों का मार्ग प्रसस्त करने के लिए संकल्पित है और उन्हें निश्शुल्क कोचिंग देती है।मैनें मोटा पैकेज ठुकराकर समाज सेवा के निमित्त तेजा फाउंडेशन से जुड़ा।

यह लिखते हुए मैं भावुक हूँ और मेरे हाथ काँप रहे हैं,कि कैसी परिस्तियां पैदा करके मुझे ना चाहते हुए भी मेरे समाज के सुखद सपनों के अरमान तेजा फाउंडेशन को छोड़ने पर मजबूर किया गया। विस्तार पूर्वक चर्चा कभी रूबरू होने पर करेंगे लेकिन कुछ बातें समाज के सभी गणमान्य महानुभावों से शेयर चाहूँगा कि, किस प्रकार समाजसेवा के नाम के पाखण्ड की आड़ में किस प्रकार स्वार्थ-सिद्धि में लगे कुछ तथाकथित समाज सेवकों ने समाज की आँखों में धूल झौंकी।

मैं जब इस संस्था से जुड़ा तब इसमें 65 विद्यार्थी थे जिनको मैनें निश्शुल्क पढ़ाया । तेजा फाउंडेशन से जुड़ने पर पाया कि ,विद्यार्थी बेहतर परिणाम दे सकते हैं बशर्ते स्तरीय शिक्षक हों तो।लेकिन कोई ढंग की फैकल्टी उपलब्ध नहीं थी, विद्यार्थियों की बौद्धिकता को देखते हुए जयपुर की टॉप फैकल्टीज को बिना कोई पारिश्रमिक दिए मैनें मेरे लाइजन से या हाथाजोड़ी करके पढवाया जिनमें प्रोफेसर दिनेश गहलोत, पुष्पा सारस्वत, पी एस राठौड़, गजेन्द्र सिंह कविया, धर्मेंद्र शर्मा, डॉ नेहा शर्मा, डॉ के एल पुरी, सुखराम कालीराणा आदि शिक्षक शामिल हैं।

65 में से 58 विधार्थियों ने RAS प्री क्लियर किया ,छात्रों का विश्वास बढा मैंनें उनके लिए और अधिक टाइम निकाला और RAS मुख्य परीक्षा की भी तैयारी करवाई ।आज भी ये सभी विद्यार्थि धन्यवाद देते हैं, यह समय था जून से अगस्त 2018 के बीच का।

RAS प्री एग्जाम के बाद संस्था को घाटे मे दिखाकर बंद करने की योजना बनाई गई, बंद करना इनका उदेश्य नहीं था केवल दिखावा था। समाजसेवियों से चंदा वसूलने के लिए, कई बार मुझे कहा गया कि इसे हम बंद करेंगे मैं भी इनकी भावनाओं मे बह गया और समाज की संस्था को बचाने के इनके नाटक के झांसे में आ गया। समय बलवान है!

16अक्टूबर 2018 के दिन जाट समाज के विद्यार्थियों के लिए समर्पित जाट समाज के भामाशाह पाबूराम जी(जिनका दक्षिणी अफ्रीका,युगाण्डा और इथोपिया में कारोबार है,फिर जड़ों के प्रति गहरा प्रेम और समर्पण है)की माताजी का देहाँत हो गया। वहाँ तीये की बैठक थी जिसमें प्रोफेसर इसरान साहब, बुरड़क साहब, सचिव रामस्वरूप चौधरी, बनवारी लाल, प्रमोद ओलनिया, यह सब उपस्थित थे और मेरे को बार-बार कहा गया कि, आप तेजा फाउंडेशन को संभालो तब मैंने संभालने का निर्णय लिया तो उस समय यह बात हुई कि, 200-300 छात्रों को ही पढ़ायगें।मॉर्निंग और इवनिंग में चार बैच बनायेंगें।

सर्वप्रथम मेरे निर्देशन मे स्कूल व्याख्याता का बैच शुरू हुआ जिसमें अपार सफलता मिली और सर्वसमाज तथा राजस्थान की कोचिंग इन्डस्ट्री में तेजा फाउंडेशन की चर्चा हुई।

16 जनवरी 2019 को RAS का पहला बैच बना, इसरान साहब ने विद्यार्थियों का इंटरव्यू लिया जिसमें 400 में से 60 विद्यार्थियों का चयन किया गया,जिससे सचिव महोदय नाख़ुश थे।


मार्च 2019 मे दूसरा बैच बना और लालच बढ़ना शुरू हो गया

तेजा फाउंडेशन की कार्यकारिणी की बैठक हुई जिसमें इसरान साहब ने जो प्रश्न पूछे उसका सचिव महोदय ने कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दिया और इसरान साहब का फाउंडेशन से मोह भंग हो गया ।

तीसरे बैच की तैयारी करने लग गए तब मैंने कहा इसरान साहब को पूछें, तब सचिव महोदय ने मना कर दिया और कहा "उनको अभी नहीं बाद में कहेंगे अभी वो नहीं आ पायंगे"

बैच नंबर 4 का एक छात्र जिसने सोशल मीडिया पर पाबूराम जी, इसरान साहब, बुरड़क साहब और मेरे संदर्भ में एक पोस्ट डाली जिसमें कुछ पंक्तियाँ लिखकर हम तीनों की प्रशंसा कर दी, तो कोषाध्यक्ष महेंद्र चौधरी ने उस छात्र को कार्यालय में बुलाकर पहले तो उसका मोबाइल फोन छीनकर खुद ने उस पोस्ट को डिलीट किया तथा उसके साथ अभद्रता से पेश आकर उसे जलील किया गया।उस छात्र का ID कार्ड छीन लिया और संस्थान से एक सप्ताह के लिए बाहर निकाल दिया।

लालच बढ़ता गया और बैच बनते गए... अब क्रम शुरू होता है योग्य शिक्षकों को बाहर का रास्ता दिखाने का जिसमे नरेंद्र धाकड़, नरेश कुमार, धर्मेंद्र शर्मा, राजेन्द्र सारण, सुखराम कालीराणा इन सब को फाउंडेशन से बाहर करना और अपने अयोग्य चहेतों को रखना जिसका खामियाजा समाज के होनहारों को झेलना पड़ा।

बैच नंबर 6 में जयपुर से सहायक जिला कलक्टर साहब का फ़ोन आया, ऐसा ही मामला था गरीब, होनहार, विद्यार्थी का लेकिन सचिव महोदय ने कहा कि मेरे से ही बात कर लेंगे ADM साहब । अब तक बुरड़क सर भी अध्यक्ष के पद से मुक्त हो चुके थे ।

अब शुरू होते हैं एजुकेशनल ट्यूर!!प्रत्येक छात्र से 2000 हजार रूपये लिए और समाज को नि:शुल्क बताया । जिसमें अपने चहेतों और परिवार वालों को भ्रमण में ले जाना, मैंनें ऐसे गलत भ्रमण का विरोध किया ना उसमें भाग लिया और शेष बचे बच्चों की क्लासेज लेता रहा। छात्र पूछते कि आप ट्यूर में क्यों नहीं गए? हँसकर बात टाल जाता(बालक अबोध हैं,पसीने की खुशबू क्या जानें)

एक दिन कोषाध्यक्ष महेंद्र चौधरी ने यह कहा आप यह कुर्शी खाली करो यहाँ यादव जी संभालेंगे। विद्यार्थियों ने विरोध किया तो मैंने संस्था हित में विद्यार्थियों को समझाया कि,प्यारे बच्चों मुझे टाइम कम है। पाबूराम जी ने पूछा ये क्या हो रहा है तो सचिव महोदय ने कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दिया ।

RAS 2016 के समाज के सेलेक्ट लोगों का सम्मान समारोह और यहां भी इनके चहेते! कोई भी समाज के दानवीर नहीं थे ।इस आयोजन में बीज के बाजरे (मुखिया) पाबूरामजी को भी अंधेरे में रखा गया। , मैं यह सहन नहीं कर पाया और कार्यक्रम के बीच में से उठकर आ गया। कुछ RAS ने पूछा,तो सच्चाई जानकर इस छल-छद्म भरे आयोजन से उठकर, वो भी चले गए।

अब बात आई कड़ाके की ठण्ड में ठिठुरते हुए आने वाले बच्चों की तो मैंने कहा इन बच्चों को नि:शुल्क ब्लेजर दिए जाने चाहिएँ,, तो सचिव महोदय ने हाँ कर दी, मैंने छात्रों को बोल दिया आपको नि:शुल्क ब्लेजर मिलेगा। फिर सचिव महोदय ने निर्णय बदल कर कहा 1100 रूपये लगेंगे !!

मैंने मामला उठाया तो कहा गया आपकी कोई जरूरत नहीं है, आपके बिना भी यह संस्था चल जाएगी। मुझे तो हजारों ऑफर थे पर समाज के नाम पर जब मुझे ठगा ही नहीं गया, अपमानित भी महसूस हुआ तब मैंने दूरिया बनानी शुरू कर दी। लॉकडाउन -1 मे फिर विद्यार्थियों को Zoom पर पढ़ाया गया इसमें भी पैसे की बहुत हेराफेरी हो रही थी ।

अब आ जाता है PSI का रिजल्ट जिनमे संस्था के 25 विद्यार्थियों का चयन होना बताया गया जो बिल्कुल गलत था, संस्थान मे PSI का कोई बैच नहीं चला था, RAS बैच 1 की छात्रा मोना बुगालिया का चयन हुआ तो उसने इसका श्रेय पाबूराम जी व मेरे को दिया तो उसका नाम लिस्ट से हटा दिया गया और मोना बुगालिया के साथ जो हुआ वो उसको पूछना कितना प्रताड़ित किया गया ।

अब बात आती है संस्था के दो सदस्य जिनको शाम के वक़्त 7.50 पर शराब के ठेके पर कई बार छात्रों ने देखा गया और वो शराब पार्टी करते थे !!

मैंने मेरा दायित्व समझकर सारी बात समाज के सामने रख दी है, अब समाज को तय करना है क्या करना है और क्या नहीं करना।

डॉ रघुवीर चौधरी (फैकल्टी भूगोल), संस्थापक मैनेजमेंट सदस्य, तेजा फाउंडेशन (Facebook Post of Raghuveer Choudhary, 3.6.2021) Note: He was forced to delete this post but saved here for record.


राजेन्द्र कालीराणा

आदरणीय पाबूराम जी घिंटाला इस शख्स ने तेजा फाउंडेशन मै सुधार करने का जिम्मा उठाया है, फाउंडेशन मै व्याप्त अव्यवस्था और फाउंडेशन को एक व्यक्ति सचिव महोदय द्वारा मनमानी करना, फाउंडेशन के धन मै हेराफेरी करना, फाउंडेशन की शाख को कमजोर करना आदि मुद्दों को लेकर पाबूराम जी आगे आए है जिनको समाज के बंधुओ का साथ जरूरी है क्योंकी अकेला इंसान कहा तक चल पाएगा, समाज के सक्षम लोग भी इनका साथ ये कहकर नहीं दें रहे है की गंदगी मै कौन पत्थर मारे, ये एक दुर्बलता हुई फिर लोग इसका लाभ उठाते रहेंगे और ये गंदगी एक दिन विकराल रूप धारण कर समाज हित भावना का ही विनाश कर देगी, अगर अभी सच्चाई का साथ नहीं दिया तो आने वाले समय मै कोई समाज का शख्स आगे नहीं आएगा !! #Stand_with_paburam_choudhary_for_truth See Less — with चौ. अणदाराम गोदारा मकराना and 7 others....राजेन्द्र कालीराणा फेसबुक, 5.6.2021)

सत्यवादी वीर तेजाजी के नाम पर फाउंडेशन मै असत्य के बीज बोए जा रहे है, लेकिन असत्य ज्यादा दिन नहीं टिका रह सकता है, सत्य के सामने, जो फाउंडेशन की पोस्ट मै वक्ततव्य दिया गया है उसमें सत्य को कोशों दूर रखा गया है, मनगढ़त, झूठी, बातें पेश की गई है, जिसमें सच्चाई नहीं है !! एक व्यक्ति पर मंदगढ़त, झूठे आरोप लगाकर उसको आहत किया गया है, लेकिन उस व्यक्ति को समाज का हर व्यक्ति जानता है, क्या है, कैसा है, किसी को बताने की जरूरत भी नहीं है !! आदरणीय पाबूराम जी पहले दिन से कह रहे है, कार्यकारिणी की बैठक बुलाओ तो क्यों नहीं बुला रहे है क्या वज़ह है, बैठक बुलाकर आमने सामने जो लेखा जोखा है वो रख दो क्या दिक्कत है !! आदरणीय पाबूराम जी पर झूठा, मंदगडत, आरोप ना लगाकर, दुषप्रचार करने से कुछ नहीं होगा !! (राजेन्द्र कालीराणा फेसबुक, 7.6.2021)


पाबूराम चौधरी

तेजा जी के नाम पर झूठ: छह दिन बाद तेजा फाउंडेशन को अपनी बपौती समझने वालों ने एक पोस्ट डाली है जिसमें सरासर झूठ लिखा गया है। मेरे बारे में उलजुलूल लिखकर समाज को फिर गुमराह करने की कोशिश की गई है।

हक़ीक़त तो यह है--

1. फाउंडेशन शुरू करने के लिए मैं ही पहला दानदाता था जिसने एक लाख रुपये शुरुआत में ही देने की घोषणा की। उस समय इनके पास पैसा देने वाला और कोई नहीं था। जब मैं आगे आया तो मेरे को फाउंडेशन के संरक्षक बनाने की घोषणा की।

2. अप्रैल 2017 में तेजा फाउंडेशन के उद्घाटन समारोह से एक दिन पहले फाउंडेशन की उड़ान कोचिंग चलाने के लिए भवन देने की घोषणा करने वाले ने इनको मना कर दिया। इनके उद्घाटन समारोह ही फैल हो रहा था।तब इन्होंने अपना रोना मेरे पास आकर रोया। मैं भावुक आदमी हूँ। चालबाजों की चालाकी समझता नहीं। मैंने भावुक होकर इनको मेरा घर 'तेजा विल्लां' फ्री में देने का कह दिया। मेरे घर में इनकी कोचिंग चली जिसको ये कम आंक कर मेरे खिलाफ़ ही दुष्प्रचार कर रहे हैं। मेरे घर के बेसमेंट जुलाई 2017 से कोचिंग चली। उस समय कोचिंग और बोर्डिंग दोनों की सुविधा थी। मेरे घर के फर्स्ट फ्लोर के सारे कमरों में कोचिंग के लड़के रहते थे। इतना ही नहीं, पास के मेरे ही 'तेजा अपार्टमेंट' में नीचे के दो फ्लैट और फ्री में दिए। एक फ्लैट में इनका ऑफिस सेट करवाया। फर्नीचर कुर्सी-टेबल तक मैंने दिए। ये तो खाली हाथ आए थे। दूसरे फ्लैट में लड़कों को नाश्ता- खाना खाने के लिए और जरूरी सामान रखने के लिए दिया। इतना ही नहीं फ्लैट में बाहर की लड़कियों को भी अलग से रहने का वहां इंतज़ाम किया। ये सारी बातें इन हरामखोरों ने हक़ीक़त में नहीं बताई हैं। दिसम्बर 2017 से आर ए एस की तैयारी करवाने के लिए जब बड़े हॉल की जरूरत हुई तब फिर यह सचिव मेरे पास फिर हाथ जोड़कर खड़ा हो गया। मैंने मेरे घर के पास की बिल्डिंग में मालिक को दबाकर कम किराए पर इनको ऊपर का हॉल दिलवाया। मेरा काम छोड़कर इनका काम किया और अब इनके तेवर देखो। कितने धोखेबाज हैं।

ये नमकहराम अहसान फरामोश वो दिन भूल गए। जीती मख्खी गटक रहे हैं। जब जयपुर में सब जगह भटक कर आ गए। तब आसरा मैंने अपने घर में दिया था। तब तो मैं इनके लिए सोने का था और बड़ा दानदाता था। गुणगान करते नहीं थकते थे। आज मैं इनके लिए कोयले का बन गया। ये नमकहरामी जिस थाली में खाते हैं उसमें छेद करने वाले निकले। समाज इनकी नमकहरामी समझ रहा है।

3. दानदाताओं की जो लिस्ट डाली है वह आधी-अधूरी है। कोचिंग करने वाले लड़कों से हरेक से 11 हज़ार रुपये तक जो राशि वसूल की गई उसकी लिस्ट साथ में क्यों नही है? क्या उस पैसे को पैसा नहीं मान रहे हो? कॉशन मनी भी कइयों की नहीं लौटाई। पिछले चार साल से अभी भी करीब 1200 लड़के- लड़कियों से पैसा ले रखा है। मैं हर साल इनको मीटिंग बुलाकर हिसाब किताब पेश करने का बोल रहा हूं पर ऐसा नहीं किया। मेरे बारे में दुष्प्रचार कर रहे हैं। हेराफेरी खुद करते हैं और दुष्प्रचार मेरा।

4. किसी भी संस्था का हिसाब हर साल संस्था की कार्यकारिणी व संस्था की जनरल मीटिंग में रखा जाता है और उसका अनुमोदन करवाया जाता है। बैठक में उपस्थित लोगों के दस्खत होते हैं। साल वार मीटिंग में पास करवाया गया हिसाब किताब कहां है।बताओ उस हिसाब किताब पर किस किस के दस्खत हैं? यह लिस्ट फाउंडेशन शुरू होने के चार साल बाद डाली है। पहले हर साल क्यों नहीं डाली गई। हिसाब में हर साल के खर्चे का हिसाब भी दिया जाता है। वह कहां हैं। 4. दुष्प्रचार व हक़ीक़त के नाम से पोस्ट डाली है वह किस पदाधिकारी की ओर से डाली है यह क्यों नहीं लिखा? फाउंडेशन के टीम मेम्बर तो मैं भी था। संस्थापक मेम्बर। फाउंडेशन की नींव मेरे घर में रखवाई। मेरे से ही हिसाब किताब छुपा कर रखा गया। शुरुआती दौर में फाउंडेशन की हर छोटी बड़ी जरूरत को मैंने पूरा किया। 5. कौन कहता है कि सचिव और उसके चमचे खुद का प्रचार नहीं करते हैं। सचिव के जगह समाज के मंचों पर जाकर माला पहनता रहा है। खुद की बड़ाई करवाता रहा है। उस समय यह फाउंडेशन की निस्वार्थ सेवा करने वालों का कोई जिक्र नहीं करता। फाउंडेशन के कार्यक्रमों में यह और इसके वो साथी जो साल भर फाउंडेशन की ओर मुंह नहीं करते थे वो मिलकर स्टेज पर अपना गुणगान खुद करते थे। हर कार्यक्रम में सचिव व उसके सारे परिवार को स्टेज पर खड़ा करके अपना सम्मान करवाता रहा है। कार्यक्रमों में शामिल सब लोगों ने यह सब नाटक देखा है। फ़ोटो देखी जा सकती हैं। मार्च 2019 में हुए कार्यक्रम में इस सचिव ने स्टेज पर कहा कि मैं मन की बात करूंगा और अपनी ख़ूब झूठी बड़ाई की। हिसाब किताब रखने के बजाय अपनी बड़ाई करने का काम किया। अपने जन्मदिन पर कोचिंग में पढ़ाने वालों व लड़कों से अपने बारे में कसीदे लिखवाकर पोस्ट करवाता है। खुद के बारे में लिखवाई गई एक पोस्ट अलग से भेज रहा हूँ। इसे पढ़ लीजिए। पढ़ने से पता चल जाएगा कि यह आदमी खुशामद का कितना शौकीन है। खुद को भगवान का रूप बताता है। इससे ज्यादा घटियापन क्या हो सकता है। समाज पढ़े ओर जरा सोचे।

6. धोखेबाज, दुष्प्रचारी, नमकहरामी करने वाले, साथियों के साथ दग़ाबाज़ी करने वाले , हेराफेरी करने वाले समाज के आदर्श कब से होने लग गए। मेरे पर कोई यह आरोप नहीं लगा सकता। फाउंडेशन के सचिव और उसके चमचों का तो इतिहास ही यह रहा है। मेरे से बलत रखने वालों और मुझे मिटाने वालों के कई मुक़दमे झेले हैं। मेरे पर लगे झूठे मुकदमों की हकीकत भी सुन लो। मैं मार्बल की एशिया की सबसे बड़ी मंडी किशनगढ़ का संरक्षक हूं और जब मैं कोषाध्यक्ष था 29 करोड़ रुपये मार्बल असोसिएशन में इकट्ठा किया। इस राशि से मार्बल सिटी हॉस्पिटल, 540 बिगा जमीन डंपिंग यार्ड के लिये और फाइव स्टार टाइप मार्बल असोसिएशन का ऑफिस बनवाया। मैं ना कोई हेराफेरी करता ना किसी को हेराफेरी करने देता। इस बात से मेरे से बलत व खुन्नस खाकर स्वार्थी लोगों ने मेरे पर दर्जनों मुकदमे करवाया परन्तु दुनिया मे सच्चे ओर ईमानदार लोग भी हैं। पुलिस तहकीकात हुई , सच सामने आया और कोर्ट में मैं निर्दोष साबित हुआ।आज एक भी मुकदमा मेरे खिलाफ पैंडिंग नही है। मैं दोष मुक्त हूं।

फाउंडेशन के जिन लोगों ने सचिव की मनमर्जी और गलत बातों का विरोध किया उन सबको इसने फाउंडेशन छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया।यह खुद को और अपने चमचों के सिवाय किसी को पसंद नहीं करता। नमकहरामी करने वालों व धोखेबाजों के आरोप झेले हैं। मैंने मेरा ईमान नहीं बेचा। किसी से दबा नहीं। मैंने मेरी बात कह दी है। अब समाज को फैसला करना है कि दगाबाज, धोखेबाज , नमकहरामी करने वालों को समाज के साथ विश्वासघात करते देना है या उन पर नकेल कसनी है। फाउंडेशन के संस्थापक सदस्यों व समाज के मौजीज लोगों की मीटिंग बुलाकर उसमें पूरा मामला रखो तब असली रूप सामने आएगा। ......चौधरी पाबूराम गठाला, तेजा फाउंडेशन की नींव मेरे घर में रखने वाला (चौधरी पाबूराम गठाला फेसबुक, 7.6.2021

Laxman Burdak पाबू राम जी की बात से मैं पूर्णतया सहमत हूं. इनके इस स्टेटमेंट पर फाउंडेशन की ओर से अधिकृत स्टेटमेंट जारी करने के लिए सचिव को सामने आकर बिंदुवार इनका निराकरण करना चाहिए और समाज को अंधेरे से निकालना चाहिए. अन्यथा आगे से समाज का कोई संगठन बनना मुश्किल होगा. वर्तमान अध्यक्ष डॉक्टर पेमाराम जी को मैंने संदेश किया था परंतु उन्होंने कहा कि वे तो सोशल मीडिया से दूर हैं इसलिए कुछ नहीं कह सकते. दानदाताओं कोचिंग के प्रतिभागियों और समाज के लोगों के साथ हुए इस व्यवहार से मैं बहुत आहत हूं. फाउंडेशन से असंबद्ध लोगों से सोशल मीडिया में स्टेटमेंट जारी करने का कोई अर्थ नहीं है. यह तो फाउंडेशन के मूल सिद्धांतों के विपरीत है. (चौधरी पाबूराम गठाला फेसबुक, 7.6.2021


लक्ष्मण बुरड़क IFS (R)

संस्थापक अध्यक्ष, तेजा फाउंडेशन........

हाल ही में सोशल मीडिया पर तेजा फाउंडेशन के संस्थापक लोगों खासकर दानदाता पाबूरामजी गिठाला के बारे में उनका योगदान कमतर करने वाली कुछ टिक्का-टिप्पणी पढ़कर दुख हुआ. इसलिए वस्तु स्थिति का खुलासा करना जरूरी समझा गया है. तेजा फाउंडेशन का मूल उद्देश्य गरीब ग्रामीण विद्यार्थियों को निशुल्क कोचिंग प्रदान करना था. फाउंडेशन के मूल मक़सद समाज के जरूरतमंद युवाओं को प्रशासनिक सेवाओं और कुछ खास पदों की भर्ती के लिए राज्य स्तर पर आयोजित होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाना था. इसीलिए मैं भी अपनी निशुल्क सेवाएं अपने खर्चे पर दे रहा था. यदि हम प्रतिभागियों से फीस वसूल कर कोचिंग देते हैं तब यह समाज का संस्थान नहीं कहा जा सकता क्योंकि यह व्यवसायिक प्रतिष्ठान बन जाता है.

पाबूराम जी का योगदान समाज के लिए बेमिसाल है, अनुकरणीय है. आप तेजा फाउंडेशन की पौध रोपण करने वाले हैं, उसे अपने संसाधनों के पसीने से सींचा है. तेजा फाउंडेशन की शुरुआत पाबूराम जी द्वारा उपलब्ध करवाए गए अपने खुद के घर से हुई थी. एक तरह से नींव के पत्थर रहे हैं पाबूराम जी. तेजा फाउंडेशन के लिए उनका योगदान स्वर्ण अक्षरों में लिखने योग्य है.

समाज के गण्यमान्य लोगों के सहयोग से यह मुहिम पाबूराम जी के खुद के घर से जुलाई 2017 में शुरू की गई. कोचिंग व बोर्डिंग निःशुल्क व्यवस्था समेत. आर ए एस के फर्स्ट बैच के लिए पाबूराम जी ने ही अपने पड़ोस में एक बड़ा हॉल अपने प्रभाव का इस्तेमाल करवाते हुए कम किराए पर उपलब्ध करवा दिया. करीब 70 विद्यार्थियों के बैच की निःशुल्क कोचिंग लौटाई जाने वाली कॉशन मनी के साथ संचालित हुई. आ ए एस प्री में 59 विद्यार्थी पास हुए थे. इसके बाद जब मुख्य परीक्षा की तैयारी शुरू हुई तो फाउंडेशन के सचिव व उनके खासमखास सहयोगी लोग खुद को प्रोजेक्ट करने का काम जोरशोर से करने लगे. जबकि तेजा फ़ाउंडेशन के गठन के समय यह नीति बनाई गई थी कि हम स्वयम के प्रचार से बचेंगे. फाउंडेशन के अध्यक्ष ( मैं स्वयं ) और कोचिंग के कन्वीनर एच आर ईशराण के सुझावों पर कोई गौर नहीं किया जाने लगा. निम्नतर स्तर के अन्य पदाधिकारी अपनी मनमर्जी करने लगे. फाउंडेशन का लेखाजोखा बार-बार कहने के बावजूद पेश नहीं किया गया. इससे उनकी गतिविधियाँ संदिग्ध लगने लगी. कार्यक्रमों में स्टेज पर सचिव समेत दो तीन लोग खुद के गुणगान खुद ही करने लगे. जो लोग साल में कभी दर्शन नहीं देते थे, वो कार्यक्रमों में स्टेज पर काबिज़ होकर खुद का गुणगान करने-कराने के लिए आगे आ जाते थे. खुद को और सचिव की विरुदावलियाँ गाई जाने लगी. सचिव द्वारा अपनी जान पहचान वालों को कोचिंग में पढ़ाने के लिए बुलाया जाने लगा.

आर ए एस के पहले बैच की मुख्य परीक्षा आयोजित होने से पहले ही नए बैच शुरू किए जाने लगे. 11 हज़ार रुपये की फीस ली जाने लगी. सोशल मीडिया पर प्रचार यह चलता रहा कि फ्री कोचिंग है. कुल मिलाकर फाउंडेशन अपने मूल मकसद से भटककर सचिव समेत दो तीन लोगों की मनमर्जी से चलने लगा. यहाँ तक प्रयास हुआ कि बनवारी लाल जाट ने Jatland.com के तेजा फाउंडेशन पेज (https://www.jatland.com/home/Teja_Foundation) से पाबूराम जी का नाम हटाया जिसको रिवर्ट किया गया. इस पेज पर उनके इस कुत्सित प्रयास को आप भी देख सकते हैं. यह पेज खोलकर view history खोलें और समय 16:56, 19 September 2020 की प्रविष्टि देखें. तेजा फाउंडेशन पर ऐसी मानसिक विकृति वाले लोगों का कब्जा होने के कारण हमें इससे हटने को बाध्य होना पड़ा.

तेजा फाउंडेशन की 31 मार्च 2019 को आयोजित मीटिंग में मैंने और प्रो. ईशराण साहब ने मुखर होकर फाउंडेशन के नाम पर चल रहे सचिव एवं उनके दो-तीन चहेतों की मनमर्ज़ी पर सवाल उठाए. मेरे द्वारा शिकायतों के निवारण करने की बात सचिव से कही गई. सचिव ने बड़ी धृष्टता का परिचय देते हुए शिकायतों को अनसुना कर दिया. कोई जबाव नहीं दिया. उसी समय ईसराण साहब ने फाउंडेशन से अपने को अलग करने की घोषणा कर दी थी. मुझे चूंकि अध्यक्ष बना रखा था और मेरी बात भी नहीं सुनी जा रही थी तो मैंने भी घोषणा कर दी कि दो साल पूरे हो चुके हैं अब कोई नया अध्यक्ष चुन लीजिए. उस समय मुझसे निवेदन किया गया कि अगले 6 महीने तक अध्यक्ष का काम देख लें.

हमारे बार बार कहते रहने के बावजूद सचिव एवं कोषाध्यक्ष ने फाउंडेशन का लेखाजोखा पेश नहीं किया. फाउंडेशन को अपनी बपौती समझने लगे इसलिए हमने अलग होना उचित समझा. बाद में सचिव और उसकी मंडली ने पाबूराम जी को भी किनारे कर दिया गया.

तेजा फाउंडेशन में दिनांक 28.7.2019 को अध्यक्ष का चुनाव हुआ था जिसमें डॉक्टर पेमाराम जी को अध्यक्ष चुना गया था. मेरा मानना था कि किसी भी संस्था के अध्यक्ष को 2 साल से ज्यादा नहीं रहना चाहिए और इस नियम का पालन करना एक प्रजातांत्रिक कार्य है. उसके बाद से तेजा फाउंडेशन की गतिविधियों के संबंध में मुझे कोई जानकारी से अवगत नहीं कराया है. मुझे पता लगा है कि अब विद्यार्थियों से फीस वसूली की जाने लगी है. पहले से भी मुझे तेजा फाउंडेशन की कार्यप्रणाली पर असंतोष होने लगा था. मेरा मानना था और समय-समय पर सचिव को निर्देश भी देता था कि समाज से हम जो पैसा लेते हैं उनके एक-एक पैसे का हिसाब दें. क्योंकि कोई भी समाज का गणमान्य नागरिक अपनी मेहनत की कमाई से बच्चों के भविष्य के लिए दान देता है. तेजा फाउंडेशन में मेरे रहते समय ही कुछ समय से सचिव के द्वारा मनमानी कार्यप्रणाली से काम होने लगा था. जिसके लिए मेरे द्वारा बार-बार मना भी किया गया था. इसलिए मैंने इससे बाहर निकलना उचित समझा. समाज से लिए गए दान के पैसे के खर्च में पारदर्शिता नहीं दिख रही थी. समय-समय पर समाज के गणमान्य लोगों की बैठक कर उनको गतिविधियों से अवगत कराना और समाज से लिए गए पैसे का हिसाब देना आवश्यक होता है. तेजा फाउंडेशन के सर्वेसर्वा बनना और उसे खुद की प्रॉपर्टी समझना समाज के साथ विश्वासघात है. समाज अंधेरे में नहीं रहे इसलिये ये तथ्य प्रकाश में लाना जरूरी समझा गया.....लक्ष्मण बुरड़क IFS (R), संस्थापक अध्यक्ष तेजा फाउंडेशन (पाबूराम चौधरी- Paburam Choudhary Facebook, 2.6.2021)


राम स्वरूप द्वारा स्वयं की महिमामंडन करवाने वाली पोस्ट:

  1. तेजा फाउंडेशन

@"रामस्वरूप सर्" एक अनूठा व्यक्तित्व

मानव मन में उठते हुए विचार तरंगो के माध्यम से परमपिता परमेश्वर इंसान को आकाश छूने की प्रेरणा देता है | फिर, इंसान प्रयास करता है और यदा-कदा उसमें सफल भी होता है और कभी कभी नाकामयाब भी हो जाता है | सफलता सुख देती है, लेकिन वह सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान सत्ता सुख और दुःख दोनों देती है| इंसान के अन्दर जहाँ चेतन तत्त्व रहता है, वहीं परम चेतन तत्त्व भी निवास करता है | अब, जो घर में बैठा है, उसे बाहर खोजने कि क्या जरुरत है?

ऐसे ही एक शख्स का नाम है- श्री रामस्वरूप चौधरी | उनके अन्दर परम चेतन तत्त्व का निवास है, जो उन्हें बार बार प्रेरित करता है कि वे सर्वशक्तिमान की सेवा में स्वयं को समर्पित कर दे और श्री रामस्वरूप चौधरी जी ने ऐसा करके दिखा दिया है | राजस्थान कि माटी से जुड़े (अलवर) निवासी श्री रामस्वरूप चौधरी का जीवन एक खुली पुस्तक की तरह है, जिसके हर पन्ने पर सेवा की पंखुड़िया बिखरी पड़ी है | यदि कोई इन पंखुडियो की सुगंध ही महसूस कर ले तो उसका जीवन सफल हो जाएगा |

श्री रामस्वरूप चौधरी एक ऐसी शख़्सियत का नाम है,जो समाज के लिए सदा चिंतित रहता है | बिना किसी निजी स्वार्थ एवं भेदभाव के सबके काम को अंजाम देते हुए वे यही कहते है कि जो किया है,उसका कर्ता कोई और है-वे तो केवल माध्यम है | मृदुभाषी है और जब किसी से बात करते है तो लगता है कि उनकी वाणी से फुलझड़ियां छूट रही हो | फिर, अभिमान तो उनके पास फटकने की भी हिम्मत नहीं करता,क्योकि उनके स्वयं का यह अभिमत है कि सेवा ही पुरुषार्थ है और ऐसा करना मानव का सर्वोपरि धर्म है |

राजस्थानी माटी को यह गौरव हासिल है की वह अपने पुत्रों को सदा सेवा का मंत्र देती है और इसी मंत्र को अंगीकार किया हे श्री रामस्वरूप चौधरी ने | नौकरी की बजाय समाज सेवा को जीवन का मूल मंत्र मानने वाले चंद बिरले लोग ही होते है और उनमे से एक है श्री रामस्वरूप चौधरी | RAS/IAS के प्रेमजाल में बंधे युवाओं का मार्गदर्शन के लिए श्री रामस्वरूप चौधरी को आखिरकार 2017 में तेजा फाउंडेशन की सीढियाँ चढ़ने पर मजबूर होना पड़ा और उसमे भी उनको कदम-दर-कदम सफलता मिलती गयी | आज तेजा फाउंडेशन सफलता की उड़ान पर है, लेकिन सेवा का मूल मंत्र अब भी उनमे विद्यमान है।

सुदूर ग्रामीण क्षेत्र से आये समाज के अभाव ग्रस्त बच्चे सिविल सेवा में चयनित होने का सपना पाल रहे हर एक आकांक्षी के लिए रामस्वरूप सर् एक देवदूत की तरह अवतरित हुए है। प्रतियोगी परिक्षाओं के तनाव को कम करते हुए प्रत्येक अभ्यर्थी के साथ आत्मीयता का सम्बन्ध बनाये रखते हुए उन्हे सम्बल प्रदान करते है। तेजस्वी और शालीन व्यक्तित्व के धनी श्री रामस्वरूप सर् ने अपनी सहज-सरल वाणी द्वारा सदैव मानवता का पथ प्रशस्त किया है | वे जहाँ भी जाते है,जनमानस पर अपने प्रभावी व्यक्तित्व की छाप छोड़ते है। उस स्थल की आबोहवा उनके सुवास से महक उठती है | श्री रामस्वरूप सर् के शांत, सौम्य जीवन की तरह उनके वचन और प्रवचन भी सहज-सटीक होते है | न कही जटिलता, न शब्दों का कोई आडम्बर, न खोटे वायदे, बात उतनी ही करेंगे जितना वे कर्म कर पाए | आश्वासनों का पोटला थमाकर वादा खिलाफी करना उन्हें नहीं आता। कक्षा में उनकी समाज के लिए , वैज्ञानिक सोच एवं तार्किक विचारों के आभामण्डल में प्रत्येक छात्र मंत्रमुग्ध होकर निर्निमेष रूप से कैद रहता है।प्रत्येक छात्र की अन्तर्निहित प्रतिभा के सबल पक्ष को पहचान कर उसको और अधिक निखारने एवं निर्बल पक्ष को दूर करने की अद्वितीय कला के धनी है रामस्वरूप सर्।मार्गदर्शन के क्षितिज पर अपनी कर्मठता, कर्तव्यनिष्ठता, मिलनसारिता व ईमानदारी के दम पर अपने कर्ज का फर्ज अदा करने वाले एक योग्य विलक्षण प्रतिभा के धनी रामस्वरूप सर् का कोई सानी नहीं है |

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे प्रत्येक छात्र के साथ निराशा, नीरसता, तनाव, नकारात्मक भावोत्पन्न एवं मानसिक हतोत्साहन की स्थिति अवश्य उत्पन्न होती है एवं किताबों से जब मोहभंग या विमुखीकरण होने लगता है तब ऐसे समय में रामस्वरूप सर् शिक्षा के साथ-साथ प्रेरणा, सकारात्मक विचार अभिवृद्धि, जोश एवं प्रोत्साहन देकर सम्बल प्रदान करते है एवं सफलता की दहलीज तक साथ देते है।

संतोषी व्यक्ति को दुनिया का सबसे दु:खी इन्सान मानने वाले रामस्वरूप सर् ने सैकड़ों छात्रों की प्रतिभा की पहचानकर उनको प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता दिलाई है उनकी जिंदगी में आमूल परिवर्तन लाकर देवदूत का कार्य किया है। भौतिकतावाद व बाजारवाद के दौर मे एवं वृहद् विज्ञापनों की इस होड में तेजा फाउंडेशन ने अपने आदर्शवाद आधारित गुणवत्तापूर्ण अध्यापन से कोई समझौता नहीं किया।

6 जुलाई 2019 (जन्मदिन पर यह पोस्ट कोचिंग में पढ़ाने वाले टीचर्स व पढ़ने वाले लड़कों से लिखाकर वायरल करवाई थी)

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