Sujan Singh Sinsinwar

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Sujan Singh Sinsinwar

Sujan Singh Sinsinwar (Havaldar) (1962 - 29.01.1999) became martyr of militancy on 29.01.1999 at Peth Dial Gam village of Anantnag district in Jammu and Kashmir. He was from Bahaj village, situated in Tehsil- Deeg, District- Bharatpur in Rajasthan. He was awarded Shaurya Chakra for his act of bravery. Unit - 9 Rashtriya Rifles/4 Mechanized Infantry

हवलदार सुजान सिंह सिनसिनवार

हवलदार सुजान सिंह सिनसिनवार

14907260A

1962 - 29-01-1999

शौर्य चक्र (मरणोपरांत)

वीरांगना - श्रीमती श्रीदेवी

यूनिट - 9 राष्ट्रीय राइफल्स/4 मैकेनाइज्ड इंफेंट्री

आतकंवाद विरोधी अभियान

हवलदार सुजान सिंह का जन्म वर्ष 1962 में राजस्थान के भरतपुर जिले की डीग तहसील के बहज गांव में मल्ल योद्धा श्री मदन सिनसिनवार एवं श्रीमती कांति देवी के परिवार में हुआ था। वर्ष 1982 में वह भारतीय सेना की मैकेनाइज्ड इंफेंट्री रेजिमेंट में रंगरूट के रूप में भर्ती हुए थे। प्रशिक्षण के पश्चात उन्हें 4 बटालियन में सिपाही के पद पर नियुक्त किया गया था। वर्ष 1999 में वह जम्मू-कश्मीर के आतंकवाद विरोधी अभियानों में 9 राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन के साथ प्रतिनियुक्त थे।

29 जनवरी 1999 को हवलदार सुजान सिंह जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले की डीस तहसील के पेठा दयालगाम गांव में एक अन्वेषण दल के सदस्य थे। रात्रि के लगभग 8:30 बजे, आकस्मिक दो आतंकवादी एक घर से बाहर आए और स्वचालित शस्त्रों से चारों ओर अंधाधुंध गोलियां चलाने लगे। जिससे यह अन्वेषण दल भयानक गोलीवर्षा में घिर गया। अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की घोर उपेक्षा करते हुए, हवलदार सुजान सिंह ने बाहर छलांग लगाई और भाग रहे आतंकवादियों का मार्ग अवरूद्ध करते हुए एक आतंकवादी को मार दिया‌।

अपने शरीर में लगी अनेक गोलियों से अभीत और अत्यधिक रक्त बहते हुए भी हवलदार सुजान सिंह ने भागने का प्रयास कर रहे द्वितीय आतंकवादी का शस्त्र पकड़ लिया। दोनों के मध्य भयानक हाथापाई होने लगी और हवलदार सुजान सिंह के गर्दन व कूल्हे पर पुनः अनेक गोलियां लगीं। तो भी उन्होंने उस आतंकवादी को भागने नहीं दिया। अंततः भीषण शारीरिक संघर्ष में हवलदार सुजान सिंह ने एकाकी ही उस आतंकवादी को मार दिया और उसे जकड़े हुए ही वीरगति को प्राप्त हो गए। इस मुठभेड़ कुल चार आतंकवादी मारे गए थे।

हवलदार सुजान सिंह ने आतकंवादियों से संघर्ष करने में अदम्य साहस एवं उच्च कोटि की वीरता का प्रदर्शन किया और राष्ट्र के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र सम्मान दिया गया।

शहीद को सम्मान

गैलरी

स्रोत

सन्दर्भ


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