Sukhvinder Jeet Randhawa

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Major Sukhvinder Jeet Randhawa

Sukhvinder Jeet Randhawa (Major), Kirti Chakra (posthumous) became martyr of militancy on 17.06.1997 at Kashipur village in Anantnag district of Jammu and Kashmir. Unit: 167 Medium Regiment (Regiment of Artillery). He belongs to Gurdaspur district in Punjab.

मेजर सुखविंदर जीत सिंह रंधावा

मेजर सुखविंदर जीत सिंह रंधावा

कीर्ति चक्र (मरणोपरांत)

वीरांगना - लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीमती रविंदर रंधावा

यूनिट - 167 मीडियम रेजिमेंट

(रेजिमेंट ऑफ आर्टिलरी)

ऑपरेशन रक्षक 1997

मेजर सुखविंदर जीत सिंह रंधावा का जन्म श्री एस.एस. रंधावा एवं श्रीमती गुरदीप रंधावा के परिवार में हुआ था। वह पंजाब के गुरदासपुर जिले के निवासी थे। बाल्यकाल से ही वह भारतीय सेना में सम्मिलित होने के प्रबल अभिलाषी थे। CDS परीक्षा के माध्यम से उनका चयन हुआ और अंततः उन्हें भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट की 167 मीडियम रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन प्राप्त हुआ था।

किंचित वर्षों तक अपनी मूल बटालियन में भिन्न-भिन्न स्थानों पर और परिचालन परिस्थितियों में सेवाएं देने के पश्चात उन्हें जम्मू-कश्मीर के आतकंवाद विरोधी अभियानों में 2 राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन के साथ प्रतिनियुक्त किया गया था।

जून 1997 में 2 राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन अपने उत्तरदायित्व के क्षेत्र में अनंतनाग जिले के क्षेत्र में तैनात थी। यह क्षेत्र आतंकवादी गतिविधियों का केंद्र था। 17 जून 1997 को, गोपनीय सूत्रों से प्राप्त हुई विश्वसनीय सूचना के आधार पर मेजर रंधावा को अनंतनाग जिले के काशपुर गांव में एक SEARCH & DESTROY ऑपरेशन चलाने का कार्य सौंपा गया।

जैसे ही, मेजर रंधावा अपने सैनिकों के साथ संदिग्ध क्षेत्र के निकट पहुंचे, वे आतंकवादियों द्वारा की गई अंधाधुंध गोलीबारी में घिर गए। आरंभ की गोलीबारी में ही, मेजर रंधावा को गोलियां लग गई और वह गंभीर रूप से घायल हो गए। किंतु अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की घोर उपेक्षा करते हुए वह आतंकवादियों की ओर बढ़े और उनमें से एक आतंकवादी को मार गिराया। इस मध्य, एक अन्य आतंकवादी ने हथगोले से आक्रमण किया, किंतु इससे अभीत मेजर रंधावा ने साहस और वीरता के एक दुर्लभ प्रदर्शन में दूसरे आतंकवादी को भी सफलतापूर्वक ढेर कर दिया।

मेजर रंधावा का अत्यधिक रक्त बह रहा था। जब उनका साथी उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए आया, तो उन्होंने कहा, "तू मेरी फिकर छोड़, उस टेररिस्ट को मार"। मेजर रंधावा के वीरतापूर्ण कार्य ने न केवल उनके साथी सैनिकों के जीवन की रक्षा की अपितु उन्हें शेष आतंकवादियों से सफलतापूर्वक निपटने के लिए प्रेरित भी किया। अंततः अपने घातक घावों से वह वीरगति को प्राप्त हुए।

मेजर सुखविंदर जीत सिंह रंधावा को उनकी उत्कृष्ट वीरता, युद्ध की भावना, सौहार्द एवं सर्वोच्च बलिदान के लिए मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया।

वीरांगना श्रीमती रविंदर रंधावा ने भी अपने पति की सैन्य सेवा की विरासत को आगे बढ़ाते हुए, वर्ष 1998 में सेना में कमीशन प्राप्त किया। वे कमीशन अधिकारी के रूप में सेना में सम्मिलित होने वाली प्रथम सैनिक वीरांगना थी। उन्हें भारतीय सेना के आयुध कोर में नियुक्त किया गया। उन्होंने लेफ्टिनेंट कर्नल के पद तक सेवाएं दीं।

शहीद को सम्मान

चित्र गैलरी

स्रोत

बाहरी कड़ियाँ

संदर्भ


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