Ramrai

From Jatland Wiki
Author: Laxman Burdak IFS (R)
Map of Jind District

Ramrai (रामराय) or Ramray (रामराय) is an ancient village in Jind tahsil and district in Haryana. Its ancient name was Ramahrada (रामह्रद).

Location

It is located on Jind-Hansi road, 8 Kilometers west of Jind. It's a very popular village of Haryana.

Origin

The Founders

Jat Gotras

History

इतिहासकार स्वामी ओमानन्द सरस्वती लिखते हैं -

जिला संगरूर तहसील नरवाना में जीन्द से कुछ दूर जिला हिसार की सीमा के पास ही एक स्थान रामराय है, जिसे रामहृदय भी कहते हैं । पौराणिक हिन्दू इस स्थान को अपना पुण्यतीर्थ (सरोवर) मानते हैं । प्रतिवर्ष इस पर मेला भी लगता है । यह स्थान कुरुक्षेत्र के अन्तर्गत ही माना जाता है । यहां कुरुक्षेत्र के समान सूर्य-ग्रहण के समय भी मेला लगता है । पौराणिक लोगों में ऐसा विश्वास और जन-श्रुति है कि इसी स्थान पर परशुराम ने क्षत्रियों का विध्वंस किया था । वे इसको क्षत्रियों की बलि-भूमि मानते हैं । यहाँ से कुछ मील दूर हिसार जिले में एक बहुत प्राचीन उजड़ खेड़ी (थेह) 'राखी गढ़ी' है । वहां सहस्रवीर्य अर्जुन राज्य करता था, ऐसी प्रसिद्धि है । सहस्रवीर्य अर्जुन और परशुराम के पिता जमदग्नि का परस्पर संघर्ष हुआ । सहस्रवीर्य अर्जुन ने जमदग्नि का शिर काट दिया । इसी से क्रुद्ध होकर परशुराम ने जिसको पौराणिक भाई विष्णु वा हरि का अवतार मानते हैं, क्षत्रियों को एकत्र करके पर्शु (कुल्हाड़े) द्वारा इक्कीस बार उनका विध्वंस कर दिया था । इसलिये परशुराम हरि होने से इसका नाम हरियाणा पड़ा अर्थात् हरि परशुराम के द्वारा क्षत्रियों की बलिदान भूमि (बन्दोबस्त रिपोर्ट जिला हिसार सन् १८६३ ई०) ।

प्राचीन काल में इस प्रान्त में अनेक ऋषि-महर्षि आदि महापुरुष हुये हैं । श्री परशुराम जी भी इसी प्रान्त में हुये हैं । यह तो कुछ उचित ही प्रतीत होता है, क्योंकि महर्षि च्यवन वा भृगु ऋषि के वंश में ही ये हुये हैं और महर्षि च्यवन का स्थान ढौसी नारनौल के निकट माना जाता है । वहां पर्वत पर वे तपस्या करते थे, यह तो जनश्रुति है ही । उनके वंश में भार्गव ढूसर अपने आप को मानते हैं । उनके स्मारक रूप में ढौसी के पर्वत पर च्यवन-आश्रम अब भी बना रखा है । श्री परशुराम की वंशावली निम्न प्रकार से है - जो कि वायुपुराण में श्‍लोक ६५, ७२, ७४ में दी है –

भृगु -- च्यवन -- आप्नवान् -- ऊर्व -- ऋचीक (धर्मपत्‍नी - सत्यती) -- जमदग्नि -- परशुराम

इस प्रकार परशुराम जी जिन्हें पौराणिकों ने विष्णु का अवतार माना है । किन्तु एक बड़ी समस्या है कि पौराणिक भाई एक ही काल में विष्णु के दो अवतार जमदग्नि-राम अर्थात् परशुराम और दूसरे दाशरथि-राम अर्थात् महाराज रामचन्द्र, इन दोनों को विष्णु का अवतार मानते हैं । एक समय में यह कैसे सम्भव हुआ ? उनकी बुद्धि इसे कैसे स्वीकार करती है ? वैसे ईश्वर का अवतार तो होता ही नहीं है क्योंकि वह निराकार है । यह अवतार की कोरी कल्पना मात्र है । इस श्री परशुराम को विष्णु का अवतार होने से उसका हरि नाम हुआ और यह प्रदेश हरि-परशुराम के नाम के कारण तथा उनका स्थान होने से 'हरियाना' नाम से विभूषित हुआ, इसमें कोई ठोस प्रमाण तो है नहीं, सम्भव है यह भी एक कारण हो ।[4]

  • Kakran Jats went to Bijnor and established the Sahanpur state.

जाट इतिहास

दलीप सिंह अहलावत[5] लिखते हैं: मण्डौर में काकवंश का पतन और हरयाणा को प्रस्थान - कक्कुक के बाद इस वंश की राज्यसत्ता मण्डौर में समाप्त हो गई और मण्डौर का शासन राठौरों के हाथ में आ गया। राव जोधा जी ने मण्डौर का ध्वंस करके जोधपुर नामक नगर को बसाकर वहां राजधानी और किले का निर्माण कराया। यहां से वैभवशून्य होने पर इस काकवंश के लोगों ने मरुभूमि को छोड़ दिया और यहां से जाकर हरयाणा के जींद जिले में रामरायपुर में अपनी सत्ता स्थिर की और बस्तियां बसाईं। यहां पर ये लोग कक्कर और काकराण नाम से आज भी प्रसिद्ध हैं। यहीं से जाकर इस वंश के जाट मेरठ कमिश्नरी, बिजनौर जिला और अम्बाला में जगाधरी के पास बस गए, जहां पर आज भी विद्यमान हैं। जगाधरी के निकट अरनावली गांव के काकराण जाट बड़े प्रसिद्ध हैं।

Population

Notable Persons

  • Vikram Dhull - रामराय गांव के बेटे विक्रम ढुल ने पुणे में आइईएस के पद पर ज्वाइन किया है। पिछले साल संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा गजटेड ऑफिसर के लिए ली गई इंडियन इंजीनियरिग सर्विस (आइईएस) की परीक्षा में विक्रम ढुल ने देशभर में 25वां रैंक हासिल किया। यूपीएससी के द्वारा 12 अक्टूबर को आइएएस, आइपीएस व आइईएस की ज्वाइनिग कराई गई है। विक्रम ने इससे पहले पिछले साल यूपीएससी की परीक्षा में 88वां रैंक हासिल किया था और आइआइटी दिल्ली से बीटेक में टॉप किया। उसके बाद आइआइटी बॉम्बे में एमटेक में प्रवेश लिया। पढ़ाई पूरी करके टिहरी हाइड्रोलिक डैम ऋषिकेश में चयन हुआ। फिर इंडियन एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया में चयन हुआ और उसके बाद इंडियन ऑयल में इंजीनियर के तौर पर ज्वॉइन किया था। विक्रम ने बताया कि उनका अगला लक्ष्य भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी करके प्रशासनिक सेवाओं में सुधार करना है। आइईएस एग्जाम तीन स्तर पर आयोजित होता है। पहली स्टेज में इंजीनियरिग की प्रारंभिक परीक्षा पास करके मेन एग्जाम पास किया। उसके बाद इंटरव्यू पास किया। विक्रम ढुल का स्कूल की पढ़ाई जींद के गोपाल विद्या मंदिर और डीएवी स्कूल से हुई। राष्ट्रीय स्तर पर पिछले साल हुई गेट की परीक्षा में विक्रम ने 46वां रैंक प्राप्त किया था। विक्रम ने इसका श्रेय अपने परिवार के सदस्यों और पिता सुरेंद्र ढुल को दिया। सुरेंद्र ढुल शिक्षा विभाग में एपीसी (सहायक परियोजना समन्वयक) हैं। विक्रम ढुल तीन भाई-बहनों में मंझले हैं। बड़ा भाई रविद्र ढुल बीटेक मैकेनिकल और एमबीए करके राष्ट्रीय स्तर पर पोल्ट्री का व्यवसाय कर रहा है।

External Links

Picture Gallery

References


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