Jangoo
Jangoo
(Jangu, Jhangu, Janghu)
Location : Rajasthan, Madhya Pradesh, Delhi and Haryana
Country : India, Afghanistan
Jangoo (जांगू) Jangu (जांगू) Jhangu (झांगू) Janghu (जांघू)[1] [2] gotra Jats are found in Rajasthan, Madhya Pradesh, Delhi and Haryana. Jangu clan is found in Afghanistan.[3]
Name Variants
Janu, Jahnu, Jangu, Janghu, Janghu.
जांगू गोत्र की उत्पत्ति कैसे हुई इसका कोई निश्चित प्रमाण नहीं है । जाट गोत्र जांगू, झांगू, जांघू को एक ही माना गया है, अपभ्रंश या स्थानीय भाषा में इनके नाम बदल गए होंगे।
History
Rajatarangini[4] tells about Jaṅga, a leader of the army of the king to Rajapuri, accepted service under king Bhikshu (King of Kashmir in 1120 AD ), but he was more mindful of his own interests than of his master's.
- जाट - जांगू गोत्र
उत्तर वैदिक काल (1000-600 ई.पू.) में गोत्र व्यवस्था की उत्पत्ति जाति व्यवस्था से पहले शुरू हुई। जाट- हिन्दू,सिख व इस्लाम धर्मों में हैं एवं कई जाट गोत्र सिख व मुसलमानों में भी मिलते हैं। जाट कुल व गोत्र की उत्पत्ति में समूह, सामुदायिक पहचान को जानवरों व वृक्षों से जोड़ा गया । कुछ समय बाद ऋषियों (आर्यों) ने भी अपनी पहचान को जानवरों व वृक्षों से जोड़ा । आने वाली पीढ़ी ने आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास के लिए ऋषियों से सम्बन्ध जोड़ा तो उन ऋषियों के नाम पर गोत्र परंपरा शुरू हुई । कुछ गोत्र प्रारंभ में आदमी, स्थान, भाषा, टाईटल, ऐतिहासिक घटना से बने।
जाटों के अंदर जो कुल और गोत्र हैं उनमें से अनेक ऐसे हैं जिनका सम्बन्ध अति प्राचीन राजवंशों से जोड़ देते हैं जैसे पाण्डु, कुरु, गांधार आदि, खासकर कश्मीर राजाओं से कई जाट कुल निकले । 12 वीं सदी के कश्मीरी इतिहासकार कल्हन पंडित के द्वारा संस्कृत में लिखा गया प्राचीन महाग्रंथ 'राजतरंगिणी' में कश्मीर के राजाओं के बारे में वर्णन है, उसके अनुसार 1120 ईस्वी में कश्मीर में Rajapuri (राजौरी) के राजा भिक्षु की सेना में सेनापति जंगा से जांगू बना हो। इसकी संभावना सबसे ज्यादा है कि महाकाव्य ऋग्वेद में वर्णित ऋग्वैदिक काल (1500-1000 ई.पू.) के चंद्रवंशी राजा जाह्नु (संभवतः पत्नी जाह्नवी हो) से जानू या जांगू बना हो जिसका बाद मेँ Bharatas (Tribe) में विलय हुआ। इससे अलग मत- महाकाव्य महाभारत में वर्णित अजामिधा के पुत्र जाह्नु से बना हो । जानू भी प्राचीन आर्यन जन जाति से हैं जो संभवतया वर्तनी की अशुद्धि या स्थानीय भाषा से जाह्नु से जानू या जांघू हो गये हों। पाणिनी के अष्टाध्याय में जानू का वर्णन है । सयाने बताते हैं कि जांदू, जानू व जांधू एक ही हैं, बाड़मेर आदि में जांदू तो झुंझुनूं में वे जानू लिखते हैं ।
हरियाणा के गांवों, दिल्ली, राजस्थान के झुंझुनूं व अलवर में बसे जांगू , चूरू एवं हनुमानगढ़ के 5 -6 गांवो में आबाद जांगू मूल रूप से भालोठ/ढाणी भालोठ से निकले हैं और वे सभी नाम के आगे जांगू की बजाय भालोठिया लगाते हैं । पुराने जानकार बताते हैं कि टैक्स उघाने आये दिल्ली के बादशाह के हाकिम व उसकी सेना द्वारा गाँव धोलाखेड़ा उजाड़ने के बाद भाल ने 14 वीं सदी (संवत 1365) में वहां भालोठ गाँव (झुंझुनूं) बसाया था, जबकि कुछ जानकार इस घटना को 11 वीं /12 वीं सदी की भी मानते हैं किन्तु 14 वीं सदी ही सही है । एक भालोठ रोहतक के पास भी है लेकिन उसमें जांगू नहीं हैं ।
जांगू निम्न राज्यों के जिलों में बसते हैं :- जाट ईरान अफगानिस्तान की तरफ से आकर पाकिस्तान,सिंधु घाटी व उतरी भारत में बसे उन्हीं में से एक गोत्र जांगू है । जानकार बताते हैं कि जांगू परिवारों ने भालोठ तहसील बुहाना जिला झुंझुनूं, आसपालसर तहसील सरदारशहर जिला चुरू, अलाय जिला नागौर, पल्ली तहसील ओसिया जिला जोधपुर से अन्य गांवों में पलायन किया ।
- हरियाणा
महेंद्रगढ़ - [ढाणी भालोठिया - (सोहड़ी) – (इंडाली व गादड़वास से आये), गादड़वास, बारड़ा, (महेंद्रगढ़)]- ढाणी-भालोठ से आये ।
दादरी – [बिलावल - (खोरडा-खानपुर से आये), कारी-तोखा - बाढ़ड़ा], [पिचोपा-कलां, मोड़ी-मकड़ाना - (दादरी)] मूल रूप से भालोठ से आये ।
भिवानी – कासनी/कासणी -(बहल), बारवास - (लोहारु), मंढोली - (सिवानी), झाँवरी - (तोशाम) मूल रूप से भालोठ से आये ।
रेवाड़ी – बालावास जाट, ढाणी नांगल उग्रा, बहरामपुर भड़ंगी - (बावल), [लाला - (लाला भालोठिया के नाम से लाला गाँव में दादा लालेश्वर मंदिर भी है), रोहड़ाई - (जाटुसाना)], गादला, ढ़किया -
(रेवाड़ी), मालाहेड़ा - (धारूहेड़ा) - भालोठ से आये इन गांवों में 85 % जांगू हैं ।
गुड़गांवां - दौलताबाद, शाहपुर जाट (पटोदी), हरीनगर (डूमा) - फर्रूखनगर - भालोठ से आये ।
सिरसा – कलुआणा - (डब्बावाली), फूलकां - (सिरसा) ।
झज्जर – खोरड़ा–खानपुर - (मातनहेल) - भालोठ से आये।
हिसार – बगला, चुड़ी बगड़ियान - (आदमपुर) ।
पलवल – दुर्गापुर - (पलवल) ।
दिल्ली – [बख्तावरपुर - (पश्चिमी दिल्ली), राजपुरा (गुड़मंडी-छावनी) - उत्तरी दिल्ली, बापरोला - (नजफगढ़), दसघरा - (पालम) - भालोठ से आये । दोलत, बख्तावर व राजू तीन भाइयों ने क्रमशः
दौलताबाद, बख्तावरपुर व राजपुरा गाँव बसाये ।
- राजस्थान
झुंझुनू - [भालोठ, ढाणी भालोठ, भैसावता, ढाणी भालोठिया (कुहाड़वास), सांवलोद, मैनाणा, पालोता, गोठ - (बुहाना)], [स्यालू, बिशनपुरा, रघुवीरपुरा - गोधा का बास, खेताराम की ढाणी - जाखोद,
बेरला, कासनी, लाडून्दा, काजी, बनगोठड़ी - (चिड़ावा)], [इलाखर, नालपुर - (खेतड़ी)], [इंडाली, हेजमपुरा, ढाणी भालोठिया - काली पहाड़ी, बाकरा, प्रेमनगर-बड़ागाँव - (झुंझुनूं)]- ये मूलरूप से
सभी भालोठ (झुंझुनूं) से निकले हैं।
चूरु - [झाड़सर - (तारानगर), राजपुरा, धानोटी - (राजगढ़)- भालोठ से आये], लालगढ़ - (सुजानगढ़), लाछड़सर - (रतनगढ़), आसपालसर - (सरदारशहर) श्री नेत दादा का मंदिर भी यहाँ है ।
अलवर – ढिस, जांगुवास (85%जांगू) - (बहरोड़), कांटवाड़ी - (कठूमर), मघा का माजरा - (कोटकासीम) - भालोठ से आये ।
हनुमानगढ़ - [हरदयालपुरा,खारा चक(कान्हेवाला), गोलूवाला, पीलीबंगा - (पीलीबंगा)], बशीर, चक 12 SLW, मेहरवाला, सलेमगढ़ - (टीब्बी), [ पक्का सहारना, भाकरांवाली, किशनपुरा दिखनादा,
कोहला, नगराना, संगरिया - (हनुमानगढ़)], लालपुरा, धाँधुसर - (रावतसर), [भानगढ़-धानोटी से आये, खचवाना - (भादरा)- मूल निकास भालोठ] ।
गंगानगर - बींझबाइला (पदमपुर) छप्पनवाली, सादुलशहर - (सादुलशहर), संगीता , चक भगवानगढ़, 3 dbn - सूरतगढ़ ।
बीकानेर - जैसा,शुभलाई, लूणकरणसर (लूणकरणसर), कुंतासर, मोमासर (डूंगरगढ़), सरूँदा, चिताणा, पहलवान का बेरा, लाधासर, बिरमाणा, सियासर, (पूगल), चारणीसरा - (कोलायत), हेमेरा, बरसिंहसर - (बीकानेर) ।
अजमेर - बान्दनवाड़ा - (भिनाय) ।
भीलवाड़ा - मुरायला - (हुरडा) ।
सीकर - गोकुलपुरा, जांगुओं की ढाणी - (सीकर) भाऊजी की ढाणी - (लक्ष्मणगढ़), खंडेला, मोरडूंगा - (धोद)।
जयपुर शहर - भान नगर, सिरसी रोड़,मुरलीपुरा,सीकर रोड़, सेठी कालोनी, सुशांत सिटी,करधनी,गणेश कालोनी, महेश कालोनी, सांगानेर,सुरेन्द्रपाल कालोनी,महावीर नगर आदि ।
जयपुर के गाँव - भोजपुरा कलां- (जोबनेर), मुंडोता- (कालवाड़) [चंदलाई, तितरिया, (सदाशिवपुरा- यरलीपुरा)- (चाकसू)], [दयालपुरा, रेटा, रेटी, सूरपुरा (दूदू)] ।
टोंक - अरण्या कांकड़-(पीपलू),रामनिवासपुरा-(टोडारायसिंह), सरोली-(देवली) ।
भरतपुर - डीग ।
बाड़मेर - जांगुओं की ढाणी, बटाडू, भीमड़ा - (बायतु), मेवानगर, गोपरी - (पचपदरा), मलवा, भाड़खा, मीठड़ा, सरनू - (बाड़मेर), नेतराड़ - (चौहटन), लकड़ासर - (सेड़वा), खारापार, परेऊ,
कुमपालिया, चीबी - (गिडा) ।
नागौर - [नया गांव,अलाय, रैधाणु, खारी कर्मसोता, गोगेलाव, रातड़ी, सतेरन, बालासर, मकोड़ी, ढ़कोरिया - (नागौर)], [अजड़ोली, डासना कलां, ढ़ाकी की ढाणी, एलीचपुरा, बेगसर, पावटा की
ढाणी, तारपुरा, लाडपुरा (डीडवाना)], [गुनसाली, कुटियासनी-खुर्द - (डेगाना)], भोमासर, जांगुओं की ढाणी कुड़छी, खड़काली, बिरलोका, भोजास, गुढ़ा भगवानदास, हमीराणा,माडपुरा, भुंडेल, पाँचला -
सिद्धा - (खींवसर), पीह - (पर्बतसर) ।
जोधपुर - थड़िया - (शेरगढ़), [धनारी कलां, पूनासर, पल्ली, बारां कला, खेतासर - (ओसियां)], जाँगूवास - (लूनी), [ढाढ़रवाला, मंडोर, ईशरू - (फलोदी)], [पालड़ी मांगलिया, जाजीवाल
खिचियां,सतना - (जोधपुर)], उनावड़ा,जेरिया, कपूरिया - (लोहवट), देवानिया - (बालेसर), भालू अनूपगढ़, सेखला, चामू - (शेरगढ़), भावी -(बिलाड़ा), भेलु, लुणा - (बाप) ।
पाली - सिनला - जैतारण ।
जालौर - गुंदाऊ - (साँचोर) ।
- मध्य प्रदेश
मंदसौर - बेटीखेड़ी, लदूना - (सीतामऊ), खंडरिया, रलायता - (मंदसोर) ।
रतलाम - कंसेर - (पिपलोदा), ढ़ीकवा - (रतलाम) ।
बेतुल - काचर - (शाहपुर) ।
नीमच - खड़ावड़ा - (मानसा) ।
खंडवा - डंठा - (पुनासा) ।
धार - मनासा - (बदनावर) ।
- उत्तरप्रदेश
बदायूं - धरमपुर- (बिलसी) ।
- पंजाब
फिरोजपुर - राजपुरा - (अबोहर) आदि में जांगू आबाद हैं ।
मानसा - खेरा खुर्द - (सारदुलगढ़) ।
- गुजरात
डीसा - लक्ष्मीपुरा (डीसा)
जाँगू (भालोठिया) के गाँव आदि के संबंध में अन्य कोई जानकारी किसी को हो तो कृपया अवगत करावें ताकि इसमें जोड़े जा सकें ।
संदर्भ-1.Jatland wiki-
2. जागा - भालोठियों का जागा नंदकिशोर राव पटवारी निवासी आसलपुर (जोबनेर) जिला जयपुर मो. 9784607108
सुरेन्द्र सिंह भालोठिया जयपुर मो. 9460389546
भालोठ गांव के भालोठिया (जांगू)
भालोठवासी एवं भालोठ से अन्यत्र गए लोग अपने नाम के आगे जांगू की बजाय भालोठिया लगाते हैं एवं अन्य जगह जाकर समूह में बसी ढाणी को भालोठियों की ढाणी के नाम से जाना जाता है ।
14 वीं शताब्दी में गयासुद्दीन तुगलक दिल्ली का बादशाह था। नारनौल के पास जिला झुंझुनूं में तत्कालीन रियासत Īखेतड़ी में धोलाखेड़ा नाम का एक बड़ा गांव जांगू गोत्र के जाटों का था। दिल्ली के शासक ने अलग अलग ठिकाने बना रखे थे। शासक ने राजस्थान के कुछ ठिकानों का कर उगाहने के लिये कुछ सैनिकों के साथ अपने हाकिम को भेजा।
हाकिम ने खेतड़ी से आगे चल कर सीकर एरिया के कुछ ठिकानों का कर उघाया एवं वापिस दिल्ली के लिये रवाना हो गये। वापिस जाते समय किसी जगह से उन्होंने एक सुन्दर लड़की को उठा लिया। सुबह पांच बजे धोलाखेड़ा गांव के पास से गुजरे तो उस लड़की ने गांव के आदमियों की आवाज सुनकर रोना शुरू कर दिया। लड़की के रोने की आवाज सुन कर गांव वाले दौड़ कर आये एवं हाकिम की सेना पर हमला कर दिया। कुछ सैनिकों को मार दिया व कुछ सैनिक भाग गये और लड़की को वहीं छुड़वा लिया लेकिन हाकिम बच निकला। लड़की का गांव पूछ कर उसके घर भिजवा दी ।
इस मुठभेड़ का बदला लेने के लिये हाकिम ने योजना बनानी शुरू कर दी। उसके गुप्तचरों ने बताया कि गांव पर हमला करने के लिए फूलेरा दूज सही दिन होगा चूंकि उस दिन गांव से बावन (52) बारात शादी के लिए जानी थी। उस समय बारात तीन दिन तक रूकती थी। योजनानुसार फूलेरा दूज की रात को धोलाखेड़ा गांव पर हमला बोला। ऐसा भी बताते हैं कि इस लड़ाई में हांसी के शासक ने हाकिम की सेना का साथ दिया । आदमी बारातों में गये हुए थे अतः औरतें लड़ी। गांव में आग लगा दी और बारात जैसे जैसे आती गई बारातियों को खत्म करते रहे व पूरे गांव को तबाह कर दिया। जो कुछ बचे वे धोलाखेड़ा उजड़ने के बाद दिल्ली की तरफ पलायन कर गये।
कुछ लोग यह भी बताते हैं कि धोलाखेड़ा के लोग मुकलावा (गौना) करने (पुराने समय में छोटी उम्र मे शादी के बाद लड़की के बालिग होने पर उसे लेने जाने की रसम) गए हुए थे । उस समय 8-10 दिन लड़की के घर रूकते थे, पीछे से दिल्ली के शासक ने 32 गांवों पर कब्जा कर लिया । मुकलाऊ वापिस आने पर 16 गांवों पर लड़ाई कर कब्जा वापिस ले लिया और 16 गांवों का कब्जा स्वयं छोड़ कर चले गए लेकिन ज्यादा सही ऊपर बताया वही है ।
उस समय के बसे गुड़गावां व दिल्ली के आसपास जांगू गोत्र के जाटों के 12 बड़े गांव आज भी हैं उनमें दौलताबाद,बख्तावरपुर (पश्चिमी दिल्ली ),राजपुरा (उत्तरी दिल्ली),लाला रोहड़ाई,ढकिया,मलहेडा,ढिस,जांगुवास आदि हैं ।
धोलाखेड़ा उजड़ा उस समय एक लड़की अपने पीहर चांदगोठी गई हुई थी एवं गर्भवती थी। उसने पीहर में पुत्र को जन्म दिया और उसका नाम भाल रखा। लड़का बड़ा शरारती था। लड़के की शरारत को उसके मामा मामी बरदास्त नही कर सके और उन्होंने कहा कि हमारी छाती क्यों फूंकते हो अपने घर जाओ। लड़की के पिता ने अपनी लड़की को जीवनबसर करने के लिये भाईयों से अलग जमीन दे दी। लड़की उस जमीन पर अपने पुत्र भाल के साथ खेत में रहने लगी। भाल खेत की रखवाली करता था। वह खेत में डामचे पर चढ़कर गोफीये से गोले फेंक कर जानवर, पक्षी उड़ाता था। खेत के पास में एक बहुत बड़ी बणी (जोहड़) थी।
एकबार गयासुद्दीन तुगलक दिल्ली का बादशाह उस बणी में आ पहुंचा, उसके साथी उससे बिछुड़ गये थे। वह बणी में जब घोड़े पर चढ़कर आया तो उसकी आवाज भाल के कानों में पड़ी। भाल ने सोचा की कोई जानवर है अतः उसको भगाने के लिये गोफीये से गोला मारा जो घोड़े की टांग पर लगा जिससे घोड़ा जख्मी हो गया । बादशाह ने शोर मचाया तो उसकी आवाज सुनकर भाल वहां देखने गया कि कौन है। भाल उसको खेत पर ले आया और उसको ककड़ी मतीरे खिलाये। भाल ने अपनी जानकारी दी एवं बादशाह की जानकारी ली । भाल को बादशाह के बारे में जानकारी थी कि उसने हमारे गांव को उजाड़ा है तो भाल ने कहा कि बादशाह मैं अब आपको मारूंगा छोडूंगा नहीं चूंकि आपने मेरे गांव को उजाड़ा है । बादशाह ने कहा कि मेरे को मत मारो मेरी जानकारी के बगैर हाकिम ने वह काम किया था। अतः अब आप मेरे साथ धोलाखेड़ा चलो ताकि आपको पुनः बसा सकूं । भाल इसके लिये तैयार हो गया ।
भाल बादशाह के साथ उजड़े हुए धोलाखेड़ा की जगह आये, वहां बादशाह ने भाल को 52000 बीघा जमीन (सूर्योदय से सूर्यास्त तक घोड़े पर बैठ कर जहां तक चक्कर लगाया जाए उतनी जमीन) दी एवं वहां धोलाखेड़ा के पास में भाल ने लगभग संवत 1365 में भालोठ गांव बसाया उसको भालोठ की बावनी भी कहते हैँ जो आज भी नारनौल के पास जिला झुंझुनूं, तहसील बुहाना, राजस्थान में आबाद है। उसके बाद बादशाह गयासुद्दीन दिल्ली चला गया । धोलाखेड़ा से तीन भाई दौलत, बख्तावर और एक तीसरा भाई राजू दिल्ली की तरफ जा कर बस गये| उनके नाम से आज भी गुडगाँव के पास दौलताबाद, बख्तावरपुर (पश्चिमी दिल्ली), राजपुरा गुड़ मंडी(राजपुरा छावनी) - उत्तरी दिल्ली) जांगू गोत्र के बड़े गाँव आबाद हैं । एक अन्य भाई लाला ने लाला, रोहड़ाई (रेवाड़ी झज्जर रोड़ पर)बसाया। कुछ लोगों का मानना है कि धोलाखेड़ा (भालोठ) हांसी रियासत के अधीन था, संभवतः दिल्ली के मुगल शासक ने हांसी में हिन्दू शासक को बैठाया हो या पूर्णतः स्वतंत्र रियासत हो किन्तु ज्यादातर लोग भालोठ को उस समय दिल्ली शासन के अधीन ही मानते हैं ।
भालोठ लगभग संवत 1365 में बसा था । भालोठ के पास ढाणी भालोठ घड़सी राम व सुरजा राम ने संवत 1586 सन् 1529 में बसाया । संवत 1659 सन् 1602 में ढाणी भालोठ से रूपचन्द ने जाकर गादड़वास (डालनवास) बसाया । संवत 1912 सन् 1855 में गंगाबिशन इंडाली (झुंझुनूं) गया । इंडाली से संवत 1959 सन् 1902 में लच्छू व ड़ालू ढाणी भालोठिया (महेंद्रगढ़) आये । गादड़वास (डालनवास) से गिरधारी ने संवत 1933 सन् 1876 में ढाणी भालोठिया (महेंद्रगढ़) बसाया ।
दौलताबाद बसने की कहानी भी दिलचस्प है । धोलाखेड़ा उजड़ने के बाद जब दौलत के परिवार के लोग दिल्ली की तरफ जा रहे थे तब गुड़गावां के पास ठहरने के लिए गाड़ियां (carts) रोकी तो दौलत की पत्नी ने बच्चे से कहा कि तेरे चाचा से कह दे कि वह अपनी गाड़ी थोड़ी आगे ले जाकर खड़ी करे, यहाँ हवा रुक रही है । यह सुनकर बख्तावर तैश में आकर चल दिया व भाई दौलत से कहा कि कभी मेरी जरूरत हो तो बता देना और अपनी गाड़ी को 50 किलोमीटर दूर ले जाकर रोकी जहां पर बख्तावर के नाम से बख्तावरपुर गाँव बसा जो कि अब पश्चिमी दिल्ली में है । बख्तावर बड़ा पराक्रमी था । दौलतसिंह वहीं रुक गया था और दौलत के नाम से वहां पर दौलताबाद गाँव बसा, वहाँ का राकेश जांगू बादशाहपुर सीट से 2019 में विधायक बना और तीसरे भाई राजू के नाम से गुड़ मंडी राजपुरा (राजपुरा छावनी) - उत्तरी दिल्ली) बसा वहां का कंवर करण सिंह जांगू (माडल टाउन सीट से 1998,2003,2008) तीन बार विधायक बना ।
स्वतंत्रता सेनानी स्व. धर्मपालसिंह भालोठिया से मिली जानकारी अनुसार -सुरेन्द्र सिंह भालोठिया मो. 9460389546
In epics
The gotra seems to derive its name from the name of a Rigvedic King -- 'Jahanu'.
Jahnavi is mentioned twice in the Rigveda [RV 1.116,19; III, 58, 6].
The word 'Jahnavi' may either refer to the wife of Jahnu or
as Sayana thinks, it [Jahnavi refers to ] the race of Jahnu.
This shows that the family must clearly once have been a great race,
which later merged in the Bharatas. [cited from Keith, Vedic Index of Names and Subjects, 'King Jahnu', Vol. 1, p. 280-81].
But epic Mahabharata contains some other story to tell on the issue as given below:
Ajamidha, was the perpetrator of the royal line of Bharatas. And he begot six sons,--
- Riksha was born of the womb of Dhumini,
- Dushmanta and Parameshthin, of Nili, and
- Jahnu, Jala and Rupina were born in that of Kesini.
It is probable that the aforesaid modern day clan of the Jats might have some connection with Jahnu. The name might have taken several local influences and twists as per local pronunciation and use of dialect/language. But this needs further research to arrive at some definite conclusion.
Villages founded by Jangu clan
- Daultabad (दौलताबाद) - village in Gurgaon district in Haryana was founded in around c.1191 A D by Chaudhary Daulat Singh of Janghu gotra of Jat clan.
- Janguwas - village in Luni Tahsil of Jodhpur district in Rajasthan.
- Jangoowo Ki Dhani (जांगूवो की ढाणी) - Village in Baytoo tahsil of Barmer district in Rajasthan.
- Jonguon Ki Dhani (जोंगुओं की ढाणी) - Village in Baytoo tahsil of Barmer district in Rajasthan.
- Jangu Ki Dhani (जांघू की ढ़ाणी) - Janghu Ki Dhani Village near Gokulpura, in Sikar district in Rajasthan.
Distribution in Rajasthan
Villages in Barmer district
Villages in Jaipur district
Jangu (जांगू) Jats live in villages-
Bhojpura Kalan (100), Chandalai (Chaksu Tahasil), Dayalpura Dudu (1), Reta Dudu (2), Reti, Titariya, Yarlipura,
Locations in Jaipur city
Sanganer, Tonk Road,
Villages in Sikar district
Bahuji ki Dhani, Gokulpura, Jangu Ki Dhani, Khandela, Mordoonga.
Villages in Alwar district
Villages in Bharatpur district
Deeg,
Villages in Churu district
Villages in Jhunjhunu district
Bhaloth, Dhani Bhaloth, Khetri, Kuhadwas, Nalpur, Shyampura Buhana, Manana Buhana,
Villages in Jalore district
Villages in Jodhpur district
Dhanari Kalan, Jajiwal Khichiyan, Jangoowo Ki Dhani, Janguwas, Luna, Mandor, Palli, Palri Mangaliya, Poonasar, Thadiya,
Villages in Nagaur district
Alai, Ajdoli, Dasana Kalan, Dhaki Ki Dhani, Dhojak, Gunsali, Kutiyasani Khurd, Ratri, Raidhanu, Sarunda,
Villages in Tonk district
Aranya Kankad (1), Ramniwaspura (2), Saroli ,
Villages in Hanumangarh district
Bashir, Bhakaranwali, Chhapanwali, Hanumangarh, Kharachak (Kanhewala) (1), Pakka Saharana, Sangaria. Hardyalpura, Pilibanga, Chak 12 SLW
Villages in Ganganagar district
Villages in Bikaner district
Village in Bhilwara distt. - Murayla
Village in Ajmer Distt. - Bandanwara
Villages in Pali district
Distribution in Haryana
Villages in Sirsa district
Villages in Mahendergarh District
Dhani Bhalothia, Gaderwas (Post-Dalanwas), Khorra (Khanpur),
Villages in Rewari district
Villages with Janghu clan are: Dhakiya, Gadala, Lala, Malahera, Rohari,
In Dhakiya village, there are 325 families most of them (85%) are Janghu.
Villages in Faridabad district
Villages in Gurgaon district
Villages in Bhiwani district
Bilawal, Kari Tokha, Kasnni, Mauri,
Villages in Jhajjar district
Khorara (near Baghot),
Villages in Palwal district
Distribution in Madhya Pradesh
Villages in Dhar district
Villages in Mandsaur district
Betikheri, Khanderia Kachar, Laduna (Sitamau), Betikheri, Ralayta (Haidra Mata).
Villages in Nimach district
Villages in Ratlam district
Villages in Ratlam district with population of this gotra are:
Villages in Khandwa district
Villages in Ujjain district
Distribution in Uttar Pradesh
Villages in Badayun district
Villages in Bareilly district
Distribution in Punjab
Villages in Firozpur district
Distribution in Delhi
Bakhtawar Pur, Rajpura North Delhi.
Notable persoion
- Randhir Singh Janghu - Shaheed Naik Randhir Singh Janghu SM, Daulatabad - 14 अक्टूबर 1987 को 0730 बजे श्रीलंका में उत्तरी कोकोई में जब 9 प्लैटकॉन में सी कंपनी के पास के घर पर कब्जा करने वाले आतंकवादियों ने घेर लिया था, नायक रणधीर सिंह ने रॉकेट लॉन्चर से एक घर को उड़ा दिया और पलटन को आगे बढ़ने का रास्ता दे दिया। उग्रवादियों ने नायक रणधीर सिंह पर गोली चलाई, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। गंभीर चोट लगने के बावजूद, जिससे उनका काफी खून बह रहा था, नायक रणधीर सिंह ने फिर से अपने रॉकेट लॉन्चर से गोलीबारी की, जिससे उग्रवादियों में भगदड़ मच गई। उन्होंने एक अन्य हताहत की राइफल से भी गोलीबारी की, जिससे उग्रवादियों को और अधिक नुकसान हुआ। उसकी आग की आड़ में पलटन ने उद्देश्य विफल कर दिया। इस कार्रवाई में हाइक रणधीर सिंह की मौत हो गयी. इस कार्रवाई में Naik रणधीर सिंह ने उच्च कोटि की वीरता, दृढ़ संकल्प, पेशेवर प्रतिभा और कर्तव्य के प्रति समर्पण प्रदर्शित किया। HE IS A GALLENTRY AWARD WINNER (POSTHUMOUSLY) हरयाणा सरकार ने दौलताबाद गांव की मुख्य सड़क का नाम शहीद रणधीर सिंह जांघू SM मार्ग रखा हुआ है।
- Mahashay Dharampal Singh Bhalothia (27.1.1926-7.10.2009) (महाशय धर्मपाल सिंह भालोठिया), from Village Dhani Bhalothia, district Mahendragarh, Haryana, was a poet, freedom fighter and reformer. He is author of many books. His books available online are: Aitihasik Kathayen and Mera Anubhaw (Sanshodhit).
- कर्नल वीरेन्द्र सिंह - महाशय धर्मपाल सिंह भालोठिया के बड़े पुत्र कर्नल वीरेन्द्र सिंह ने आपरेशन विजय (कारगिल युद्ध), आपरेशन पवन (श्री लंका), आपरेशन मेघदूत (सियाचीन ग्लेशियर), संक्युतराष्ट्र संघ आपरेशन (सोमालिया), आपरेशन रक्षक (काश्मीर घाटी), में दुश्मनों के छक्के छुडा़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इनके वीरतापूर्ण कार्यों के लिए राष्ट्रपति द्वारा शूरवीरता पुरस्कार 1. सेना मेडल (वीरता) एवं 2. विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया गया।
- सुरेन्द्र सिंह - महाशय धर्मपाल सिंह भालोठिया के दूसरे लड़के सुरेन्द्र सिंह बैंक में वरिष्ठ प्रबन्धक पद से सेवानिवृत हुये हैं. आप जयपुर में निवास करते हैं। (Mob:917073454251)
- Dr Raj Pal Singh Janghu - Academician, Historian and well known Author belongs to Village Bilawal in district Bhiwani.
- Ramu Ram Jangu (चौधरी रामूराम जांगू), from Alay (अलाय), Nagaur, was a social worker in Nagaur, Rajasthan.[5]
- Captain [Rtd.] Randhir Singh belongs to Village Bilawal in district Bhiwani. He is the youngest of the eight brothers. He and his seven brothers have served the Indian Armed forces or Haryana Police.
- 'Narmender Janghu' (B.tech, MDU) Engineer at Google India belongs to village Bilawal.
- Mahavir Singh Jangu - Advocate, Village Jangu Ki Dhani, Gokulpura, Sikar, Raj, mob-9413069838
- Nadan Singh Janghu - Resident of Village- Dhakiya, District- Rewari, Haryana. By profession Nadan Singh is a Hotelier in Dubai. His family is well known for its Steadfast Belief & true Spritual Values in the surrounding Area.
- Ajit Singh Janghu - 1982 batch officer of Indian Railway Service of Electrical Engineers. Presently posted as Addl. Divisional Railway Manager, N.F.Rly., LUMDING-Assam. m- 9435102701, BSNL Ph 03674-263395 (Off.)
- Bhoop Singh Janghu - is from Village Dhakiya, PO Khatawali District Rewari. His father, Sh Shish Ram Janghu is an ex Armyman and grandfather Ch. Tara Chand Lamberdar was a well known person in the area around Dharuhera/Rewari.
- Sh. Narayan Ram Jangoo - Branch Manager, S.B.I., Basically from Gunsali village and residing in Degana, Nagaur, Rajasthan.
- Prahlad Singh Jangu Assistant Commandant in ITBP
- Kanwar Karan Singh 3 times MLA from "Model Town" Vidhan Sabha in year 1998, 2003, 2008.
- Narendra Singh Jangu - Assistant System Officer Rajasthan High Court" Town jangu ki dhani Gokulpura District Sikar Mobile number 9875126009.
External Links
References
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat/Parishisht-I, s.n. ज-11
- ↑ Mahendra Singh Arya et al: Adhunik Jat Itihas, p. 268
- ↑ An Inquiry Into the Ethnography of Afghanistan, H. W. Bellew, p.135
- ↑ Kings of Kashmira Vol 2 (Rajatarangini of Kalhana)/Book VIII,p.74
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.198
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