Kakreu

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Kakreu (कंकड़ेउ) is a medium-size village in Jhunjhunu tahsil & district in Rajasthan. There are two habitations of this name:

Jat Gotras

Population

According to Census-2011 data -

  • Kakreu Kalan village has the total population of 1919 (of which 981 are males while 938 are females).[1]
  • Kakreu Khurd village has the total population of 994 (Males: 508, Females: 486).[2]

History

राजस्थान की जाट जागृति में योगदान

ठाकुर देशराज[3] ने लिखा है ....उत्तर और मध्य भारत की रियासतों में जो भी जागृति दिखाई देती है और जाट कौम पर से जितने भी संकट के बादल हट गए हैं, इसका श्रेय समूहिक रूप से अखिल भारतीय जाट महासभा और व्यक्तिगत रूप से मास्टर भजन लाल अजमेर, ठाकुर देशराज और कुँवर रत्न सिंह भरतपुर को जाता है।


[पृ.4]: अगस्त का महिना था। झूंझुनू में एक मीटिंग जलसे की तारीख तय करने के लिए बुलाई थी। रात के 11 बजे मीटिंग चल रही थी तब पुलिसवाले आ गए। और मीटिंग भंग करना चाहा। देखते ही देखते लोग इधर-उधर हो गए। कुछ ने बहाना बनाया – ईंधन लेकर आए थे, रात को यहीं रुक गए। ठाकुर देशराज को यह बर्दाश्त नहीं हुआ। उन्होने कहा – जनाब यह मीटिंग है। हम 2-4 महीने में जाट महासभा का जलसा करने वाले हैं। उसके लिए विचार-विमर्श हेतु यह बैठक बुलाई गई है। आपको हमारी कार्यवाही लिखनी हो तो लिखलो, हमें पकड़ना है तो पकड़लो, मीटिंग नहीं होने देना चाहते तो ऐसा लिख कर देदो। पुलिसवाले चले गए और मीटिंग हो गई।

इसके दो महीने बाद बगड़ में मीटिंग बुलाई गई। बगड़ में कुछ जाटों ने पुलिस के बहकावे में आकार कुछ गड़बड़ करने की कोशिश की। किन्तु ठाकुर देशराज ने बड़ी बुद्धिमानी और हिम्मत से इसे पूरा किया। इसी मीटिंग में जलसे के लिए धनसंग्रह करने वाली कमिटियाँ बनाई।

जलसे के लिए एक अच्छी जागृति उस डेपुटेशन के दौरे से हुई जो शेखावाटी के विभिन्न भागों में घूमा। इस डेपुटेशन में राय साहब चौधरी हरीराम सिंह रईस कुरमाली जिला मुजफ्फरनगर, ठाकुर झुममन सिंह मंत्री महासभा अलीगढ़, ठाकुर देशराज, हुक्म सिंह जी थे। देवरोड़ से आरंभ करके यह डेपुटेशन नरहड़, ककड़ेऊ, बख्तावरपुरा, झुंझुनू, हनुमानपुरा, सांगासी, कूदन, गोठड़ा


[पृ.5]: आदि पचासों गांवों में प्रचार करता गया। इससे लोगों में बड़ा जीवन पैदा हुआ। धनसंग्रह करने वाली कमिटियों ने तत्परता से कार्य किया और 11,12, 13 फरवरी 1932 को झुंझुनू में जाट महासभा का इतना शानदार जलसा हुआ जैसा सिवाय पुष्कर के कहीं भी नहीं हुआ। इस जलसे में लगभग 60000 जाटों ने हिस्सा लिया। इसे सफल बनाने के लिए ठाकुर देशराज ने 15 दिन पहले ही झुंझुनू में डेरा डाल दिया था। भारत के हर हिस्से के लोग इस जलसे में शामिल हुये। दिल्ली पहाड़ी धीरज के स्वनामधन्य रावसाहिब चौधरी रिशाल सिंह रईस आजम इसके प्रधान हुये। जिंका स्टेशन से ही ऊंटों की लंबी कतार के साथ हाथी पर जुलूस निकाला गया।

कहना नहीं होगा कि यह जलसा जयपुर दरबार की स्वीकृति लेकर किया गया था और जो डेपुटेशन स्वीकृति लेने गया था उससे उस समय के आईजी एफ़.एस. यंग ने यह वादा करा लिया था कि ठाकुर देशराज की स्पीच पर पाबंदी रहेगी। वे कुछ भी नहीं बोल सकेंगे।

यह जलसा शेखावाटी की जागृति का प्रथम सुनहरा प्रभात था। इस जलसे ने ठिकानेदारों की आँखों के सामने चकाचौंध पैदा कर दिया और उन ब्राह्मण बनियों के अंदर कशिश पैदा करदी जो अबतक जाटों को अवहेलना की दृष्टि से देखा करते थे। शेखावाटी में सबसे अधिक परिश्रम और ज़िम्मेदारी का बौझ कुँवर पन्ने सिंह ने उठाया। इस दिन से शेखावाटी के लोगों ने मन ही मन अपना नेता मान लिया। हरलाल सिंह अबतक उनके लेफ्टिनेंट समझे जाते थे। चौधरी घासी राम, कुँवर नेतराम भी


[पृ.6]: उस समय तक इतने प्रसिद्ध नहीं थे। जनता की निगाह उनकी तरफ थी। इस जलसे की समाप्ती पर सीकर के जाटों का एक डेपुटेशन कुँवर पृथ्वी सिंह के नेतृत्व में ठाकुर देशराज से मिला और उनसे ऐसा ही चमत्कार सीकर में करने की प्रार्थना की।

महरामपुर में किसानों की बृहत सभा आयोजित 1947

जयपुर राज्य किसान सभा ने महरामपुर में 16 फ़रवरी 1947 को किसानों की एक बृहत सभा आयोजित की. झुंझुनू के डिप्टी कमिश्नर, पुलिस अधीक्षक, नाजिम और डिप्टी इंस्पेक्टर पुलिस बहुत से पुलिस दल के साथ पहुँच कर सारी शेखावाटी में दो महीने के लिए दफा 144 लगा दी. स्थल पर दफा 144 तोड़ने पर पंडित ताड़केश्वर शर्मा, राधावल्लभ अग्रवाल, दुर्गादत्त जयपुर, ख्याली राम मोहनपुरा, शिवकरण उपदेशक, माली राम अध्यापक, मान सिंह बनगोठडी और डूंगर सिंह को गिरफ्तार कर लिया. जयपुर राज्य किसान सभा ने धरा 144 उठाने की मांग की और न उठाने पर शेखावाटी की जनता के मूलभूत अधिकारों की रक्षा के लिए विद्याधर कुलहरी, ईश्वर सिंह भैरूपुरा, देवासिंह बोचल्या, राधावल्लभ अग्रवाल और आशा राम ककड़ेऊ की एक सर्वाधिकार युक्त कमेटी बना दी जो जनता के सामने सविनय अवज्ञा भंगकरने का प्रोग्राम रखे और सत्याग्रह चलाये. साथ ही गाँवों में आये दिन होने वाले झगड़े-फसादों के समय रक्षार्थ 'किसान रक्षा दल' के संगठन का निर्णयलिया तथा 'किसान सन्देश' नामक बुलेटिन निकालने का निश्चय किया. (किसान सन्देश 13 मार्च 1947) (डॉ पेमा राम 216 )

Notable persons

External links

References


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