Mehria

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Mehria (मेहरिया)/ Meharia (मेहरिया) [1] [2] Mehriya (मेहरिया) Mehariya (मेहरिया) Meheria (मेहरिया) Mehiwal (मेहीवाल) Mahe (महे)/(माहे)[3] [4] Mahit (माहित) Mehria (मेहरिया) Mehariya (मेहरिया) Maheria (महेरिया)[5] Maharia (महरिया) Mahariya (महरिया) Maheria (महेरिया)[6] Maharya (महरया) Meharya (मेहरया) Mahar (महार) महरवाल [7] [8] Mariya (मेरिया) is a gotra of Jats found in Punjab, Madhya Pradesh and Rajasthan in India. Miher/Meherya clan is found in Afghanistan.[9]

Origin

Mehria is very old gotra. Following origins are suggested by various authors:

  • They get name from Mahi Heraka (महि हेरक), a title of Revenue Minister in the ancient tribe of Shivis. [10]
  • Mairiha (मैरिहा) was a clan of Mahabharata period. People who came from Morea (मोरिया) in Greece were known as Mairiha. [14] Morea was the name of the Peloponnese peninsula in southern Greece during the Middle Ages and the early modern period.[15]

History

Ram Swarup Joon[17] writes In the Sabha Parva, Mahabharata/Book II Chapter 48, while describing various Kings who attended a ceremony in the Durbar (court) of Maharaja Yudhisthira, seventeen names are mentioned which are today found as Jat gotras. These are Malhia, Mylaw, Sindhar, Gandhar, Mahity, Mahe, Savi, Bath, Dharan, Virk, Dard, Shaly, Matash, Kukar (Khokar) Kak, Takshak, Sand, Bahik (Bathi) Bije (Bijenia), Andhra, Sorashtra (Rathi) Mann, Ar, Sohat, Kukat, Othiwal (Othval).


Ram Swarup Joon[18] writes about Mahe, Mahi, Mehiwal, Meheria, Mahit: These are also very old gotras. In the 8th generation of the Mirhas there lived a king called Mahit. His descendants were called Mahi, Mahe. In about the first century AD, Darunpur, some where near Sujangarh, was the capital of Mahe Kings.


History of the Jats, End of Page-93


According to the census of 1911 their number was. about 7000.

The Mahe dynasty has been mentioned in the Mahabharata. In the "Prithviraj Basa" and in the Alha Udal stories there are references to the Mahal Kings.

The Mahiwal Jats are found in large number in the Western Punjab, but they are spread all over Northern India.

The Mehria gotra is found in Rajasthan.

महरिया, जिला मिर्जापुर

महरिया (AS, p.720): यहां सोन नदी की घाटी में स्थित कई गुफाओं में प्रागैतिहासिक चित्रकारी के नमूने प्राप्त हुए हैं. एक चित्र में नृत्य करते हुए पुरुषों और वन्यमृगों को अंकित किया गया है. यह आखेट का चित्र जान पड़ता है.[19]

इतिहास

ठाकुर देशराज[20] ने लिखा है ....[पृ.495]: सीकर राज्य में मेहरिया जाटों का भी स्थान काफी ऊंचा है। शिवि लोगों की अनेक शाखाओं में एक शाखा मेहरिया लोगों की है। शिवि लोगों की शासन व्यवस्था की काफी प्रशंसा गाई गई है। उनके मंत्रिमंडल में सेनापति को वीरभद्र कहा जाता था और रेवेन्यू मिनिस्टर (मालमंत्री) को ‘महि हेरक’ कहा जाता था। यही महि हेरक शब्द आज महेरिया बन गया। जिसे आज कल लोग महेरिया नाम से पुकारने लगे हैं।


[पृ.496]: कूदन को जिन महरियों ने आबाद किया उनमें भीमजी नाम का जो प्रसिद्ध महेरिया जाट था उसकी तीसरी पीढ़ी में रामनारायण जी हुए। रामनारायण जी के बड़े पुत्र चौधरी जीवनराम जी थे जो गणेशराम जी के बड़े भाई थे। उन्हीं जीवनराम जी के पुत्र चौधरी दलेलसिंह जी हैं।

महरिया गोत्र का इतिहास

शिवि लोगों की अनेक शाखाओं में से एक शाखा महरियाओं की है । उनके माल-मंत्री (रेवेन्यू मिनिस्टर) को महि हेरक कहा जाता था । महि हेरक शब्द कालान्तर में महरिया बन गया । कई विद्वानों के अनुसार माही नदी के किनारे बसने वाले तथा कुछ के अनुसार यूनान के मोरिया नामक स्थान से आने के कारण महरिया कहलाए। महरिया-बड़वा (वंशावली लेखक) अनुसार महरियों का निकास क्षत्रिय कुल के चौहानों से है। सांभर उनकी राजधानी थी। वहां से जाकर अजयराज ने अजय मेरु (अजमेर) बसाया । अजयराज के कुल में महीभान राजा हुआ । उन्हीं के कुल में हुए 'लालमहर' से जाट 'महरिया' कहलाए ।

कूदन के महरिया का इतिहास: बड़वा-बही के अनुसार कोदाराम महरिया ने गडेरा से आकर विक्रम संवत् 1353 अक्षय तृतीया (वैसाख शुक्ल पक्ष तृतीया) के दिन (सन 1296 ई.) अपने नाम से कूदन गांव बसाया । उनके वंशज किसनाराम पर अष्ट-आधार छतरी संवत् 1932 (सन् 1875 ई.) में बनाई। किसनाराम के रामू (निःसंतान), भींवा व बोहित हुए । भींवा के भाना, नोला, गुमाना व मोटा हुए। बोयत के उदा व माना हुए।

स्रोत: - दयाराम महरिया, कूदन ,सीकर (राजस्थान)

कूदन के महरिया

सीकर वाटी में राव राजा के प्रिय चौधरी नाथाराम महरिया थे। इसी परंपरा को उनके बेटे शिवबक्स महरिया ने निभाया। शिवबक्स कूदन के बेताज बादशाह थे। गांव में सुण्डा गोत्र के जाट अधिक संख्या में हैं। महरिया और सुंडा में हमेशा प्रतिस्पर्धा चलती रही है। लेकिन शिवबक्स महरिया के ऊंचे रसूख के कारण वे सुंडा लोगों पर भारी पड़ रहे थे। महरिया एक पोळी (दरवाजा) के भीतर रहते थे, जिसे मेहरिया पोली कहा जाता था। आज भी इस पोली के विशेष स्मारक के रुप में सुरक्षित हैं। विशेष रुप से नाथाराम महरिया गढों और महलों में प्रसिद्धि प्राप्त करते रहे हैं। किसान वर्ग में रहते हुए भी मेहरिया परिवार किसानों से अलग रहते एवं उनमें उच्च वर्ग की भावना थी। [21]

महरिया परिवारों का आदि पुरुष किसना मेहरिया थे, जिनकी छतरी अभी भी कूदन में मौजूद है। किसना राम के दो बेटे थे - 1. भीमाराम और 2.बोयत राम। भींवाराम के चार पुत्र थे जिनके नाम भानाराम, मोटाराम, गुमानाराम और न्योला राम थे। इन चारों ने 25-25 रुपये खर्च कर किसनाराम की छतरी बनाई थी। चारों भाइयों की चार हवेलियां काफी पुरानी हैं जिससे इस परिवार की समृद्धि का पता लगता है। कूदन के महरिया उन्हीं की वंशबेल हैं।[22]

शिवबक्स महरिया कूदन का मुख्य चौधरी था। 1935 ई. में सीकर आंदोलन के समय कूदन गाँव में करीब दस हवेलियाँ थी। शिवबक्स राव राजा सीकर के अति विश्वसनीय व्यक्तियों में से थे। गोली काण्ड के बाद गाँव की हालत गंभीर होगाई थी। शिवबक्स महरिया ने स्वयं ही पूरे गाँव का लगान चुका दिया था। शिवबक्स के कोई संतान नहीं थी। उन्होने अपने भाई के बेटे रामदेव सिंह को गोद लिया जो आगे चलकर राजस्थान सरकार में मंत्री बने। [23]

Distribution in Rajasthan

The Mehria gotra is found in Rajasthan.

Villages in Ajmer district

Mala,

Villages in Sikar district

Dantaru (75), Dhani Hari Singh Wali, Kansarda, Kudan, Mandiwal Ki Dhani, Narodara, Sikar, Singodra, Yalsar,

Villages in Hanumangarh district

Deidas Jokhasar, Mahrana, Sahuwala, Gunjasari, Ratusar, Mehriya

Villages in Ganganagar district

Sahuwala Ganganagar,

Villages in Jodhpur district

Jodhpur, Salawas,

Villages in Churu district

Parihara, Ratusar, Sujangarh (1),

Villages in Bikaner district

Bikaner

Villages in Jaipur district

Dabri Rampura, Dudu,

Locations in Jaipur city

Khatipura,

Villages in Nagaur district

Bader, Dheengsara, Harsolav (2), Hiran Khuri, Indrawad, Dholerao Kalan (20), Jesas Akheraj,

Villages in Tonk district

Maharya (महरया) Jats live in villages: Pasrotya (2),

Meharya (मेहरया) Jats live in villages: Pachewar (1),

Distribution in Madhya Pradesh

Villages in Bhopal district

Bhopal,

Villages in Bhopal district

Atarsama (Harda),

Villages in Indore district

Farkoda,

Distribution in Haryana

Villages in Hisar district

Kharia Hisar,

Distribution in Punjab

Mahe Jats are found in Amritsar, Shahpura districts in Punjab. [24],[25]

Villages in Patiala district

Distribution in Pakistan

According to 1911 census the Mahar were the principal Muslim Jat clan in :

Notable persons

Gallery of Mehria people

External Links

References

  1. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Parishisht-I, s.n. म-88
  2. O.S.Tugania:Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu, p.55, s.n. 1969
  3. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Parishisht-I, s.n. म-92
  4. O.S.Tugania:Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu,p.55,s.n. 2002
  5. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Parishisht-I, s.n. म-88
  6. O.S.Tugania:Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu, p.55, s.n. 1973
  7. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Parishisht-I, s.n. म-84
  8. O.S.Tugania:Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu, p.55, s.n. 1969
  9. An Inquiry Into the Ethnography of Afghanistan, H. W. Bellew, p.133
  10. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.495
  11. Mahendra Singh Arya et al.: Ādhunik Jat Itihas, Agra, 1998, p. 275
  12. Mahendra Singh Arya et al: Adhunik Jat Itihas, p.274
  13. Jat History Thakur Deshraj/Chapter VIII,s.n. 269, 274, p-586
  14. Mahendra Singh Arya et al.: Ādhunik Jat Itihas, Agra, 1998, p. 275
  15. Morea in Wikipedia
  16. अपरन्ध्राश च शूद्राश च पह्लवाश चर्म खण्डिकाः |अटवी शबराश चैव मरु भौमाश च मारिष || Mahabharata (6.10.46)
  17. Ram Swarup Joon: History of the Jats/Chapter II,p. 32-33
  18. Ram Swarup Joon: History of the Jats/Chapter V,p. 93-94
  19. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.720
  20. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.495-496
  21. Rajendra Kaswan: Mera Gaon Mera Desh, Jaipur, 2012, ISBN 978-81-89681-21-0, p.144
  22. Rajendra Kaswan: Mera Gaon Mera Desh, Jaipur, 2012, ISBN 978-81-89681-21-0, p.144-145
  23. Rajendra Kaswan: Mera Gaon Mera Desh, Jaipur, 2012, ISBN 978-81-89681-21-0, p.143
  24. Jats the Ancient Rulers (A clan study), Bhim Singh Dahiya, p. 334
  25. Rose:'Tribes and Castes', Vol. III, p. 46
  26. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.495-496

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